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बिना एनेस्थीसिया, वेंटिलेटर के पहला ट्रांसकैथेटर ओर्टिक हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट करने में डॉक्टर्स को मिली सफलता

बिना एनेस्थीसिया, वेंटिलेटर के पहला ट्रांसकैथेटर ओर्टिक हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट करने में डॉक्टर्स को मिली सफलता
बिना एनेस्थीसिया, वेंटिलेटर के पहला ट्रांसकैथेटर ओर्टिक हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट करने में डॉक्टर्स को मिली सफलता।© Shutterstock

टीएवीआर उन रोगियों के लिए नई उपचार पद्धति है, जो ओपन हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेन्ट सर्जरी कराने के जोखिम या अनिच्छुक हैं। टीएवीआर एक कैथेटर या ट्यूब के माध्यम से एक रिप्लेसमेंट वॉल्व सर्जरी है, जो फेमोरल आर्टरी (कमर में बड़ी धमनी) के माध्यम से डाला जाता है।

Written by Anshumala |Updated : February 8, 2020 12:59 PM IST

72 साल के एक बुजुर्ग मरीज त्रिलोक सिंह का ट्रांसकैथेटर ओर्टिक हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) सफलतापूर्वक पारस अस्पताल (गुरुग्राम) में किया गया। इस रोगी के हार्ट वाॅल्व (Heart problem) सिकुड़ चुके थे और वर्ष 2005 में इसकी एक बार बाइपास सर्जरी एवं एंजियोप्लास्टी हो चुकी थी, उसे अति जोखिम वाली ओपन हाट सर्जरी दुबारा कराने की सलाह दी गई थी, जिसमें उसकी मौत तक संभव थी। सर्जन्स के लिए इस उम्र में फिर से सीना चीर कर ओपन हाट सर्जरी करना किसी चुनौती से कम नहीं होता।

टीएवीआर उन रोगियों के लिए नई उपचार पद्धति है, जो ओपन हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेन्ट सर्जरी कराने के जोखिम या अनिच्छुक हैं। टीएवीआर एक कैथेटर या ट्यूब के माध्यम से एक रिप्लेसमेंट वॉल्व सर्जरी है, जो फेमोरल आर्टरी (कमर में बड़ी धमनी) के माध्यम से डाला जाता है। टीएवीआर प्रक्रिया पहले से असफल बायोप्रोस्टेटिक वॉल्व वाले रोगियों के इलाज के लिए भी फायदेमंद है, इसलिए एक अतिरिक्त सर्जरी से बचा जा सकता है।

एसोसिएट डायरेक्टर एवं यूनिट हेड कार्डियोलॉजी डॉ. अमित भूषण शर्मा ने बताया, "डॉ. शिव गोयल, हृदय रोग विशेषज्ञ इको, कार्डियोग्राफी और रेडियोलॉजी टीम सहित हार्ट की सहायक टीमों ने हाल ही में इस अस्पताल में फिर से टीएवीआर माय वॉल्व प्रोसिजर से एक ऐसे मरीज का सफलता पूर्वक इलाज किया, जिसके हृदय का वॉल्व गंभीर रूप से सिकुड़ गया था। उन्होंने बताया कि यह अत्यधिक रोग सूचक रोगी जो मुश्किल से कुछ कदम भी चल पाता था, इस सर्जरी से बहुत लाभान्वित हुआ और अब चमत्कारिक रूप से सभी सामान्य गतिविधियों को 36 घंटों के भीतर करने में सक्षम है।

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विभिन्न सूचनाओं के अनुसार भारत में 1 मिलियन यानी दस लाख के सेजएरोटिक स्टेनोसिस है जो कि मुख्य रूप से यह उम्र से जुड़ी है। न केवल भारत अपितु पूरे विश्व के अन्य हिस्सों में भी यह रोग है। हालांकि वॉल्व बदलने के लिए इन्वेसिंवप्रोसिजर का इलाज आज काफी प्रचलित है, लेकिन इसकी लागत और सब तक पहुंच के कारण ऐसे प्रोसिजर तुलनात्मक रूप से कम ही किए जाते हैं। एक जानकारी के अनुसार विश्व मेंलगभग 1,20,000 टीएवीआई प्रोसिजर्स अब तक किए जा चुके हैं।

कई फायदे हैं मिनिमल इनवेसिव प्रोसिजर के

डॉ. शर्मा ने बताया मिनिमल इनवेसिव होने के कारण इस प्रोसिजर के अनेक लाभ हैं। इसमें मरीज की हालत में तेजी से सुधार आता है, किसी प्रकार के संक्रमण के न्यूनतम संभावना के साथ ही यह कम दर्द वाली प्रक्रिया होने की वजह से मरीज को अस्पताल में अधिक समय तक नहीं रुकना पड़ता और न ही शरीर पर किसी प्रकार के चीरे के निशान रहते हैं।

इस प्रोसिजर के बाद लम्बे समय तक खून पतला होने की दवा भी नहीं लेनी पड़ती साथ ही इस अंग के आस-पास के अंग चोटिल होने का खतरा भी नहीं रहता। उन्होंने बताया कि यदि हम अनुमानों को देखें, तो एरोटिक वाल्व स्टेनोसिस विश्व स्तर पर सबसे अधिक प्रचलित हृदय रोगों में से एक है और किसी भी अनुमान पर मामलों की संख्या बुजुर्गों की आबादी का 3 से 3.5 प्रतिशत को पार होगी। एमवाईवीएएल ट्रांस कैथेटर एरोटिक वाॅल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) के लिए अत्याधुनिक थेरेपी है, जो देश पहली स्वदेशी मेक इन इण्डिया थेरेपी है, जिसे सीई और सेन्ट्रल ड्रग कन्ट्रोल आर्गेनाईजेशन (सीडीएससीओ) ने मंजूरी दी है। यह सीई प्रमाणन एमवाईवीएल टीएचवी यूरोप के 100 देशों तथा भारत के बाहर योग्य माना गया है जो सीई मार्क दस्तावेज अपनी नियामक स्वीकृतियों के लिए चाहते हैं।