ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ 2019 : तुलसी खाएंगी तो नहीं होगा ब्रेस्ट कैंसर, जानें कैसे
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (breast cancer awareness month 2019) पर आप जानें कि कैसे तुलसी के सेवन से आप ब्रेस्ट कैंसर से बची रह सकती हैं।
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (breast cancer awareness month 2019) पर आप जानें कि कैसे तुलसी के सेवन से आप ब्रेस्ट कैंसर से बची रह सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच यह जरूरी है कि हम सभी इसके लिए सतर्क हो जाएं। खासतौर से बीस वर्ष की उम्र पार करने के बाद हर महिला को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना जरूरी है।
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' हर साल अक्टूबर में विश्वभर में मनाया जाता है। आप भी इस रोग के प्रति जागरूक होकर ब्रेस्ट कैंसर से बचने के इन जरूरी तीन स्टेप्स को अपनाएं।
कई बार बढ़ती उम्र और बढ़ते वजन के कारण भी ब्रेस्ट में फैट जमा होने लगती है। इसके अलावा भी कई ऐसी वजहें होती हैं, जो ब्रेस्ट साइज (Increasing breast size) के बढ़ने का कारण बन सकती हैं। जानें, ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' पर उन कारणों के बारे में जिनसे आपके ब्रेस्ट में अचानक बदलाव नजर आ सकता है...
अक्टूबर महीने को ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (Breast Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद है महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करना, इसके लक्षणों और उपचारों को उजागर करके स्तन कैंसर के प्रति लोगों के मन में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करना।
लाल मांस की पहचान एक संभावित कार्सिनोजेन के रूप में की गई है। हमारे अध्ययन में और अधिक सबूत मिले हैं कि लाल मांस स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है, जबकि पोल्ट्री कम जोखिम के साथ जुड़ी हुई मिली।
पिछले कुछ वर्षों में उपचार की संभावना होने के बावजूद कैंसर रोगियों की मृत्यु में ढाई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह है कि उन्होंने कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसे पारंपरिक उपचारों की बजाए वैकल्पिक चिकित्सा पर भरोसा किया।
अगर आपकी दिनचर्या संतुलित नहीं है, उसमें व्याएयाम और योग शामिल नहीं है, तो आपके किसी भी बीमारी की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है। ब्रेस्टक कैंसर के लिए उत्तसरदायी अन्य कारणों में ये दो कारण भी हैं। हाल ही में हुए अध्यउयन में यह सामने आया है कि ब्रेस्टद कैंसर के इलाज के बाद भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।
स्तन कैंसर साल 2030 तक किसी अन्य कैंसर की तुलना में भारत में अधिकतम महिलाओं की मृत्यु का कारण होगा। इस तरह के चौंकाने वाले आंकड़ों के बावजूद महिलाएं इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए अनिच्छुक हैं।
दुनिया भर के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की शारीरिक और मानसिक सेहत प्रभावित हो रही है। इसके सामाजिक ढांचा, आर्थिक आजादी, जानकारी का अभाव और कई बार खुद पूरे समाज की लापरवाही भी जिम्मेदार है।
महिलाओं की सबसे खराब आदत ये है कि वे अपनी सेहत के प्रति बहुत लापरवाह हो जाती हैं, जबकि कहा यह जाता है कि ‘जान है तो जहान है।‘ इसलिए जहान की फिक्र से पहले जानिए अपनी सेहत से जुड़े कुछ संवेदनशील मामलों के बारे में।
फोटो को शेयर करते हुए ताहिरा ने लिखा है, आज मेरा दिन है। हमें इस दिन को अपनी हिम्मत से सेलिब्रेट करना है।
ताजा आंकड़े बताते हैं कि हर सातवें मिनट में एक महिला कैंसर से ग्रस्त हो रही है और ज्यादातर मामलों में जब तक पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इस बीमारी का मुकाबला करना है तो जरूरी है कि समय रहते आप इसकी पहचान कर लें।
ब्रिटिश शोधकर्ताओं के मुताबिक फूलगोभी के सेवन से कैंसर के खतरे को रोका जा सकता है, इसमें मौजूद कई तरह के पोषक तत्व नयी कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं।
जब तक मरीज और उसके परिजनों को इस बीमारी के बारे में पता चलता है, वे बहुत टूट चुके होते हैं। अगर इस संदर्भ में जरा सी जागरुकता बरती जाए तो कितने ही मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
कैंसर का इलाज तीन तरह से होता है-सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद होता है, ताकि दोबारा कैंसर से बचाव हो सके। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाएं तो मर जाती हैं, लेकिन इससे स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है।
एक अध्ययन के मुताबिक, 28 में से एक महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होता है। शहरी क्षेत्रों में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 22 महिलाओं में से एक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 60 में से एक महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं।
भारत के अग्रणी स्वास्थ्य बीमा कंपनी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस ने 2014 में 23% से स्तन कैंसर के दावों में वृद्धि देखी, जो कि कुल कैंसर के दावों में से 2018 में 38% थी। यह आंकड़ा बताता है कि केवल चार वर्षों की अवधि में स्तन कैंसर के दावों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
कई बार बढ़ती उम्र और बढ़ते वजन के कारण भी ब्रेस्ट में फैट जमा होने लगती है। इसके अलावा भी कई ऐसी वजहें होती हैं, जो ब्रेस्ट साइज (Increasing breast size) के बढ़ने का कारण बन सकती हैं। जानें, ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' पर उन कारणों के बारे में जिनसे आपके ब्रेस्ट में अचानक बदलाव नजर आ सकता है...
