जानें क्यों और कैसे लगा तंदूरी रोटी पर बैन, हैरान कर देगी वजह, Watch Video
तंदूर रोटी खाई तो 5 लाख तक का जुर्माना आपको भरना पड़ सकता है. क्योंकि सरकार ने तंदूर को बैन कर दिया है.
तंदूर रोटी खाई तो 5 लाख तक का जुर्माना आपको भरना पड़ सकता है. क्योंकि सरकार ने तंदूर को बैन कर दिया है.
ऐसा अनुमान है कि अगले 3-4 दिनों तक हवा यूं ही प्रदूषित रहेगी। ऐसे में ट्वीन टॉवर के आसपास की बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों के घरों में धूल-मिट्टी और प्रदूषण के कण हवा के साथ पहुंचेंगे और इससे उनके स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़ सकता है।
एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण और खराब एयर क्वालिटी के कारण स्वास्थ्य संकट बढ़ा है और यहां के लोगों की औसत उम्र भी कम हो रही है।
प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है और इस वर्ष इस विशेष दिन की थीम ((World Health Day 2022 Theme) है- ऑवर प्लानेट ऑवर हेल्थ जिसका मतलब है कि अपनी धरती, अपना स्वास्थ्य।
इस शोध के अनुसार, प्रेगनेंट महिलाओं पर वायु प्रदूषण का बुरा असर तो पड़ता ही है साथ ही उनके अजन्मे बच्चे पर इसके दुष्परिणामों के कारण जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है।
एक नयी स्टडी के अनुसार, प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले लोगों में कोविड संक्रमण होने के बाद उनकी स्थिति गम्भीर होने या मृत्यु का खतरा दूसरों से अधिक रहता है। (Air Pollution And Covid-19 Infected Patients )
एनसीआर में लगातार हवा की गुणवत्ता खराब होने से रेटिना की समस्या हो सकती है और आंखों की रोशनी कम होने की दर बढ़ सकती है। वायु प्रदूषण से आंखों को क्या नुकसान पहुंचता है और किस तरह रखें आंखों को सुरक्षित, बता रहे हैं एक्सपर्ट....
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह वायु प्रदूषण की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन मीटिंग आयोजित करें।
बाजारों में दिवाली की शॉपिंग के लिए भारी तादाद में लोग नजर आ रहे हैं। कोरोना के मामले इस त्योहार को सेलिब्रेट करने में बढ़े ना, इसके लिए सभी कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करना भी जरूरी है। एक्सपर्ट बता रहे हैं दिवाली पर किस तरह से पटाखे पहुंचाते हैं पर्यावरण और सेहत को नुकसान...
ठंड के मौसम में देश के उत्तरी भाग और खासकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में स्मॉग, धुआं और कोहरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। (Ban On Firecrackers In Delhi)
वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाले बच्चों के जीवन में बाद में खुद को नुकसान पहुंचाने की संभावना 50 प्रतिशत तक अधिक होती है। यह बात एक अध्ययन से सामने आया है।
Environment Side Effects: बिगड़ते पर्यावरण संतुलन, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते औद्योगिककरण (Industrialization) की वजह से शुद्ध हवा में कमी आना, जिससे अस्थमा, सांस और फेफड़ों से संबंधित बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है।
प्रत्येक वर्ष ''विश्व पर्यावरण दिवस 2021'' का एक थीम होता है, जो विशेष रूप से पर्यावरणीय चिंता की ओर ध्यान आकर्षित करता है। इस वर्ष का थीम रीइमैजिन, रीक्रिएट, रीस्टोर (Reimagine, Recreate, Restore) है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सांस संबधी बीमारियों के मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है। जैसा कि हवा में प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रदूषित हवा से ऐसे लोगों को जो स्मोकिंग नहीं करते हैं या जिनकी प्री-अस्थमेटिक कंडीशन है, साइनसाइटिस, एलर्जिक राइनाइटिस, ब्रोंकाइटिस और सांस लेने में परेशानियां महसूस हो सकती हैं।
