• हिंदी

कहीं आपके मां न बन पाने की वजह यह तो नहीं, जानें लक्षण

कहीं आपके मां न बन पाने की वजह यह तो नहीं, जानें लक्षण
गर्भाशय से जुड़ी किसी भी तरह की बीमारी के कारण महिलाओं को गर्भाधरण करने में परेशानी होती है। साथ ही यह अनियमित पीरियड्स का कारण भी बन सकता है। © Shutterstock.

बहुत सी महिलाओं की बच्‍चेदानी में गांठ होती है,‍ जिसे मेडिकल भाषा में रसौली कहा जाता है। यह भी कई बार मां बनने में सबसे बड़ी बाधा बन जाती है।

Written by Editorial Team |Published : June 4, 2019 5:14 PM IST

गर्भाशय से जुड़ी किसी भी तरह की बीमारी के कारण महिलाओं को गर्भाधरण करने में परेशानी होती है। साथ ही यह अनियमित पीरियड्स का कारण भी बन सकता है। इन्हीं में से एक हैं गर्भाश्य में रसौली यानि बच्चेदानी में गांठ, जिसे फाइब्रॉइड भी कहते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि महिलाएं इसके लक्षणों को पहचानकर समय रहते इलाज करें।

क्या है गर्भाश्य में रसौली?

इस समस्या में महिला के गर्भाशय में कोई मांसपेशी असामान्य रूप से ज्यादा विकसित हो जाती है और धीरे-धीरे गांठ का रूप ले लेती है। जोकि एक तरह का ट्यूमर है। महिला के गर्भाशय में पाई जाने वाली ये गांठ मटर के दाने से लेकर क्रिकेट बॉल जितनी बड़ी हो सकती है। इसकी वजह से महिलाओं को मां बनने में दिक्कत होती है।

40 फीसदी महिलाएं हैं इसकी शिकार

शोध के अनुसार लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं रसौली का शिकार होती है, जिसका सबसे बड़ा कारण है महिलाओं को इसकी सही जानकारी ना होना। वैसे तो अक्सर यह समस्या 30 से 50 की उम्र में देखने को मिलती है लेकिन गलत खान-पान के कारण यह समस्या इससे कम उम्र में हो जाती है। मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का एस्ट्रोजन हार्मोन स्तर ज्यादा होने के कारण उन्हें इसका खतरा सबसे अधिक होता है।

Also Read

More News

यह भी पढ़ें – गर्भावस्था में योगासन है फायदेमंद, नॉर्मल डिलिवरी में करता है मदद

कैसे बनती है मां बनने में बाधा

गर्भाशय में होने वाली गांठ के कारण अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन नहीं होने के कारण बांझपन की समस्‍या होती है। आनुवंशिकता, मोटापा, शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा का बढ़ना और लंबे समय तक संतान न होना इसके प्रमुख कारकों में से एक हैं।

यह भी पढ़ें – पेशाब में दुर्गंध, कहीं इस बीमारी का संकेत तो नहीं

पहचानें इसके लक्षण

  • पीरियड्स के दौरान भारी ब्लीडिंग
  • अनियमित पीरियड्स
  • पेट के नीचे के हिस्से में दर्द
  • प्राइवेट पार्ट से खून आना
  • एनीमिया और कमजोरी महसूस होना
  • प्राइवेट पार्ट से बदबूदार डिस्चार्ज
  • पेशाब रुक-रुककर आना
  • संबंध बनाते वक्‍त तेज दर्द
  • कब्ज व पेट में सूजन
  • प्राइवेट पार्ट से खून या बदबूदार डिस्चार्ज आना

यह भी पढ़ें - मां बनना चाहती हैं, तो न लें तनाव, हो सकता है जोखिम भरा

सर्जरी है इसका उपचार

पहले ओपन सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जाता था, जिससे स्वस्थ होने में लगभग 1 महीने से अधिक का समय लगता था। मगर अब लेप्रोस्कोपी की नई तकनीक के जरिए इस बीमारी इलाज किया जाता है। इस तरीके से अधिक तकलीफ नहीं होती, खून भी ज्यादा नहीं निकलता और सर्जरी के 24 घंटे बाद महिला घर जा सकती है।