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Belly Fat : अधिक बेली फैट होने से बढ़ जाती है इन 5 बीमारियों के होने का खतरा

अत्यधिक बेली फैट के जोखिम को जानना महत्वपूर्ण व जरूरी है। जानें, अत्यधिक बेली फैट होने से क्या-क्या शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

Written by Anshumala | Published : August 18, 2019 4:59 PM IST

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अत्यधिक बेली फैट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अतिरिक्त बेली फैट से शरीर भी बेडौल नजर आता है। इन फैट के कारण कार्डियोवैस्कुलर डीजीज, मोटापा और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। पेट के क्षेत्र के आसपास वसा के संचय के कई कारण होते हैं जैसे अस्वास्थ्यकर भोजन का सेवन, शारीरिक गतिविधि ना करना या फिर आनुवांशिकता। फैट से छुटकारा पाने के लिए लोग कई तरीकों और तकनीकों को अपनाते हैं। आहार योजना, वर्कआउट रूटीन और कई अन्य का चीजों का पालन करते हैं। बेली फैट को कम करना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वे कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ाते हैं। अत्यधिक बेली फैट के जोखिम को जानना महत्वपूर्ण है। जानें, अत्यधिक बेली फैट होने से क्या-क्या शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

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Belly-fat Health Risk 2

सूजन की समस्या: अत्यधिक बेली फैट इंफ्लेमेट्री मॉलिक्युल्स का उत्पादन करता है जो सीधे लिवर में प्रवेश करते हैं। यह शरीर में हार्मोन-बाधित प्रतिक्रियाओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा, सूजन किसी भी बीमारी का मूल कारण होता है। Also Read - होली के रंगों से झुलस सकती है आपकी स्किन, घर की इन चीजों से रखें इसे सुरक्षित

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कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक: अत्यधिक बेली मॉलेक्युलर प्रोटीन पैदा करता है जो शरीर के लिए हानिकारक होता है। ये मॉलिक्युल्स रक्त वाहिकाओं को काम करने से रोकता है, जिसके कारण आर्टरी ब्लॉक हो जाते हैं और कार्डियोवस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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डिप्रेशन: अत्यधिक बेली फैट हमारे शरीर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके अलावा, यह न्यूरोट्रांसमीटर की स्वस्थ कार्यप्रणाली को भी कम कर देता है। इस स्थिति ने मूड स्विंग्स का इलाज नहीं किया जाता है जो डिप्रेशन का कारण बन सकता है। Also Read - हाथों की लटकती चर्बी को कम करने के लिए रोज करें ये 3 योगासन, कुछ ही दिनों में दिखेगा असर

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स्लीप डिसऑर्डर: अत्यधिक बेली फैट होने के कारण जोरदार खर्राटे और स्लीप एप्निया की समस्या हो जाती है। स्लीप एप्निया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक व्यक्ति रात में कुछ पलों के लिए सांस लेना बंद कर देता है। यह समस्या फेफड़ों के चारों ओर वसा के संचय के कारण होती है और वायु मार्ग श्वास को मुश्किल बना देता है। इसके अलावा, यह व्यक्ति की नींद को भी बाधित करता है।

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डिमेंशिया और अल्जाइमर: अतिरिक्त बेली फैट वाले लोग डिमेंशिया और अल्जाइमर के अधिक प्रोण होते हैं। वसा को लेप्टिन नामक हार्मोन जारी करता है। लेप्टीन का मस्तिष्क कोशिका और स्मृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। Also Read - इन 5 चीजों से जोड़ों में बढ़ सकती है सूजन की परेशानी, पैरों से लेकर हाथों का कामकाज हो सकता है ठप