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मेनोपॉज के बाद अक्सर कुछ महिलाओं को कई तरह की सेहत से संबंधित जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। कई शोधों में यह बात भी सामने आई है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओ में हृदय रोग का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। पीरियड्स होना एक नेचुरल प्रॉसेस है और 40 वर्ष के बाद मेनोपॉज होना भी नेचुरल ही है। यह महिलाओं के लिए उम्र का ऐसा पड़ाव होता है, जिसका अनुभव सिर्फ वह ही कर सकती हैं। कई महिलाएं मेनोपॉज के बाद कई तरह की शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं। यदि आपको भी लग रहा है कि मेनोपॉज आने का दिन करीब आ रहा है, तो इन शारीरिक समस्याओं को पहले से जान लेना सही होगा...
- कई महिलाओं में मेनोपॉज के बाद वजन बढ़ने लगता है। ऐसे में जैसे-जैसे पीरियड्स बंद होने का दिन आए, आप अपने वजन पर नियंत्रण करना शुरू कर दें।
- श्वेत प्रदर के स्राव की स्थिति बहुत ही बदतर होती है। यह असहनीय हो जाता है। इससे अनिद्रा की समस्या भी होने लगती है।
- पेट में गैस बनने की समस्या से कुछ महिलाएं परेशान रहने लगती हैं। इसके कारण पेट भी फूलने लगता है। आप इस समस्या से बचने के लिए खानपान पर विशेष ध्यान दें।
- शरीर में खुजली हो सकती है। खासकर, गर्मी के दिनों में यह समस्या बढ़ सकती है।
- अक्सर शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होने लगता है। आपको भी ऐसा महसूस हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
- कई महिलाओं में याद्दाश्त की कमी की समस्या होने लगती है। आपको लगेगा कि आप कुछ न कुछ हमेशा भूल ही रही हैं।
- रात में सोते वक्त बहुत अधिक पसीना होता है, जिसके कारण चादर भी गीला लगने लगता है। सोने के बाद भी नींद अधूरी रहती है। पूरे दिन सुस्ती और आलस सा महसूस होता रहता है।
- बाल कमजोर और पतले होने लगते हैं। यह समस्या काफी महिलाओं में देखने को मिलता है। बालों को मजबूत बनाए रखने के लिए आप हेल्दी डायट लें।
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में बढ़ सकता है हृदय रोग का खतरा, रखें दिल का यूं ख्याल
- मेनोपाज गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, ऑस्टियोपोरोसिस, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर आदि से बचाव के लिए एक रिमाइंडर होता है। कुछ आवश्यक टेस्ट मेनोपॉज के बाद होने वाली समस्याओं के बारे में आपको पहले से ही सावधान कर सकते हैं। मेनोपॉज के बाद हार्ट से संबंधित परेशानियों का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने हार्ट की जांच करवाती रहें।
- मासिक धर्म बंद होने की आयु 45 से 51 वर्ष है। इससे दस वर्ष पहले ही महिलाओं को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे में इस्ट्रोजेन हार्मोन की कमी से आस्टियोपोरोसिस की समस्या भी बढ़ जाती है और हड्डियां कमजोर होकर टूटने लगती हैं। कैल्शियम का नियमित सेवन करके व नियमित रूप से व्यायाम करके इससे बचा जा सकता है।
- मेनोपाज के बाद, जब ओवरी हार्मोंस बनाना बंद कर देता है, तब मोटापा बढ़ाने वाले एस्ट्रोजन के मुख्य कारक बन जाते हैं। एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मोटापे के कारण औरतों में फैट टिश्यूज की संख्या फी बढ़ जाती है, जो ब्रेस्ट ट्यूमर को बढ़ाने का काम करती हैं।