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Home / Hindi / Pregnancy / निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) क्‍या है, क्‍यों मां नहीं बन पाती महिलाएं, एक्‍सपर्ट से जानिए बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार

निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) क्‍या है, क्‍यों मां नहीं बन पाती महिलाएं, एक्‍सपर्ट से जानिए बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार

इनफर्टिलिटी या नि:संतानता (बांझपन) यह सब एक ही है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें पति पत्नी संतान प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं लेकिन कुछ समस्‍याओं के चलते संतान सुख नहीं मिल पाता है।

By: Atul Modi   | Edited by: Atul Modi   | | Updated: November 28, 2020 5:31 pm
Tags: Ayurveda therapy  causes of infertility  Infertility in women  infertility problem in men  
causes-of-infertility-and-treatment
निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) क्‍या है, क्‍यों मां नहीं बन पानी महिलाएं, जानिए बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार

इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या सिर्फ महिलाओं की समस्‍या नहीं है। यह महिला और पुरुष दोनों को हो सकती है। यदि यह समस्या महिलाओं में होती है तो उसे हम आम बोलचाल की भाषा में फीमेल इनफर्टिलिटी (Female Infertility) के नाम से जानते हैं और यदि यही समस्या पुरुषों में देखने को मिलती है तो उसे हम मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) कहते हैं। Also Read - Boost Fertility: फैमिली प्‍लान करने से पहले ध्‍यान रखें प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली ये 5 बातें, 'गुड न्‍यूज' के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार

नि:संतानता या बांझपन को चिकित्सीय भाषा में इनफर्टिलिटी कहा जाता है। यह परेशानी तब पैदा होती है जब कोई स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब कोई महिला एक साल दिया उससे अधिक समय तक अपने साथी के साथ संबंध स्थापित करती है, फिर भी वह गर्भधारण करने में असमर्थ होती है। यहां कुछ लक्षण बताए गए हैं, जिसके माध्‍यम से इनफर्टिलिटी के बारे में पता लगाया जा सकता है। Also Read - Ashwagandha for Fertility: महिलाओं में बांझपन (इनफर्टिलिटी) की समस्या को दूर करने में अश्वगंधा कैसे है फायदेमंद, पढ़ें यहां



इनफर्टिलिटी के लक्षण – Infertility Ke Lakshan

नि:संतानता के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं जोकि नीचे बिंदुवार दर्शाए गए हैं! Also Read - Side Effects of Alchohol: हर दिन शराब पीने के खतरनाक 5 साइड इफेक्ट्स

  • माहवारी का अनियमित होना
  • माहवारी का ना होना
  • महिलाओं के चेहरे एवं शरीर में अत्यधिक वालों का होना भी इनफर्टिलिटी जैसी समस्या को जन्म देता है।
  • सेक्स के प्रति कम लगाव होना
  • वजन में अत्यधिक वृद्धि होना
  • संबंध बनाते समय दर्द होना
  • नि:संतानता या इनफर्टिलिटी के कारण

इनफर्टिलिटी का कारण – Causes of infertility

महिलाओं में नि:संतानता कि समस्या विभिन्न कारणों से हो सकती है। दिल्‍ली के राजौरी गार्डेन स्थित आशा आयुर्वेदा सेंटर की इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉक्टर चंचल शर्मा ने इनफर्टिलिटी के कारणों पर विस्‍तार से चर्चा की।

डॉक्टर चंचल शर्मा कहती हैं कि, जब महिलाओं के गर्भाशय में कुछ इस तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं जैसे रसौली होना, अस्थानिक गर्भावस्था होना तथा निशान जैसी परेशानियां हो तो गर्भावस्था में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यदि ऐसी समस्याएं हैं तो महिलाओं में गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। कुछ मामलों में गर्भाशय ग्रीवा से बलगम का उत्पादन होता है जिससे शुक्राणु को ट्रांसफर होने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ओव्यूलेशन की समस्या के कारण अंडाशय में तथा हार्मोन के उत्पादन में परेशानी होती है इसके कारण महिलाओं में असामान्य ओवुलेशन की कमी हो सकती है।

अनियमित रूप से भोजन करना भी ऐसी समस्या को बढ़ावा देता है क्योंकि यदि महिला अथवा पुरुष दोनों में से कोई नियमित रूप से भोजन नहीं करते हैं तो ऐसे में वजन भी अनियमित हो जाता है जिसके कारण ओव्यूलेशन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

