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महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या इन दिनों बहुत आम हो चुकी है। जिसका मुख्य कारण है शरीर में हार्मोन्स का संतुलन ठीक न होना। एक महिला की मासिक धर्म की साइकिल 22 से 38 दिनों के बीच होती है। अगर हम महिला को हर महीने एक ही समय पर पीरियड्स आते हैं, तो यह अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाता है। लेकिन अगर पीरियड्स अनियमित रहते हैं, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। आमतौर पर जब एक महिला को पीरियड्स नहीं आते हैं, तो इसका सबसे पहला कारण प्रेगनेंसी को माना जाता है। क्योंकि पीरियड्स रुकना प्रेगनेंसी के प्रमुख लक्षणों में से एक है। लेकिन कुछ महिलाओं के पीरियड्स तो मिस हो जाते हैं, लेकिन उनका प्रेगनेंसी टेस्ट निगेटिव आता है। ऐसे में वे इस बात को लेकर काफी परेशान हो जाती हैं कि आखिर उनके साथ ऐसा होने का क्या कारण है। वे पीरियड्स मिस होने के कई दिन बाद तक बार-बार प्रेगनेंसी टेस्ट करती रहती हैं, लेकिन प्रेगनेंसी का पता नहीं चल पाता है। ऐसे में वे अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित महसूस करने लगती हैं।
अब सवाल यह है कि आखिर प्रेगनेंसी न होने पर भी पीरियड्स मिस क्यों हो जाते हैं? आखिर पीरियड्स के अनियमित या देर से होने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. युवराज जड़ेजा की मानें, तो हमेशा पीरियड्स मिस होना प्रेगनेंसी का कारण नहीं होता है, बल्कि इसके लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। एक इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने प्रेगनेंसी के अलावा पीरियड मिस होने के लिए जिम्मेदार 6 कारण बताए हैं। इस लेख में हम आपको इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं...
डॉ. युवराज के अनुसार, अगर आपके पीरियड्स 2-3 दिन लेट हो जाते हैं, तो इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। हो सकता है कि आपको जल्द ही पीरियड्स होने वाले हों। क्योंकि कई अन्य कारणों की वजह से भी आप पीरियड्स में देरी का अनुभव कर सकते हैं। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आमतौर प्रेगनेंसी के अलावा पीरियड मिस होने के लिए जिम्मेदार कारणों में शामिल हैंं....
जब हम बीमार होते हैं या किसी क्रोनिक बीमारी, बुखार और अन्य किसी समस्या से पीड़ित होते हैं, तो इससे हार्मोन और मेंस्ट्रुअल साइकिल भी प्रभावित होती है।
तनाव लेने से हमारे शरीर पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, यह स्वास्थ्य के लिए हमारी सोच से कहीं अधिक नुकसानदायक हो सकता है। यह सिर्फ आपके शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभाव करता है। अगर कोई महिला लंबे समय से तनाव से जूझ रही है, तो वह अनियमित पीरियड्स का सामना करना सकती है।
पीसीओएस या पीसीओडी जैसी हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्याएं पहले की तुलना में आजकल की महिलाओं में अधिक देखने को मिल रहा है। हालांकि, पीसीओएस वाली महिलाएं दवा के साथ स्वस्थ आहार और नियमित एक्सरसाइज करके इस स्थिति को कंट्रोल करने और मासिक धर्म को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
चिंता, तनाव और अवसाद से राहत के लिए ली जाने वाली दवाएं मासिक धर्म में देरी कर सकती हैं। आप जो एसिडिटी से बचने के लिए दवा लेते हैं, वह भी आपके पीरियड्स की साइकिल को प्रभावित कर सकता है।
अगर आपके वजन में तेजी से बदलाव (घटना या बढ़ना) देखने को मिल रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आपके शरीर में वजन में होने वाला परिवर्तन शरीर में फैट की मात्रा हार्मोन को प्रभावित करती है। इससे पीरियड्स में देरी देखने को मिल सकती है।
जे हार्मोन्स शरीर में दूध का उत्पादन करने के लिए प्रयोग होते हैं, तो इसकी वजह से ओवुलेशन और पीरियड्स होने से रुक सकते हैं। इस दौरान आपको स्पॉटिंग की देखने को मिल सकती है। हालांकि, जब आप स्तनपान कराना बंद कर देती हैं, तो इससे आपकी समस्या दूर हो सकती है।