सर्दी पड़ रही है कड़ाके की, ऐसे में ठंड के प्रकोप से बचने और शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए आप क्या करते हैं? बहुत ज्यादा स्वेटर पहन लेते होंगे, दिन-भर में 6-7 कप चाय-कॉफी पी जाते होंगे, पर इतनी चाय-कॉफी पीना भी सेहत के लिए ठीक नहीं। बेहतर है कि शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए कुछ नेचुरल उपाय सोचें। इसके लिए आप उन फूड्स का सेवन कर सकते हैं, जिनकी तासीर गर्म होती है जैसे अदरक, लहसुन आदि। कुछ फल भी सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं। इनसे भी बात नहीं बनती है, तो क्यों नहीं आप योगाभ्यास (Yoga Tips for Winter) करते हैं।
जी हां, कई योगासन ऐसे हैं, जो शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं। शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं, जिससे आप सर्दी में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं। इसके लिए आप प्रणायाम भी कर सकते हैं, जो सर्दी में खुद (Yoga for winter season) को गर्म रखने के लिए बहुत उपयोगी हैं।
ठंड से बचने के लिए आप सर्वांगासन, चक्रासन, पवनमुक्तासन, धनुरासन, ताड़ासन, पश्चिमोत्तानासन कर सकते हैं। ये सभी आसन शरीर को अंदर से गर्मी रखने के लिए बहुत ही अच्छे माने गए हैं। साथ ही आप कई रोगों से भी बचे रहते हैं, आपका शरीर चुस्त-दुरुस्त बना रहता है। योग करने से शरीर में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
ठंड के मौसम में सूर्यभेदी प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम करना चाहिए। इससे पिंगला नाड़ी का शोधन होता है। प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से व्यक्ति के कपाल की शुद्धि होती है। सर्दी के प्रकोप से खुद को बचाकर रखना है, तो यह बेहद ही फायदेमंद है। इसे करने से जठराग्नि (पेट के अंदर मौजूद शारीरिक ताप, जो भोजन पचाने का काम करता है) प्रदीप्त होती है।
इससे शरीर को ऊर्जा की प्राप्ति होती है। सर्दियों में आप भस्त्रिका प्राणायाम का भी अभ्यास कर सकते हैं। इससे भी आप अंदर से गर्म (Yoga Tips for Winter) रहेंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस करने से सांस की गति तेज होती है, जिससे शरीर को गर्मी मिलती है। शरीर अंदर से गर्म रहेगा तो आप एलर्जी, सांस से संबंधित रोगों, गले में खराश, सर्दी-जुकाम, खांसी, साइनस आदि कफ उत्पन्न करने वाली बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
अपनी आंखों को बंद करके पद्मासन में बैठें। अब दाहिने हाथ की अनामिका एवं छोटी ऊंगुली से बाईं नासिका को बंद करें। दाहिने नाक से सांस लें। दाहिनी नासिका को अपने अंगूठे से बंद करें। ठुड्डी को सीने के पास दबाएं और सांस को कुछ सेकंड के लिए रोकने की कोशिश करें। अब अंगूठे से दाहिने नाक को बंद करके बाईं नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर और मन को स्थिर रखें। फिर तेज गति से सांस लें और तेज गति से ही सांस बाहर छोड़ें। सांस लेते समय पेट फूलना चाहिए और छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए। इससे नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है।
हृदय रोग से बचने के लिए करें ये 2 प्राणायाम
ध्यान के किसी आसन में बैठ जाएं। अब आंखों को बंद कर लें। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें। अब नाक से तेजी से सांस बाहर निकालने की क्रिया करें। सांस को बाहर निकालते वक्त पेट को भीतर की ओर खींचें। ध्यान दें कि सांस को छोड़ने के बाद, सांस को बाहर न रोककर बिना प्रयास किए सामान्य रूप से सांस को अन्दर आने दें। इससे एक सेकेंड में एक बार सांस फेंकने की क्रिया कह सकते हैं। इसके बाद सांस को अंदर लें। ऐसा करते वक्त संतुलन बनाए रखें। वैसे दिल के मरीजों को कपालभाती प्राणायाम धीरे-धीरे करना चाहिए।
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