ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ 2019 : तुलसी खाएंगी तो नहीं होगा ब्रेस्ट कैंसर, जानें कैसे
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (breast cancer awareness month 2019) पर आप जानें कि कैसे तुलसी के सेवन से आप ब्रेस्ट कैंसर से बची रह सकती हैं।
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (breast cancer awareness month 2019) पर आप जानें कि कैसे तुलसी के सेवन से आप ब्रेस्ट कैंसर से बची रह सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच यह जरूरी है कि हम सभी इसके लिए सतर्क हो जाएं। खासतौर से बीस वर्ष की उम्र पार करने के बाद हर महिला को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना जरूरी है।
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' हर साल अक्टूबर में विश्वभर में मनाया जाता है। आप भी इस रोग के प्रति जागरूक होकर ब्रेस्ट कैंसर से बचने के इन जरूरी तीन स्टेप्स को अपनाएं।
कई बार बढ़ती उम्र और बढ़ते वजन के कारण भी ब्रेस्ट में फैट जमा होने लगती है। इसके अलावा भी कई ऐसी वजहें होती हैं, जो ब्रेस्ट साइज (Increasing breast size) के बढ़ने का कारण बन सकती हैं। जानें, ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' पर उन कारणों के बारे में जिनसे आपके ब्रेस्ट में अचानक बदलाव नजर आ सकता है...
अक्टूबर महीने को ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (Breast Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद है महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करना, इसके लक्षणों और उपचारों को उजागर करके स्तन कैंसर के प्रति लोगों के मन में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करना।
भारत के अग्रणी स्वास्थ्य बीमा कंपनी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस ने 2014 में 23% से स्तन कैंसर के दावों में वृद्धि देखी, जो कि कुल कैंसर के दावों में से 2018 में 38% थी। यह आंकड़ा बताता है कि केवल चार वर्षों की अवधि में स्तन कैंसर के दावों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
महिलाएं आंतरिक अंगों से जुड़ी समस्याओं को लेकर चर्चा करने में संकोच करती हैं। जबकि स्तन कैंसर जैसी समस्याएं प्राणघाती भी साबित हो सकती हैं।
इस वॉकाथॉन में स्तन कैंसर से निजात पा चुकीं 16 महिलाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की थीम रही 'डर से स्वतंत्रता'
3 डी मैमोग्राम में बेहतर नतीजों के लिए ब्रेस्ट की कई तस्वीरें विभिन्न एंगलों से ली जाती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ 2018 : बचना है ब्रेस्ट कैंसर से, तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपचार
अक्तूबर को दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है।
विभिन्न स्टडीज़ में इन सब्ज़ियों-फलों में ऐसे तत्वों की मौजूदगी की बात की गयी है जो ब्रेस्ट कैंसर के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों में युवा महिलाएं भी इसकी चपेट में आ रही हैं। ऐसे में 3डी मैमोग्राफी युवा महिलाओं में स्तन कैंसर को पकड़ने में कारगर टूल के रूप में देखी जा रही है। स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों पर
कैंसर से पीड़ित मरीज को बहुत अधिक सकारात्मकता की जरूरत होती है। उसे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक मजबूती की आवश्यकता होती है।
हाल ही में हुए एक शोध की माने तो हाई प्रोटीन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले सोया प्रोडक्ट्स ब्रेस्ट कैंसर के कारक के रूप में काम करता है।
माँ बनने वाली स्त्री के स्तनों में कई तरह के बदलाव आते हैं। यही कारण है कि ज़्यादातर स्तन कैंसर का पता एडवांस स्टेज में लगता है।
ब्रेस्ट कैंसर इस समय सबसे ज्यादा होने वाले कैंसरों में से एक है। इसको लेकर महिलाओं में जागरूकता की बेहद जरूरत होती है।
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (breast cancer awareness month 2019) पर आप जानें कि कैसे तुलसी के सेवन से आप ब्रेस्ट कैंसर से बची रह सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते जोखिम के बीच यह जरूरी है कि हम सभी इसके लिए सतर्क हो जाएं। खासतौर से बीस वर्ष की उम्र पार करने के बाद हर महिला को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करना जरूरी है।
''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' हर साल अक्टूबर में विश्वभर में मनाया जाता है। आप भी इस रोग के प्रति जागरूक होकर ब्रेस्ट कैंसर से बचने के इन जरूरी तीन स्टेप्स को अपनाएं।
कई बार बढ़ती उम्र और बढ़ते वजन के कारण भी ब्रेस्ट में फैट जमा होने लगती है। इसके अलावा भी कई ऐसी वजहें होती हैं, जो ब्रेस्ट साइज (Increasing breast size) के बढ़ने का कारण बन सकती हैं। जानें, ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' पर उन कारणों के बारे में जिनसे आपके ब्रेस्ट में अचानक बदलाव नजर आ सकता है...
