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Home / Hindi / Breastfeeding / क्या सरोगेसी के ज़रिए जन्में बच्चे को बायोलॉजिकल मदर अपना दूध पिला सकती है?

क्या सरोगेसी के ज़रिए जन्में बच्चे को बायोलॉजिकल मदर अपना दूध पिला सकती है?

जी हां, बिना गर्भ में लिए भी आप सरोगेट बच्चे को पिला सकती हैं अपना दूध, जानें कैसे?

By: Sadhna Tiwari   | | Updated: December 23, 2018 9:17 am
Tags: Breast milk  Surrogacy  
mother can feed surrogate Child Hindi

सरोगेसी भारत में एक विवादास्पद विषय है। इस विषय पर आमतौर पर खुलेआम चर्चा नहीं होती, और लोगों की सरोगेसी से जुड़ी जानकारी भी बहुत कम है। सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया के साथ-साथ बच्चे और उसके जैविक या बायोलॉजिकल माता-पिता की सेहत के बारे में लोगों को समझाना ज़रूरी है? सरोगेसी का अर्थ केवल ‘किराए की कोख’ लेकर बच्चे को घर ले आना भर नहीं हैं। सरोगेसी की मदद से माता-पिता बननेवाले कपल के लिए, यह एक भावनात्मक और शारीरिक प्रक्रिया भी है। किसी महिला के लिए एक बच्चे से भावनात्मक जुड़ाव महसूस करना, वह भी जिसे उसने अपनी कोख में नहीं रखा, बहुत मुश्किल है। एक बच्चे को कोख में रखना, बच्चे की हलचल और लात मारना, अपने प्रेगनेंसी वाले पेट को छूने का अहसास, बच्चे को अपनी गोद में लेने की पूरी भावना एक मां और उसके शरीर को तैयार करती है और वह गर्मी और पोषण प्रदान करती है जिसे बच्चे की जरूरत होती है। Also Read - विटामिन ए की कमी से ब्रेस्टफीडि करा रही मदर्स को पहुंच सकता है नुकसान, इस तरह करें इसकी पूर्ति

अक्सर, जब बात सरोगेसी की उठती है तो किसी सरोगेट की तलाश, भ्रूण का सफल आरोपण, और बाद में एक आसान प्रेगनेंसी निश्चित करना ही सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चे को स्तनपान कराने की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता है। डॉ. अनीता शर्मा (आईबीसीएलसी, सर्टिफाईड लेक्टेशन कंसल्टेंट, फोर्टिस ला फमे और मेडेला एलसी क्लब की सदस्य) का कहना है कि यह एक परेशान करनेवाली बात है कि कोई भी सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग की तरफ ध्यान नहीं देता है। Also Read - World Breastfeeding Week: ब्रेस्टफीडिंग से बढ़ती है बच्चों की ब्रेन पॉवर, जानें क्या हैं शिशु के लिए स्तनपान के अन्य फायदे



डॉ. अनीता कहती हैं, ‘जन्म के बाद 6 महीनों तक सरोगेट बच्चे का पोषण करने के 3 तरीके हैं। पहला- बच्चे को शुरुआत से फॉर्मूला मिल्क दिया जाए। दूसरा- सरोगेट मां, जिसे प्राकृतिक रुप से दूध बनता है, बच्चे को सीधे या पम्पिंग की मदद से दूध पिला सकती है। तीसरा- यह तरीका ज़्यादा लोकप्रिय है, जहां बायोलॉजिकल में स्वयं बच्चे को अपना दूध पिलाती है।’ Also Read - Covid-19 and Breastfeeding: ब्रेेस्टफीडिंग से नहीं फैलेगा बच्चे में कोविड-19, ना रखें कोरोना पॉजिटिव मां से बच्चे से दूर,WHO की अपील

गर्भधारण किए बिना भी बायोलॉजिकल मदर अपने बच्चे को दूध पिला सकती है। ऐसे विभिन्न तरीके हैं जहां शरीर को दूध बनाने के लिए तैयार किया जा सकता है। “जब एक कपल या महिला, किसी लैक्टेशन कंसल्टेंट से बात करती है तो सबसे पहले उसे आवश्यक सलाह दी जाती है। हम उस महिला को बताते हैं कि, यह कैसे सम्भव होगा और इसके लिए क्या-क्या करना पड़ेगा। यह एक मुश्किल प्रक्रिया है और बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने की इच्छा रखनेवाली मां को इसे काफी सावधानी और तल्लीनता के साथ फॉलो करना पड़ता है।

बिना गर्भधारण के दूध कैसे बनता है?

