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क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने से मांओं का डिप्रेशन होता है कम? जानें क्या कहती है स्टडी

क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने से मांओं का डिप्रेशन होता है कम? जानें क्या कहती है स्टडी

ब्रेस्टफीडिंग कराने से शिशुओं का स्वास्थ्य अच्छा होता है, इससे तमाम बीमारियां शिशुओं से दूर रहती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग करान से महिलाओं को भी बहुत से लाभ होते हैं। कई स्टडी में इस बात का खुलासा भी हुआ है। आइए जानते हैं-

Written by Kishori Mishra |Published : August 5, 2020 2:55 PM IST

World Breastfeeding Week : शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान है। मां का दूध कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो बच्चों के लिए सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। इससे कई बीमारियों से बचा जा सकता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने से ना सिर्फ शिशु का सेहत अच्छा रहता है, बल्कि इससे मां को भी बहुत ही फायदा (World Breastfeeding Week) पहुंचता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ब्रेस्टफीडिंग कराने से ना सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है, बल्कि इससे स्ट्रेस भी कम होता है। इस बात का खुलासा कई स्टडीज में भी किया जा (World Breastfeeding Week) चुका है।

ब्रेस्टफीडिंग ना कराने से महिलाओं में बढ़ता है डिप्रेशन का खतरा

कई स्टडीज में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो मां अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराना जल्दी ही बंद कर देती हैं, उनमें डिप्रेशन का खतरा बहुत ही अधिक बढ़ जाता है। पिछले कुछ दिनों पहले हॉलैंड में हुई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों को अपना दूध पिलाने वाली मांओं में स्ट्रेस हावी नहीं होता है।

वहीं, दूसरी ओर जो महिलाएं अपने शिशु को ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराती हैं, उनमें स्ट्रेस हावी हो जाता है। ऐसी महिलाओं को छोटी-छोटी बातों पर तनाव होने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय शरीर से ऑक्सिटोसिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो रिलैक्स होने और तनाव घटाने में हमारी मदद करता है।

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बच्चे का ब्रेन होता है तेज

शिशुओं को मां का दूध पिलाने से उनके ब्रेन का विकास होता है। शुरुआती छह महीने में शिशुओं को मां का दूध पिलाना चाहिए, इससे बच्चों में न्यूट्रिशंस की कमी नहीं होती है। इसके अलावा मां का दूध पिलाने से बच्चे हमेशा स्वस्थ रहते हैं।

World Breastfeeding Week: स्तनपान कराने वाली हर मां को पता होनी चाहिए ये खास बातें

17,000 नवजात शिशुओं पर एक सर्वे कराया गया था, जिसमें जन्म से लेकर 6.5 साल तक उन शिशुओं पर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि जो मां अपने शिशुओं को ब्रेस्ट फीडिंग कराती है, उनमें बौद्धिक विकास काफी अच्छा रहता है। स्तनपान कराने से शिशुओं में सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है। विशेषक्षों की मानें तो इससे मां और बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध भी मजबूत होता है।

क्या आप भी अपने शिशु को कराती हैं ब्रेस्टफीडिंग? तो इस तरह रखें अपने ब्रेस्ट का ख्याल

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