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जागरुकता के बावजूद लोग नहीं करना चाहते कॉन्‍डम का इस्‍तेमाल, जानिए क्‍यों

जागरुकता के बावजूद लोग नहीं करना चाहते कॉन्‍डम का इस्‍तेमाल, जानिए क्‍यों
यौन रोग और गर्भधारण से बचने का सबसे सेफ तरीका है कॉन्‍डम। इसके बावजूद लोग इसके इस्‍तेमाल से कतराते हैं। हाल के दिनों में जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें युवाओं में कॉन्‍डम इस्‍तेमाल करने में 52 फीसदी की गिरावट आई है। ©Shutterstock.

यौन रोग और गर्भधारण से बचने का सबसे सेफ तरीका है कॉन्डम। इसके बावजूद लोग इसके इस्तेमाल से कतराते हैं। हाल के दिनों में जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें युवाओं में कॉन्म इस्तेमाल करने में 52 फीसदी की गिरावट आई है।

Written by Editorial Team |Updated : March 2, 2019 1:58 PM IST

एक तरफ सेक्‍स के प्रति युवाओं की सक्रियता बढ़ रही है, तो वहीं यौन रोगों में भी इजाफा हो रहा है। इसके लिए बहुत हद तक लापरवाही ही जिम्‍मेदार है। यौन रोग और गर्भधारण से बचने का सबसे सेफ तरीका है कॉन्ड म। इसके बावजूद लोग इसके इस्ते माल से कतराते हैं। हाल के दिनों में जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें युवाओं में कॉन्ड म इस्ते माल करने में 52 फीसदी की गिरावट आई है।

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ये हैं कारण

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युवाओं की मानें, तो कॉन्डम उन्हें असहजता का अहसास करवाता है। सेक्स के दौरान तमाम कामों में आप कॉन्डम लगाकर एंजॉय नहीं कर सकते हैं। उससे न तो फीलिंग आती है और न ही फुल एंजॉयमेंट हो पाता है। युवाओं की यह धारणा है कि कॉन्डम लगाने का असल मकसद यही होता था कि कहीं पाटर्नर प्रैग्नेंट न हो जाए। लेकिन अब चूंकि आई पिल और कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स जैसी तमाम सुविधाएं मिल जाती हैं, तो वे कॉन्डऔम के प्रयोग पर ध्या न नहीं देते।

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विज्ञापनों के बावजूद कम हुई जागरुकता

टीवी से लेकर अखबारों, यहां तक बैनरों और होर्डिंग्‍स पर भी कॉन्‍डम के बहुत महंगे और बड़े विज्ञापन किए जा रहे हैं। इसके बावजूद युवाओं का रुझान इस ओर कम हुआ है। पहले जहां कॉन्‍डम एक ही तरह की हुआ करती थी, वहां अब इसमें विविधता आई है। एक्‍सीडेंटल सेक्‍स या अचानक हुए सेक्‍स संबंधों में इस ओर बेहद लापरवाही वाला रवैया रहता है। इस बारे युवाओं का कहना है कि वे हर समय तो कॉन्‍डम लेकर नहीं घूम सकते। इसलिए ऐसी स्थिति में वे पारंपरिक तरीकों से काम चलाते हैं। जबकि ये तरीके गर्भधारण और यौन रोगों को रोकने में शत प्रतिशत सफल नहीं होते।

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और भी है तरीके

कॉन्डम का इस्तेमाल करना कहीं उनमें हीनता का भाव तो नहीं भरता है? इसके जवाब में युवाओं का कहना है कि वे जानते हैं कि कॉन्डम लगाना सुरक्षा का सवाल है। पर अब सुरक्षा के दूसरे कई असरदार तरीके भी हमारे पास हैं, तो इसलिए उनका इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसे लगाने से कोई मर्दानगी कम हो जाती है या किसी तरह की हीनता आती है। कॉन्डम का इस्तेमाल न करना अब ट्रेंड बन गया है। ये सच है कि इसे लगाने पर ऐसा लगता है कि हम थोड़ा सा डर रहे हैं। लेकिन इन बातों को सुरक्षा के सामने तवज्जो नहीं दी जा सकती है।

महिलाओं में बढ़ी है जागरुकता

इसकी एक वजह महिलाओं में सेक्‍स के प्रति जागरुकता का बढ़ना भी है। वे जानती हैं कि आईपिल लेकर प्रैग्नेंसी से बचा जा सकता है, इसलिए वह कॉन्डम का इस्तेमाल जरूर नहीं समझती। अगर डॉक्टर की मानें, तो पिछले कुछ सालों में प्रीमैरिटल प्रैग्नेंसी के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्डम के इस्तेमाल में आई कमी की वजह से पिछले 8 सालों में देशभर में अबॉर्शन्स की संख्या भी दोगुनी हो गई है। बहुत से मामलों में तो महिलाएं अबॉर्शन के लिए डॉक्टर के पास भी नहीं जातीं और खुद ही दवाइयां खाकर अनचाहे गर्भ को खत्म करने की कोशिश करती हैं, जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। आईपिल का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट होता है कि आपकी प्रेग्नेंसी ट्यूब में ठहर जाती है। यूटरस का जो हिस्सा है, वह थोड़ा अलग हो जाता है, तो वहां बेबी आ नहीं पाता है और आईपिल की वजह से वह ट्यूब में ही ठहरा रह जाता है। तो इस तरह ट्यूब को भी नुकसान पहुंचता है।