
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अर्थात रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को प्रभावित करती है
मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है। इस बीमारी के होने पर शरीर अपनी कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करता है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अर्थात रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इस बीमारी के शिकार पुरुष की तुलना में महिलाएं अधिक होती हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को अपने आहार का खास ध्यान रखना चाहिए।
मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस वाले लोगों में मांसपेशियों की कठोरता या ऐंठन, विशेष रूप से पैरों में पैरालिसिस, आंत्र, मूत्राशय या यौन अक्षमता देखी जा सकती है। यह रोग चीजों को भूलने या मूड स्विंग जैसे मानसिक परिवर्तन भी शुरू कर सकती है। इसके साथ ही मिरगी और डिप्रेशन भी हो सकता है।
वर्ल्ड मल्टीपल स्केलेरोसिस डे 2019 : मल्टीपल स्केलेरोसिस के कारण और लक्षण
यह रोग 20 से 40 की उम्र के बीच शुरू होता है। अंगों में कमजोरी, शरीर सुन्न पड़ना, अचानक संतुलन खोना, देखने में परेशानी आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके रोगी तनाव ग्रस्त हो जाते हैं। इस रोग में खानपान और आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जानें, मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों को क्या खाना चाहिए और किन चीजों से करना चाहिए परहेज।
खून की जांच से पता चलता है कि रोगी इससे पीड़ित है या नहीं। बैलेंस, समन्वय, विजन और अन्य एक्टिविटीज की जांच कराना जरूरी होता है। एमआरआइ से संपूर्ण शरीर की जांच हो जाती है। सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड जांच से बीमारी का पता लगता है, क्योंकि मल्टीपल स्क्लेरोसिस पीड़ित रोगी के सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड में अमूमन खास तरह के प्रोटीन पाए जाते हैं।
यदि आप गर्भावस्था प्राप्त करने के बारे में जानकारी की तलाश में हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। वे आपको उन चीजों पर ठीक से मार्गदर्शन करेंगे जो आपको करनी चाहिए।
Demerits of AC: एसी के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आपको इसका कम से कम सेवन करना चाहिए, जितना हो सके उतनी देर तक फ्रेश में रहें, एसी में जाने से पहले अपनी स्किन को अच्छी तरह से मॉइश्चराइज करें, ऐसा करने से आपकी स्किन ड्राई नहीं होती है।
एक्जिमा (Eczema) वाले लोगों को अक्सर स्किन में खुजली, जलन और रेड स्किन की प्रॉब्लम होती है। आपको बता दें कि एक्ज्मिा (Eczema) सिर्फ 1 प्रकार का नहीं पूरे 7 प्रकार का होता है। हर प्रकार के लक्षण और कारण अलग अलग होते हैं।
अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) पेट में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। इसमें एंटी-इफ्लेमेटरी, एंटी-फंगल तत्व होते हैं, जो इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं। अरंडी के तेल के कुछ नुकसान भी हैं। जानें, अरंडी के तेल के नुकसान ।
Parkinson disease treatment in ayurveda in hindi: आयुर्वेद की मदद से पार्किंसंस का उपचार किया जा सकता है। कुछ हर्ब्स भी पार्किंसस रोग (Herbs to cure parkinson's disease) के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
pantocid dsr uses in hindi: पेट में गैस औस एसिडीटी की समस्या से अक्सर लोग परेशान रहते हैं और एक बार डॉक्टर नें जो दवा लिख दी उसे वो जब भी परेशानी होती है खाते रहते हैं।