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पेरेंट्स हर हाल में अपने बच्चों को प्यार करते हैं। अगर बच्चा रास्ते से भटक जाए या मां-बाप उल्टा सीधा जवाब भी दे, तब भी पेरेंट्स बच्चे के साथ प्यार से ही पेश आते हैं और सब कुछ भुलाकर प्यार लुटाते हैं। क्योंकि बच्चे पेरेंट्स का अपना खून, अपना अंश होता है इसलिए वो उन्हें हर हाल में पसंद होते हैं। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि मां-बाप का प्यार तब कहां चला जाता है जब उन्हें ये पता चलता है उनका बच्चा LGBTQ है? कानून बदल चुका है लेकिन लोगों की सोच में नहीं बदली है। आज भी भारत में ज्यादातर जगहों पर LGBTQ जाति के साथ भेदभाव कर उन्हें यह एहसास दिलाया जाता है कि उन्हें कोई बीमारी है। जबकि लोगों को ये समझना चाहिए अगर कोई इंसान महिला या पुरुष के अलावा कुछ और है तो उसका साइंटिफिक रीजन होता है। इसके पीछे DNA कोड और अन्य साइंटिफिक चीजें जिम्मेदार होती हैं। अगर आपका बच्चा भी LGBTQ है तो क्या करें? या आप अचानक से अपने बच्चे में LGBTQ के लक्षण दिख रहे हैं तो कैसे बर्ताव करना चाहिए? आइए जानते हैं LGBTQ बच्चों के अच्छे पेरेंट्स बनने का तरीका-