Breastfeeding को लेकर इस Myth को करें दूर! जानें Expert की राय
मां के दूध को पीकर ही बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता है और शायद इसीलिए डॉक्टर पहले छह माह बच्चे को आहार के रूप में मां का दूध प्रेफर करते हैं.
मां के दूध को पीकर ही बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता है और शायद इसीलिए डॉक्टर पहले छह माह बच्चे को आहार के रूप में मां का दूध प्रेफर करते हैं.
World Breastfeeding Week: यहां हम आपको बता रहे हैं कि स्तनपान की कमी शिशु और मां के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।
Breastfeeding benefits for mother: ब्रेस्टफीडिंग नवजात शिशुओं के लिए बहुत जरूरी होती है और इससे बच्चों की सेहत को बहुत फायदे होते हैं। इसके साथ-साथ ब्रेस्टफीडिंग से मां को भी कई फायदे हो सकते हैं।
स्तनपान कराना ना सिर्फ बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद होता है, शिशु को स्तनपान (Breastfeeding)कराने से नहीं होती महिलाओं को गंभीर बीमारियां
गर्मियों के मौसम में जब धूप और उमस अधिक होती है और लोगों को बार-बार प्यास लगती है ऐसे में कई बार मांओं के मन में ख्याल आता है कि उन्हें बच्चे को पानी पिलाना चाहिए या नहीं। आइए जानें इस सवाल का जवाब
यह साबित हो चुका है कि लंबे समय तक स्तनपान कराने से मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है।
जानें कुछ ऐसी गम्भीर समस्याओं और बीमरियों के बारे में जो ब्रेस्टफीड ना कराने की वजह से बच्चे और मां को हो सकती हैं।
महिलाओं को स्तन में दर्द होना समान्य है. कुछ को स्तनपान कराने के दौरान ये दर्द सहना पड़ता है, तो किसी को किसी और कारण की वजह से दर्द झेलना पड़ता है. इस दर्द का उपचार नेचुरल तरीके से होना संभव है.
Breastfeeding Diet Myths: बच्चे को स्तनपान करवाने के दौरान खान-पान से जुड़ी काफी सारी भ्रामक बातें हमारे आस-पास फैली हुई हैं। ऐसे में एक्सपर्ट से जानते हैं इनके तथ्य।
Ways to Increase Breast Milk Naturally: आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर ऐश्वर्या संतोष ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए 3 घरेलू औषधियों के बारे में बताया है जिसके माध्यम से ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाया जा सकता है।
बच्चे के लिए मां का दूध बहुत आवश्यक होता है। आज हम जानेंगे कि ब्रेस्ट फीड क्या आप 6 महीने के बाद भी करा सकती है या नहीं।
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ब्रेस्टफीडिंग शिशुओं के विकास के लिए बेहद आवश्यक होती है. ब्रेस्टफीडिंग की वजह से शिशु के साथ महिलाओं को भी होते हैं कई फायदे.
ऐसे दावे किए जाते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली मांओं का वजन नियंत्रण में रहता है। आइए जानें क्या सचमुच ऐसा करने से वेट लॉस होता है या यह एक मिथक है। (Breastfeeding And Weight Loss)
मध्य प्रदेश में हर वर्ष लगभग 6 लाख नवजात शिशुओं को जीवन के पहले 6 महीने ठीक तरीके से मां का दूध भी प्राप्त नहीं होता।(Lack of exclusive breastfeeding in Madhya Pradesh)
शरीर में विटामिन-ए की कमी है, तो इससे आपको रंतौंधी हो सकती है। रतौंधी एक ऐसी समस्या है, जिससे अंधेरे में दिखाई देती है। इसके साथ ही आंखों में आंसू आना, आंखों नें सूजन होना, नजर कमजोर होना, स्किन में रूखापन जैसी समस्याएं होने लगती है। इसलिए महिलाओं को अपने शरीर में विटामिन्स की कमी नहीं होने देगी चाहिए। इससे बच्चों के समुचित विकास पर इसका असर पड़ता है। विटामिन एक की कमी को दूर करने के लिए आप इन चीजों को खाने में शामिल कर सकते हैं।
एक नयी स्टडी में ब्रेस्टफीडिंग के एक नये फायदे के बारे में बताया गया है। इस स्टडी के अनुसार, बच्चे को दूध पिलाने से ब्रेस्टफीडिंग मदर को पोस्टपार्टम डायबिटीज़ (maternal postpartum diabetes) का ख़तरा कम होता है। साउथ कोरियन रिसर्चर्स ने इस स्टडी के दौरान पाया गया कि, लैक्टेशन से इंसुलिन सीक्रेशन करने वाली पैनिक्रिएटिक बीटा सेल्स (insulin-secreting pancreatic beta cells) और सेरोटोनिन (serotonin) के उत्पादन में मदद करता है।
कोरोना वायरस से अपने बच्चे को बचाना है? तो उसे कराएं ब्रेस्टफीड, जानें एक्सपर्ट्स ने क्यों दी यह सलाह
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स्तनपान कराना ना सिर्फ बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद होता है, शिशु को स्तनपान (Breastfeeding)कराने से नहीं होती महिलाओं को गंभीर बीमारियां
गर्मियों के मौसम में जब धूप और उमस अधिक होती है और लोगों को बार-बार प्यास लगती है ऐसे में कई बार मांओं के मन में ख्याल आता है कि उन्हें बच्चे को पानी पिलाना चाहिए या नहीं। आइए जानें इस सवाल का जवाब
यह साबित हो चुका है कि लंबे समय तक स्तनपान कराने से मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है।
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महिलाओं को स्तन में दर्द होना समान्य है. कुछ को स्तनपान कराने के दौरान ये दर्द सहना पड़ता है, तो किसी को किसी और कारण की वजह से दर्द झेलना पड़ता है. इस दर्द का उपचार नेचुरल तरीके से होना संभव है.