अक्टूबर महीने को ''ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ'' (Breast Cancer Awareness Month) के रूप में मनाया जाता है। इसका मकसद है महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करना, इसके लक्षणों और उपचारों को उजागर करके स्तन कैंसर के प्रति लोगों के मन में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करना।
भारत के अग्रणी स्वास्थ्य बीमा कंपनी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेंस ने 2014 में 23% से स्तन कैंसर के दावों में वृद्धि देखी, जो कि कुल कैंसर के दावों में से 2018 में 38% थी। यह आंकड़ा बताता है कि केवल चार वर्षों की अवधि में स्तन कैंसर के दावों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
महिलाएं आंतरिक अंगों से जुड़ी समस्याओं को लेकर चर्चा करने में संकोच करती हैं। जबकि स्तन कैंसर जैसी समस्याएं प्राणघाती भी साबित हो सकती हैं।
इस वॉकाथॉन में स्तन कैंसर से निजात पा चुकीं 16 महिलाओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम की थीम रही 'डर से स्वतंत्रता'
3 डी मैमोग्राम में बेहतर नतीजों के लिए ब्रेस्ट की कई तस्वीरें विभिन्न एंगलों से ली जाती हैं।
विभिन्न स्टडीज़ में इन सब्ज़ियों-फलों में ऐसे तत्वों की मौजूदगी की बात की गयी है जो ब्रेस्ट कैंसर के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों में युवा महिलाएं भी इसकी चपेट में आ रही हैं। ऐसे में 3डी मैमोग्राफी युवा महिलाओं में स्तन कैंसर को पकड़ने में कारगर टूल के रूप में देखी जा रही है। स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों पर
कैंसर से पीड़ित मरीज को बहुत अधिक सकारात्मकता की जरूरत होती है। उसे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक मजबूती की आवश्यकता होती है।
हाल ही में हुए एक शोध की माने तो हाई प्रोटीन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले सोया प्रोडक्ट्स ब्रेस्ट कैंसर के कारक के रूप में काम करता है।
माँ बनने वाली स्त्री के स्तनों में कई तरह के बदलाव आते हैं। यही कारण है कि ज़्यादातर स्तन कैंसर का पता एडवांस स्टेज में लगता है।
ब्रेस्ट कैंसर इस समय सबसे ज्यादा होने वाले कैंसरों में से एक है। इसको लेकर महिलाओं में जागरूकता की बेहद जरूरत होती है।
बढ़ती उम्र के साथ कुछ महिलाओं के ब्रेस्ट में छोटी-छोटी गांठ बनने लगती हैं। ज्यादातर महिलाएं इसे ब्रेस्ट कैंसर का संकेत समझ लेती हैं जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि हर गांठ ब्रेस्ट कैंसर नहीं होता है।
इस सर्वे से ये बात तो स्पष्ट हो जाती है कि अधिक उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की संभावना तो है ही इसके साथ उनकी मौत की संभावना भी ज्यादा है।