नि:संतानता का आयुर्वेदिक इलाज

डॉक्टर चंचल शर्मा के मुताबिक, इनफर्टिलिटी की समस्या का इलाज आयुर्वेद में पूरी तरह से संभव है क्योंकि एक ओर जहां पर एलोपैथी में इसका इलाज संभव नहीं हो पाया है वहीं दूसरी ओर आयुर्वेद की हर्बल दवाओं एवं प्राचीन जड़ी बूटियों के सेवन से शत-प्रतिशत कामयाबी मिली है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा इनफर्टिलिटी का इलाज आज के समय में एक वरदान जैसा साबित हुआ है क्योंकि इनफर्टिलिटी की समस्या में मेडिकल साइंस भी उतना कारगर नहीं हुआ है जितना आयुर्वेद ने सफलता पाई है।

डॉक्टर शर्मा कहती हैं, आयुर्वेदिक इलाज आज भी अपनी पूर्ण गुणवत्ता के साथ इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए पूरी तरह से सक्षम है। इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लगभग 90 प्रतिशत तक कारगर है। कई मामलों में आयुर्वेद की सफलता दर और अधिक है।

नि:संतानता के आयुर्वेदिक उपचार की प्रक्रिया

आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति के द्वारा इनफर्टिलिटी का निवारण किया जाता है इसमें मुख्य रूप से पंचकर्म पद्धति है जो कि इनफर्टिलिटी एवं शारीरिक विकारों तथा हार्मोन के असंतुलन के लिए एक बहुत ही अच्छी भूमिका निभाता है। पंचकर्म के द्वारा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है तथा पंचकर्म सिद्धांत के द्वारा शरीर की शुद्धिकरण भी की जाती है। क्योंकि जब हम शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालते हैं तो यह हमारा शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। आयुर्वेद की पंचकर्म पद्धति में पांच प्रकार की पद्धति होती हैं जो कि इस प्रकार से है।

वमन

पंच कर्म सिद्धांत की प्रथम पद्धति होती है वमन इस प्रक्रिया में उल्टी के माध्यम से शरीर के जहरीले पदार्थों को बाहर किया जाता है जिससे शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है।

विरेचन

पंचकर्म सिद्धांत के अंतर्गत आने वाली दूसरी पद्धति को विरेचन कहते हैं। इस पद्धति के माध्यम से शरीर का मल त्याग किया जाता है जिससे शरीर में आंतों में जमे विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और इसके उपरांत जड़ी बूटियों का सेवन कराया जाता है जिससे विषैले पदार्थ शरीर से जल्द से जल्द मल के माध्यम से बाहर आ जाएं।

बस्‍ती

पंचकर्म की तीसरी पद्धति होती है ‘बस्ती’ इसके द्वारा मरीज को तरल औषधियों का सेवन कराया जाता है इस तरह औषधियों में दूध, तेल या घी का उपयोग होता है यह प्रक्रिया का उपयोग जटिल एवं पुरानी से पुरानी इनफर्टिलिटी को ठीक करने में मदद मिलती है।

नस्यम

आयुर्वेद की पंचकर्म सिद्धांत की चौथी पद्धति होती है नस्यम जिसमें मरीज के नाक से औषधियों का प्रवेश किया जाता है जिसमें मरीज के सिर में मौजूद अपशिष्ट एवं विषैले पदार्थ बाहर निकल आते हैं और शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है।

रक्‍तमोक्षण

पंचकर्मा की पांचवी एवं अंतिम पद्धति होती है रक्तमोक्षण इसके नाम में ही इसका उपचार छुपा है अर्थात इस चरण में रक्त का शुद्धिकरण किया जाता है।

डॉक्टर चंचल शर्मा कहती हैं कि यदि आप भी किसी ऐसी ही समस्या से ग्रसित हैं तो कृपया उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। निःसंतानता या इनफर्टिलिटी की समस्या भी एक ऐसी ही समस्या है जो आजकल काफी बढ़ रही है परंतु एलोपैथ में इसका इलाज संभव नहीं है इसलिए समय रहते ही आयुर्वेद का इलाज कराना आपके लिए एक अच्छा बेहतर विकल्प है।

(नोट: यह लेख आशा आयुर्वेदा सेंटर की इंफर्टिलिटी एक्‍सपर्ट डॉक्‍टर चंचल शर्मा से हुई बातचीत पर आधारित है।) 

Published : November 28, 2020 5:19 pm | Updated:November 28, 2020 5:31 pm
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