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बच्चे के लिए मां का दूध बहुत आवश्यक होता है। आज हम जानेंगे कि ब्रेस्ट फीड क्या आप 6 महीने के बाद भी करा सकती है या नहीं।
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ऐसे दावे किए जाते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली मांओं का वजन नियंत्रण में रहता है। आइए जानें क्या सचमुच ऐसा करने से वेट लॉस होता है या यह एक मिथक है। (Breastfeeding And Weight Loss)
मध्य प्रदेश में हर वर्ष लगभग 6 लाख नवजात शिशुओं को जीवन के पहले 6 महीने ठीक तरीके से मां का दूध भी प्राप्त नहीं होता।(Lack of exclusive breastfeeding in Madhya Pradesh)
शरीर में विटामिन-ए की कमी है, तो इससे आपको रंतौंधी हो सकती है। रतौंधी एक ऐसी समस्या है, जिससे अंधेरे में दिखाई देती है। इसके साथ ही आंखों में आंसू आना, आंखों नें सूजन होना, नजर कमजोर होना, स्किन में रूखापन जैसी समस्याएं होने लगती है। इसलिए महिलाओं को अपने शरीर में विटामिन्स की कमी नहीं होने देगी चाहिए। इससे बच्चों के समुचित विकास पर इसका असर पड़ता है। विटामिन एक की कमी को दूर करने के लिए आप इन चीजों को खाने में शामिल कर सकते हैं।
एक नयी स्टडी में ब्रेस्टफीडिंग के एक नये फायदे के बारे में बताया गया है। इस स्टडी के अनुसार, बच्चे को दूध पिलाने से ब्रेस्टफीडिंग मदर को पोस्टपार्टम डायबिटीज़ (maternal postpartum diabetes) का ख़तरा कम होता है। साउथ कोरियन रिसर्चर्स ने इस स्टडी के दौरान पाया गया कि, लैक्टेशन से इंसुलिन सीक्रेशन करने वाली पैनिक्रिएटिक बीटा सेल्स (insulin-secreting pancreatic beta cells) और सेरोटोनिन (serotonin) के उत्पादन में मदद करता है।
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गर्मियां अब जा चुकी हैं पर मॉनसून के संक्रमण अभी बचे हैं। इसी बीच सर्दियों ने भी दस्तक दे दी है। इस मिलेजुले मौसम में बेबीज को एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है।
ब्रेस्टफीडिंग को एक बहुत ही पर्सनल विषय मानते हुए लोग उम्मीद करते हैं कि मांएं अपने बच्चे को दूध पिलाते समय किसी के सामने ना पड़े। लेकिन, अब महिलाओं ने मॉल, रेल्वे स्टेशन और ऑफिस जैसे सार्वजनिक स्थानों पर ब्रेस्टफीडिंग स्पॉट बनाने की मांग करने लगी हैं।
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल दो करोड़ से अधिक शिशुओं का वजन जन्म के समय 2.5 किलोग्राम से कम रहता है और दुर्भाग्य से इनमें से 96 प्रतिशत विकासशील देशों में हैं। बचपन में इन शिशुओं में सामान्य विकास में कमी, संक्रामक बीमारी, धीमी वृद्धि और मृत्यु होने का जोखिम अधिक होता है। ऐसे पर्याप्त प्रमाण मिले हैं जिनसे इन शिशुओं में जीवन के प्रथम 24 घंटों में स्तनपान का महत्व उजागर होता है। जिन शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाता है, उनमें उन बच्चों के मुकाबले मृत्यु दर कम देखने को मिली है, जिन्हें 24 घंटे बाद स्तनपान कराया जाता है।
Ways to Increase Breast Milk Naturally: आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर ऐश्वर्या संतोष ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए 3 घरेलू औषधियों के बारे में बताया है जिसके माध्यम से ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाया जा सकता है।
स्तनपान कराने वाली महिला अगर गंभीर बीमारियों जैसे - कैंसर, एचआईवी से ग्रस्त हो तो यह खतरनाक हो सकती है. धूम्रपान, अल्कोहल या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने वाली महिला से बच्चे को वेट नर्सिंग या ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना चाहिए. इसके अलावा किसी तरह की रेगुलर दवा का सेवन अगर महिला करती है तो स्तनपान खतरनाक हो सकता है.
मां और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग बढ़ाने का सबसे बढि़या तरीका है यह।
मां के दूध को पीकर ही बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता है और शायद इसीलिए डॉक्टर पहले छह माह बच्चे को आहार के रूप में मां का दूध प्रेफर करते हैं.
ब्रेस्टफीडिंग शिशुओं के विकास के लिए बेहद आवश्यक होती है. ब्रेस्टफीडिंग की वजह से शिशु के साथ महिलाओं को भी होते हैं कई फायदे.