
बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला स्नेेक्स होता है भुट्टा । लोग इसे अपनी पसंद से अलग-अलग स्वाद में खाना पसंद करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि स्वाद के साथ ही भुट्टा सेहत का भी खास स्रोत है। भुट्टा बच्चों को जरूर खिलाना चाहिए। इससे उनके दांत मजबूत होते हैं। मुंह में होने वाले कीटाणुओं से भी छुटकारा मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है। पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता और बढ़ जाती है। पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। यह बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। पके हुए भुट्टे में फोलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है।
भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।
मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी से बचाव के लिए रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार में सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढ़े का प्रयोग होता है।
यदि गेहूं के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिए अधिक लाभकारी है। यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है। इसलिए इसे खाने से पेट अच्छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। एनीमिया को दूर करने के लिए भुट्टा खाना चाहिए क्योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है।
खुजली के लिए भी भुट्टे का स्टॉर्च प्रयोग किया जाता है। वहीं इसके सौंदर्य लाभ भी कुछ कम नहीं है। इसके स्टार्च के प्रयोग से त्वचा खूबसूरत और चिकनी बन जाती है।
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भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्योंकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेवनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ने से बचाता है और शरीर में खून के प्रवाह को भी बढ़ाता है।
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इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। क्योंकि इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जो गर्भवती के लिए बेहद जरूरी है।
लैंसेट की एक स्टडी के अनुसार, कोविड-19 के मरीजों में मानसिक समस्याओं का रिस्क 2 साल तक अधिक बना रह सकता है।
यदि बुखार कम नहीं होता है या 2-3 दिनों में सुधार के कोई संकेत नहीं दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
कुछ स्वास्थ्य स्थितियां ऐसी हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इसलिए जरूरी है कि बचपन से ही अपनी हड्डियों की देखभाल करें।
एक नयी स्टडी की मानें तो इस तरह से चीट मील खाने से लोगों में इटिंग डिसॉर्टर्स का रिस्क बढ़ सकता है।
एक नयी स्टडी के अनुसार महिलाओं में एनिमिया का एक प्रमुख कारण पीरियड्स के दौरान होने वाला हेवी फ्लो भी हो सकता है। (Anemia in women causes in Hindi.)
आमतौर पर अधिकांश कोविड रोगी चार सप्ताह में पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं जबकि कुछ को ठीक होने में कुछ हफ्ते या महीने भी लग जाते हैं।