सबसे पहले, यह समझना महत्वपूर्ण होगा कि यह आसान काम नहीं है और इसकी तैयारी काफी पहले से की जाती है। काउंसलिंग के बाद मां के शरीर, लाइफस्टाइल और सेहत की जांच की जाती है। जांच के आधार पर, महिला को हार्मोनल सप्लीमेंट दिए जाते हैं, आवश्यकतानुसार पम्पिंग या थोड़ी दवाइयां देकर मैमरी ग्लैंड्स को दूध बनाने के लिए उत्तेजित किया जाता है।” डॉ. अनीता आगे कहती हैं, “इसके बाद, जब बच्चे का जन्म होता है, तो बच्चे को बायोलॉजिकल मां को दिया जाता है ताकि दूध पिलाने की प्रक्रिया शुरु हो सके।” वह कहती हैं कि अभी तक सामान्य ब्रेस्टफीडिंग और गर्भवती हुए बिना लैक्टेट करने वाली महिला के बीच समानता की तुलना और विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन दोनों माओं के दूध में मिलनेवाले माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स समान होते हैं। जिसका अर्थ है कि दूध चाहे सरोगेट मां पिलाए या बायोलॉजिकल मां, उस दूध से बच्चे की रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है, हड्डियां मज़बूत होती हैं और अच्छी मात्रा में कैल्शियम प्राप्त होता है।

बायोलॉजिकल मदर को लैक्टेशन या ब्रेस्टफीडिंग के बारे में योजना क्यों बनानी चाहिए?

डॉ. अनीता कहती हैं, कि ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के लिए बेहतर होता है क्योंकि इससे न केवल बच्चे को पोषण मिलता है बल्कि मां और बच्चे के बीच प्यार भरा रिश्ता भी बनता है। आपके बच्चे के लिए दूध बनाने और उसे पोषण देने के लिए आपके शरीर की प्रतिक्रियाएं बहुत विशेष हैं। इससे अपने बच्चे को अपनी कोख में रखे बिना मां बननेवाली मां को अपने सरोगेट बच्चे को दूध पिलाने में मदद होती है। मां चाहे सरोगेट हो या नहीं, ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के साथ जुड़ाव महसूस कराता है और बच्चा भी मां की उपस्थिति और उससे लगाव महसूस कर पाता है। ब्रेस्टफीडिंग की मदद से बच्चे को भी मानसिक स्तर पर सुरक्षा भावना महसूस होती है। साथ ही, आप बच्चे को जितना अधिक दूध पिलाएंगी, उतना ही अधिक दूध बनेगा।

कपल्स के सामने आती हैं सरोगेसी और ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्याएं

• सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी समस्या यह है कि लैक्टेशन एक्सपर्ट को सरोगेसी करनेवाली कोर टीम में शामिल नहीं किया जाता। दुखद है कि ब्रेस्टफीडिंग को वह महत्व नहीं मिलता जो उसे मिलना चाहिए। बहुत से कपल्स को ब्रेस्टफीडिंग के ऑप्शन्स के बारे में बताया भी नहीं जाता, ना ही उन्हें यह  पता होता है कि बायोलॉजिकल मदर बच्चे को दूध पिला भी सकती है। इन चीज़ों से जुड़ी योग्य जानकारी का अभाव है।

• जैसा कि हमने पहले ही बताया, कि अगर बायोलॉजिकल मां अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहती है, तो उसे कई महीनों पहले से ही तैयारी शुरु करनी होगी। समस्या यह है कि हमारे समाज में सरोगेसी को खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता, इसीलिए परिवार को मनाना या पम्पिंग भी मुश्किल हो सकती है। इसी तरह नौकरी करनेवाली महिलाओं के लिए भी, ऑफिस या काम की जगह पर पम्पिंग कराने पर कई तरह के सवाल और आलोचना या बातें उठ सकती हैं।

• आवश्यक सपोर्ट की कमी के चलते, बहुत-सी महिलाओं को स्तनपान शुरू करने के लिए मना किया जाता है, और थककर उन्हें फार्मूला-मिल्क का ही सहारा लेना पड़ता है।

Published : December 23, 2018 7:50 am | Updated:December 23, 2018 9:17 am
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