सर्दी हमें गर्म और पसीने वाले दिनों से राहत देती है, लेकिन यह स्वास्थ्य समस्याओं की भी अधिकता लाती है, खासकर हमारी आंखों के लिए, क्योंकि शांत और ठंडा मौसम हवा में प्रदूषण को भारी बनाता है। और चिंता की बात यह है कि हर साल स्मॉग की गंभीरता राजधानी शहर और आसपास के इलाकों में बढ़ती जा रही है। आश्चर्यजनक रूप से, कई लोगों ने चंद्रमा को इस करवा-चौथ को देखने में असमर्थता की भी शिकायत की, क्योंकि चंद्रमा धुंधले धुएं से ढंका था।
यह दावे ज़रूर किए जा रहे हैं कि लम्बे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले लोगों में फेफड़ों के जुड़े इंफेक्शन्स का खतरा अधिक बढ़ जाता है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस कमज़ोर फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर सबसे पहले हमला करता है। ऐसे में वायु प्रदूषण के कारण संक्रमण बढ़ने का डर भी पैदा हो गया है।
हर साल की तरह एक बार फिर से ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ प्रदूषण का स्तर (Side effects of Air Pollution) बढ़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर से फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है, ऐसे में जिन्हें पहले से ही फेफड़ों के रोग हैं, उन्हें अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होगी।
हाल ही में एक रिसर्च में यह बात सामने आयी कि नवजात शिशुओं पर वायु प्रदूषण और कोविड-19 का बुरा असर पड़ता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बाहरी और घर के अंदर के वायु प्रदूषण के कारण साल 2019 में 1 महीने से छोटी उम्र के लगभग 1.16 लाख बच्चों की मौत हुई है। (Infant Deaths in India in hindi)
ऐसा अनुमान है कि अगले 3-4 दिनों तक हवा यूं ही प्रदूषित रहेगी। ऐसे में ट्वीन टॉवर के आसपास की बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों के घरों में धूल-मिट्टी और प्रदूषण के कण हवा के साथ पहुंचेंगे और इससे उनके स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़ सकता है।
एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण और खराब एयर क्वालिटी के कारण स्वास्थ्य संकट बढ़ा है और यहां के लोगों की औसत उम्र भी कम हो रही है।
प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है और इस वर्ष इस विशेष दिन की थीम ((World Health Day 2022 Theme) है- ऑवर प्लानेट ऑवर हेल्थ जिसका मतलब है कि अपनी धरती, अपना स्वास्थ्य।
इस शोध के अनुसार, प्रेगनेंट महिलाओं पर वायु प्रदूषण का बुरा असर तो पड़ता ही है साथ ही उनके अजन्मे बच्चे पर इसके दुष्परिणामों के कारण जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है।
एक नयी स्टडी के अनुसार, प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले लोगों में कोविड संक्रमण होने के बाद उनकी स्थिति गम्भीर होने या मृत्यु का खतरा दूसरों से अधिक रहता है। (Air Pollution And Covid-19 Infected Patients )
एनसीआर में लगातार हवा की गुणवत्ता खराब होने से रेटिना की समस्या हो सकती है और आंखों की रोशनी कम होने की दर बढ़ सकती है। वायु प्रदूषण से आंखों को क्या नुकसान पहुंचता है और किस तरह रखें आंखों को सुरक्षित, बता रहे हैं एक्सपर्ट....
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह वायु प्रदूषण की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन मीटिंग आयोजित करें।
बाजारों में दिवाली की शॉपिंग के लिए भारी तादाद में लोग नजर आ रहे हैं। कोरोना के मामले इस त्योहार को सेलिब्रेट करने में बढ़े ना, इसके लिए सभी कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करना भी जरूरी है। एक्सपर्ट बता रहे हैं दिवाली पर किस तरह से पटाखे पहुंचाते हैं पर्यावरण और सेहत को नुकसान...
