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सिंहासन प्रमुख रूप से कंधों और पीठ की मांसपेशियों को लचीला व मजबूत बनाता है। यह एक मध्यम श्रेणी का योगासन है, जिसके लिए तकनीक व संतुलन दोनों जरूरी होते हैं। सिंहासन को संस्कृत के दो शब्दों “सिंह” व “आसन” से मिलकर बना है, जिसमें सिंह का मतलब शेर और आसन का मतलब शारीरिक मुद्रा होता है। साथ ही इस योग क्रिया में शारीरिक आकृति बैठे हुए शेर की भांति प्रतीत होती है और इसलिए अंग्रेजी में भी इसे “लॉयन पॉज” (Lion pose) कहा जाता है। सिंहासन से स्वास्थ्य को कई लाभ मिल सकते हैं, जिसके लिए उसे सही तकनीक के साथ करना बेहद जरूरी होता है।
यदि सिंहासन योग मुद्रा को सही तकनीक के साथ और विशेष बातों का ध्यान रखते हुए किया जाए तो इससे कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं -
सिंहासन एक ऐसा योग मुद्रा है, जो मुंह की कुछ खास मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। ये मांसपेशियां बोलने, खाने और यहां तक की चेहरे की सही आकृति बनाए रखने में मद करती हैं।
कुछ लोगों को अक्सर गर्दन में अकड़न या मोच आ जाती है, जिनका एक प्रमुख कारण गर्दन की मांसपेशियों में कमजोरी होता है। सिंहासन योगाभ्यास की मदद से इस समस्या से बचा जा सकता है।
सिंहासन मानसिक रोगों के लिए बेहद लाभदायक उपाय है। नियमित रूप से सिंहासन अभ्यास करने से डिप्रेशन, चिंता व तनाव जैसे लक्षण दूर हो जाते हैं और मूड अच्छा रहता है।
हालांकि, सिंहासन से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ पूरी तरह से योगासन के तरीके और आपकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करते हैं।
यदि आप पहली बार सिंहासन अभ्यास करने जा रहे हैं, तो निम्न चरणों का पालन करके आपको यह योग मुद्रा बनाने में मदद मिल सकती है -
इस योग क्रिया को आप अपनी क्षमता के अनुसार अवधि तक कर सकते हैं और फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ सकते हैं। यदि आपको इससे संबंधित कोई भी सवाल है, तो किसी अच्छे योग प्रशिक्षक से संपर्क करें।
सिंहासन अभ्यास आमतौर पर योग प्रशिक्षक के निगरानी में ही किया जाता है और इस दौरान निम्न सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं -
कुछ स्वास्थ्य स्थितियां हैं जिनके दौरान सिंहासन अभ्यास करने से पहले डॉक्टर से अनुमति ले लेनी चाहिए -
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