अक्टूबर महीने को ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (Breast Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद है महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करना, इसके लक्षणों और उपचारों को उजागर करके स्तन कैंसर के प्रति लोगों के मन में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करना।
लाल मांस की पहचान एक संभावित कार्सिनोजेन के रूप में की गई है। हमारे अध्ययन में और अधिक सबूत मिले हैं कि लाल मांस स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है, जबकि पोल्ट्री कम जोखिम के साथ जुड़ी हुई मिली।
पिछले कुछ वर्षों में उपचार की संभावना होने के बावजूद कैंसर रोगियों की मृत्यु में ढाई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह है कि उन्होंने कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसे पारंपरिक उपचारों की बजाए वैकल्पिक चिकित्सा पर भरोसा किया।
अगर आपकी दिनचर्या संतुलित नहीं है, उसमें व्याएयाम और योग शामिल नहीं है, तो आपके किसी भी बीमारी की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है। ब्रेस्टक कैंसर के लिए उत्तसरदायी अन्य कारणों में ये दो कारण भी हैं। हाल ही में हुए अध्यउयन में यह सामने आया है कि ब्रेस्टद कैंसर के इलाज के बाद भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।
स्तन कैंसर साल 2030 तक किसी अन्य कैंसर की तुलना में भारत में अधिकतम महिलाओं की मृत्यु का कारण होगा। इस तरह के चौंकाने वाले आंकड़ों के बावजूद महिलाएं इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए अनिच्छुक हैं।
दुनिया भर के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की शारीरिक और मानसिक सेहत प्रभावित हो रही है। इसके सामाजिक ढांचा, आर्थिक आजादी, जानकारी का अभाव और कई बार खुद पूरे समाज की लापरवाही भी जिम्मेदार है।
महिलाओं की सबसे खराब आदत ये है कि वे अपनी सेहत के प्रति बहुत लापरवाह हो जाती हैं, जबकि कहा यह जाता है कि ‘जान है तो जहान है।‘ इसलिए जहान की फिक्र से पहले जानिए अपनी सेहत से जुड़े कुछ संवेदनशील मामलों के बारे में।
फोटो को शेयर करते हुए ताहिरा ने लिखा है, आज मेरा दिन है। हमें इस दिन को अपनी हिम्मत से सेलिब्रेट करना है।
ताजा आंकड़े बताते हैं कि हर सातवें मिनट में एक महिला कैंसर से ग्रस्त हो रही है और ज्यादातर मामलों में जब तक पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इस बीमारी का मुकाबला करना है तो जरूरी है कि समय रहते आप इसकी पहचान कर लें।
ब्रिटिश शोधकर्ताओं के मुताबिक फूलगोभी के सेवन से कैंसर के खतरे को रोका जा सकता है, इसमें मौजूद कई तरह के पोषक तत्व नयी कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं।
जब तक मरीज और उसके परिजनों को इस बीमारी के बारे में पता चलता है, वे बहुत टूट चुके होते हैं। अगर इस संदर्भ में जरा सी जागरुकता बरती जाए तो कितने ही मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
कैंसर का इलाज तीन तरह से होता है-सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद होता है, ताकि दोबारा कैंसर से बचाव हो सके। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाएं तो मर जाती हैं, लेकिन इससे स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है।
एक अध्ययन के मुताबिक, 28 में से एक महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होता है। शहरी क्षेत्रों में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 22 महिलाओं में से एक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 60 में से एक महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं।
भारत के अग्रणी स्वास्थ्य बीमा कंपनी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस ने 2014 में 23% से स्तन कैंसर के दावों में वृद्धि देखी, जो कि कुल कैंसर के दावों में से 2018 में 38% थी। यह आंकड़ा बताता है कि केवल चार वर्षों की अवधि में स्तन कैंसर के दावों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
महिलाएं आंतरिक अंगों से जुड़ी समस्याओं को लेकर चर्चा करने में संकोच करती हैं। जबकि स्तन कैंसर जैसी समस्याएं प्राणघाती भी साबित हो सकती हैं।
इस वॉकाथॉन में स्तन कैंसर से निजात पा चुकीं 16 महिलाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की थीम रही 'डर से स्वतंत्रता'