ठंड के मौसम में देश के उत्तरी भाग और खासकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में स्मॉग, धुआं और कोहरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। (Ban On Firecrackers In Delhi)
वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाले बच्चों के जीवन में बाद में खुद को नुकसान पहुंचाने की संभावना 50 प्रतिशत तक अधिक होती है। यह बात एक अध्ययन से सामने आया है।
Environment Side Effects: बिगड़ते पर्यावरण संतुलन, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते औद्योगिककरण (Industrialization) की वजह से शुद्ध हवा में कमी आना, जिससे अस्थमा, सांस और फेफड़ों से संबंधित बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सांस संबधी बीमारियों के मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है। जैसा कि हवा में प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रदूषित हवा से ऐसे लोगों को जो स्मोकिंग नहीं करते हैं या जिनकी प्री-अस्थमेटिक कंडीशन है, साइनसाइटिस, एलर्जिक राइनाइटिस, ब्रोंकाइटिस और सांस लेने में परेशानियां महसूस हो सकती हैं।
सर्दी हमें गर्म और पसीने वाले दिनों से राहत देती है, लेकिन यह स्वास्थ्य समस्याओं की भी अधिकता लाती है, खासकर हमारी आंखों के लिए, क्योंकि शांत और ठंडा मौसम हवा में प्रदूषण को भारी बनाता है। और चिंता की बात यह है कि हर साल स्मॉग की गंभीरता राजधानी शहर और आसपास के इलाकों में बढ़ती जा रही है। आश्चर्यजनक रूप से, कई लोगों ने चंद्रमा को इस करवा-चौथ को देखने में असमर्थता की भी शिकायत की, क्योंकि चंद्रमा धुंधले धुएं से ढंका था।
यह दावे ज़रूर किए जा रहे हैं कि लम्बे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले लोगों में फेफड़ों के जुड़े इंफेक्शन्स का खतरा अधिक बढ़ जाता है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस कमज़ोर फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर सबसे पहले हमला करता है। ऐसे में वायु प्रदूषण के कारण संक्रमण बढ़ने का डर भी पैदा हो गया है।
हर साल की तरह एक बार फिर से ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ प्रदूषण का स्तर (Side effects of Air Pollution) बढ़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर से फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है, ऐसे में जिन्हें पहले से ही फेफड़ों के रोग हैं, उन्हें अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होगी।
हाल ही में एक रिसर्च में यह बात सामने आयी कि नवजात शिशुओं पर वायु प्रदूषण और कोविड-19 का बुरा असर पड़ता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बाहरी और घर के अंदर के वायु प्रदूषण के कारण साल 2019 में 1 महीने से छोटी उम्र के लगभग 1.16 लाख बच्चों की मौत हुई है। (Infant Deaths in India in hindi)
वायु प्रदूषण के तत्व, विशेष रूप से पीएम 2.5, बड़े पैमाने पर हृदय रोग के लिए खतरा उत्पन्न करता है। दिल्ली में एक नए शोध ने हाई ब्लडप्रेशर (High blood pressure) और हाइपरटेंशन पर पीएम 2.5 के अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव के वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत किए हैं।
Foods to beat air pollution: हमारी रसोई में मौजूद कुछ चीज़ें पोल्यूशन या प्रदूषण के साइड-इफेक्ट्स से शरीर को बचाने में कारगर हैं। ये, ना केवल हवा में फैले प्रदूषण से शरीर की रक्षा करते हैं। बल्कि, श्वसन प्रक्रिया में आने वाली परेशानिय़ों को भी कम करते हैं। जो, सर्दियों के मौसम में काफी आम हैं।
प्रत्येक वर्ष ''विश्व पर्यावरण दिवस 2021'' का एक थीम होता है, जो विशेष रूप से पर्यावरणीय चिंता की ओर ध्यान आकर्षित करता है। इस वर्ष का थीम रीइमैजिन, रीक्रिएट, रीस्टोर (Reimagine, Recreate, Restore) है।
तंदूर रोटी खाई तो 5 लाख तक का जुर्माना आपको भरना पड़ सकता है. क्योंकि सरकार ने तंदूर को बैन कर दिया है.
वायु प्रदूषण से होने वाले सेहत को नुकसान से खुद को बचाए रखने के लिए क्या-क्या सावधानियां हमें बरतनी चाहिए, जानें एक्सपर्ट की सलाह इस वीडियो में...