
थैलेसीमिया की बात करें तो ये खून से जुड़ी बीमारी है जिसके कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है। थैलेसीमिया एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो बच्चों के अंदर उनके पैरेंट्स से होती है। यह दो प्रकार की होती है मेजर थैलेसीमिया और ट्रेट थैलेसीमिया। वहीं इस बीमारी के लक्षण बच्चों में 6 से 8 महीने के अंदर नजर आने लगते हैं। इसके इलाज की बात करें तो इस बीमारी से राहत पाने के लिए आप बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवा सकते हैं। इसके अलावा इससे पीड़ित बच्चों को जिंदगी भर नियमित रूप से खून चढ़ाने की आव्यशक्त पड़ती है।
दरअसल बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है और ये शरीर के अलग-अलग अंगों में जमा होना शुरू हो जाता है। जिसकी वजह से ऑर्गन फेल का खतरा बढ़ जाता है, इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और सी हो जाना, जीवन आयु कम हो जाना जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए कपल को बच्चा प्लान करने से पहले मेडिकल जांच करवा लेनी चाहिए और प्रेगनेंसी के दौरान ही सारे ब्लड टेस्ट करवा लेने चाहिए जिसे की ये पता चल सके की आगे चलकर बच्चे को खून से जुड़ी कोई बीमारी तो नहीं होगी।
माइग्रेन (Migraine) के सिरदर्द की तरह ही साइनस की वजह से होने वाला दर्द भी बहुत तेज होता है। लेकिन, कई बार लोगों को माइग्रेन और साइनस के बीच अंतर समझ नहीं आता और वे इनका सही तरीके से इलाज नहीं कर पाते।
शादीशुदा लाइफ को हैपी रखने के लिए काफी सोच समझकर कदम उठाने पड़ते हैं, आपकी एक छोटी गलती आपके रिश्ते को तबाह कर सकती है।
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मैस्टिक गम एक तरह का राल है। जो कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद है। इसका इस्तेमाल सदियों से किया आता जा रहा है। जो काफी फायदेमंद भी है।
मुंबई के वॉकहार्डट अस्पताल की कंसल्टेंट डॉक्टर हनी सावला ने लू से बचने के लिए 1 दिन में कितनी मात्रा में पानी पीने की सलाह से लेकर इससे बचने के अन्य कई सारे उपाय बताए हैं, जिसके बारे में हम आपको यहां विस्तार से बता रहे हैं।
मोटापा एक आम समस्या है, जो बच्चों में हो जाए तो आगे चलकर काफी ज्यादा परेशानी खड़ी करता है। आइए जानते हैं कैसे बच्चे को मोटा होने से बचाएं।