
होली 29 मार्च (Holi 2021) को है और आप सभी इस त्योहार को धूमधाम से मनाने के लिए तैयार हैं। हालांकि, कोरोना के मामले दोबारा से देश (Corona cases in India) में बढ़ने लगे हैं, ऐसे में जरूरी है कि आप सभी होली खेलते समय सावधानियां जरूर बरतें। रंगों की मस्ती में ये ना भूल जाएं कि कोरोना आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ये तो रही कोरोनावायरस (Coronavirus) से सावधान रहते हुए होली खेलने की बात, लेकिन रंग-गुलाल की मस्ती उनके लिए भी नुकसानदायक हो सकती है, जो रेस्पिरेटरी डिजीज (Respiratory Diseases) यानी सांस से संबंधित बीमारियों जैसे अस्थमा (precautions for Asthmatics During Holi in Hindi), ब्रोंकाइटिस, सांस लेने में समस्या (Breathing Problem), लंग इंफेक्शन (Lung Infection) आदि के मरीज हैं।
ऐसे लोगों को होली खेलते समय खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है नहीं तो अस्थमा का अटैक (precautions for Asthmatics During Holi) भी आ सकता है। होली के रंगों में नुकसानदायक केमिकल्स, लेड होते हैं, जो सांस के जरिए फेफड़ों में जाकर कई तरह की समस्या का कारण बनते हैं। खासकर, अस्थमा के मरीजों को इस त्योहार पर होली खेलते समय अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। आज हम जानेंगे कि क्या रेस्पिरेटरी डिजीज जैसे अस्थमा के मरीजों को होली खेलनी चाहिए या नहीं? यदि खेलनी चाहिए तो किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए ताकि अबीर-गुलाल के कण फेफड़ों में पहुंचकर अस्थमा अटैक का कारण ना बन जाएं। फोर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी डॉ. मनोज गोयल (Dr. Manoj Goel) ने इस बारे में हमें विस्तार से बताया है कि रेस्पिरेटरी डिजीज (Respiratory Disease) के मरीज खुद को सुरक्षित रखते हुए होली कैसे खेल सकते हैं।
After Covid Weakness: पुरषों के मुकाबले महिलाओं में कोरोना से होने वाली थकान के लक्षण ज़्यादा देखने को मिलते हैं। कोरोना के बाद कुछ लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं तो कुछ लोगों में यह समस्या गंभीर हो जाती है। पूरी तरह से ठीक हुए लोगों में भी इसके हलके लक्षण देखने को मिलते हैं। बुज़ुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग कोरोना के लक्षणों को देर तक झेलते हैं।
इतने फायदों के बावजूद पपीते का सेवन करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है क्योंकि पपीते का सेवन कुछ अन्य फूड्स के साथ करना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
बच्चों के माता-पिता बच्चों में आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए इस तरह के उपाय कर सकते हैं।
How humidity affects skin: ह्यूमिडिटी भरे मौसम में स्किन पर एक्ने, पिंपल्स और ऑयली स्किन की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में आपको अपने स्किन केयर रूटीन में बदलाव करना चाहिए।
शरीर में पित्त दोष को संतुलित करने और पित्त की वजह से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए आयुर्वेद में ऋतुचर्या (Ayurvedic ritucharya) जैसे कुछ नियम बताए गए हैं।
Foods for healthy stomach and intestines: पेट ठीक रखने के लिए आप इन फूड्स का सेवन कर सकते हैं जो कि आसानी से पच जाते हैं और आंतों की सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं।