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अभी तक समाज में तलाक को लेकर एक अलग तरह की मानसिकता है। हालांकि परिवार और कानून दोनों ही इसे एक बुराई मानते हैं। पर कभी-कभी यह रिश्तों में बहुत कुछ बुरा घटने से बचा लेता है। रिश्तों में छोटी-मोटी नोकझोंक चलती रहती है। पर जानें कब जरूरी हो जाता है खटास भरे रिश्ते से बाहर निकल आना।
जब हो जाए किसी तीसरे की एंट्री
जब पति-पत्नी के बीच ‘तीसरा’ मौजूद हो तो पति हो या पत्नी, किसी के लिए भी बेवफाई का गम सहना आसान नहीं होता। पति-पत्नी के बीच इस मसले पर झगड़े बढ़ते हैं और बात मरने मारने तक पहुंच जाती है। समझदारी इसी में है कि ऐसे हालात में दोनों आपसी सहमति से अलग हो जाएं।
जब लगे सबकुछ अनफिट
कई दफा परिस्थितिवश बेमेल जोड़े बन जाते हैं। पति पत्नी की आदतें, विचार, जीवन के प्रति नजरिया, स्टेटस, शिक्षा वगैरह सब अलग-अलग होते हैं। उन के मन भी नहीं मिलते। अगर लंबे समय तक साथ रहने के बाद भी आपको ऐसा लग रहा है कि मन नहीं मिल पाएंगे, तो ऐसे में उम्र भर खुद को या परिस्थितियों को कोसते रहने से बेहतर है तलाक ले कर मनपसंद साथी के साथ नया जीवन शुरू करें।
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जब जिंदगी पर बन आए
कभी-कभी रिश्तों में इतनी कड़वाहट भर जाती है कि पति पत्नी के लिए एक ही छत के नीचे रहना कठिन हो जाता है। रोज रोज के लड़ाई झगड़ों से उन का दम घुटने लगता है। इसका बुरा असर काम और बच्चों पर भी पड़ता है। ऐसे में जीवन को बिखरने से बचाने के लिए बुरी यादों को अलविदा कहना जरूरी है।
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जब लगने लगे बोझ
जब वैवाहिक जिंदगी बोझ बन जाए तो उस बोझ को उतार देना ही बेहतर है। तलाक के बाद परेशानियां आएंगी पर मन में विश्वास रखिए कि लंबी काली सुरंग का दूसरा सिरा रोशनी में खुलता है। यदि आप धैर्य और समझदारी से काम लेंगे तो कोई वजह नहीं कि परेशानियां खुद हार मान लें। तलाक यदि दलदल है तो गंद तो लगेगा ही पर प्रयास किया जाए तो इस दलदल से उबरना नामुमकिन नहीं।