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बर्थ कंट्रोल पिल्स या गर्भनिरोधक गोलियां प्रेगनेंसी से बचने का सबसे असरदार और सबसे आसान तरीका है। लेकिन इसे इस्तेमाल करनेवाले लोग इसे लेकर थोड़े असमंजस में भी रहते हैं। दरअसल अक्सर महिलाओं को इन गोलियों के बारे में बहुत-सी ऐसी बातें बतायी जाती हैं जो सही नहीं हैं। यहां हम बात कर रहे हैं गर्भनिरोधक गोलियों से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों के बारे में जो अक्सर महिलाएं पूछती हैं। तो आप जानना चाहते हैं कि क्या स्तनपान कराने वाली माएं गर्भनिरोधक गोलियां ले सकती हैं?
बिना डॉक्टरी सलाह के मेडिकल स्टोर से गर्भ निरोधक गोलियां खरीदी जा सकती हैं।
यह बात कुछ हद तक सही भी है। ऐसी महिलाएं जिन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है और वह किसी प्रकार की दवाएं नहीं खा रहीं वे इन गोलियों को बिना डॉक्टरी सलाह के भी ले सकती हैं। लेकिन डायबिटीज़, हाइपरटेंशन या थायरॉइड की समस्या से जूझ रहीं महिलाओं को ये दवाएं खाने से पहले एक बार डॉक्टर से ज़रूर बात करनी चाहिए। यह सलाह दे रहीं हैं, कोहिनूर हॉस्पिटल, मुंबई की कंसल्टेंट गाइनकलॉजिस्ट डॉ. अंजली तलवलकर।
साथ ही जिन महिलाओं को लीवर से जुड़ी तकलीफें या कोऐग्यलैशन (coagulation) है उन्हें डॉक्टर से अच्छी तरह सलाह-मशविरा करने के बाद ही ये दवाएं खानी चाहिए। डॉ. अंजली ने बताया कि, ‘अगर कोई महिला पहले से किसी बीमारी की दवा खा रही है तो इन गर्भनिरोधक गोलियों से उसकी समस्या और भी गंभीर हो सकती है। इसीलिए डॉक्टर से सलाह लिए बगैर इन दवाओं का सेवन न करें’। जानिए अनचाही प्रेगनेंसी से बचने के लिए कौन-सा तरीका है बेस्ट
गर्भनिरोधक गोलियों से वजन बढ़ता या घटता है।
ज़्यादातर गर्भनिरोधक गोलियां बनती हैं एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन से। एस्ट्रोजन की अधिक मात्रा से जल अवरोधन या वॉटर रिटेंशन (water retention) और शरीर फूलने जैसे परिणाम दिखायी पड़ते हैं और इसे ही मोटापे के तौर पर जाना जाता है। डॉ. अंजली तलवलकर कहती हैं कि आधुनिक गोलियों में कम हार्मोन्स होते हैं जिनसे महिलाओं को साउड-इफेक्ट्स नहीं होते। लेकिन मोटापे जैसी समस्याओं के कारण जिन महिलाओं के मेटाबॉलिज़्म में बदलाव आ गया है उन्हें इन गोलियों के साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। लेकिन डॉ. अंजली तलवलकर कहती हैं कि यह बहुत गंभीर समस्याएं नहीं हैं और इन्हें डॉक्टर और दवा के सही डोज़ की मदद से ठीक किया जा सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियों का असर फर्टिलिटी पर पड़ता है।
सच तो यह है कि गर्भनिरोधक गोलियों में मौजूद कम हार्मोन्स की वजह से अनियमित और असंतुलित हार्मोन्स को नियंत्रित किया जा सकता है और फर्टिलिटी में भी सुधार हो सकता है। अगर आप प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं तो दवाओं का सेवन बंद करने के बाद 2-3 महीने तक इंतज़ार करना चाहिए। लेकिन कुछ लोगों को धीरज से काम लेने की ज़रूरत पड़ सकती है। क्योंकि कभी-कभी गर्भधारण में छह महीने तक का भी समय लग सकता है।
लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां खाने के साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं।
गर्भनिरोधक गोलियों का सबसे आम साइड-इफेक्ट है शरीर का फूलना, वज़न बढ़ना, उबकाई, सरदर्द और मूड स्विंग। हालांकि यह समस्याएं कुछ समय के लिए ही होती हैं जो धीरे-धीरे ठीक हो जाती हैं। आधुनिक बर्थ कंट्रोल पिल्स में बहुत कम हार्मोन्स होते हैं जिनके साइड-इफेक्ट भी कम होते हैं। जिन साइड-इफेक्ट्स की बात यहां की जा रही है नयी गोलियों के तुलना में पुरानी दवाओं में उनकी संभावना कहीं अधिक थी।
इसके अलावा आज बाज़ार में विभिन्न प्रकार की गोलियां उपलब्ध हैं। जिन साइड-इफेक्ट्स के नाम पर आपको डराया जाता है अगर वे सचमुच इन गोलियों की वजह से दिखायी दें तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें। गोलियों की मात्रा और डोज़ में बदलाव से आपको इन परेशानियों से निपटने में आसानी होगी। यह कहना है डॉ.तलवलकर का जिनके मुताबिक आमतौर पर बर्थ कंट्रोल पिल्स या गर्भनिरोधक गोलियों की शुरुआत करने के बाद 2-3 महीनों में साइड-इफेक्टस् के ये लक्षण ठीक हो जाते हैं।
बर्थ कंट्रोल पिल्स से पीरियड्स देरी से आते हैं।
हालांकि इस मिथक को सच साबित करना काफी मुश्किल है। लेकिन बर्थ कंट्रोल पिल्स का आपके पीरियड्स पर असर पड़ता ही है। लेकिन दूसरी तरफ इन गोलियों की मदद से अगर आपको हार्मोन्स का असंतुलन हो तो वह ठीक हो सकता है और आपके अनियमित पीरियड्स सही तरीके से हो सकते हैं। डॉ. अंजली तलवलकर इस बारे में बताती हैं कि अगर इन दवाओं का सेवन शुरु करने के बाद आपको पीरियड्स में किसी तरह का बदलाव महसूस हो तो सुरक्षा और तसल्ली के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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अनुवादक -Sadhna Tiwari
चित्र स्रोत- Shutterstock