Values to teach your toddlers: अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देना हर माता-पिता का सपना होता है। वह पूरा प्रयास करते हैं कि उनका बच्चा संस्कारी, आत्मविश्वास से भरपूर और जीवन में सफल रहे। इसके लिए वह हरसंभव प्रयास भी करते हैं। बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने की शुरूआत छोटी उम्र से ही की जाती है ताकि बच्चे जैसे-जैसे बड़े और समझदार बनें तब तक उन्हें इन अच्छी आदतों की अहमियत समझ आने लगे और वे अपने व्यवहार में इन्हें हमेशा शामिल रखें। यहां पढ़ें कुछ ऐसी महत्वपूर्ण और अच्छी आदतों के बारे में जो 5 साल की उम्र तक पहुंचने के बाद हर माता-पिता को अपने बच्चें को सिखानी चाहिए। (Values to teach your toddlers in Hindi)
किसी चीज से ना डरना और उस स्थिति का मुकाबला करना बच्चों की अच्छी आदतोंमें शुमार होना चाहिए।उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्च अलग-अलग प्रकार की एक्टिविटीज,खेल-कूद और कलाओं में रूचि लेने लगते हैं या यूं कहें कि उनकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे जिद करके किसी स्पोर्ट्स या आर्ट क्लास में दाखिला तो ले लेते हैं। लेकिन, वहां की ने वाली मेहनत से जी चुराने लगते हैं। ऐसे में बच्चों को डांटने या उन्हें डरा-धमका कर क्लास भेजने की बजाय उनकी मदद करें। बच्चों को आलस, डर और लापरवाही से बचना सिखाएं। उन्हें एक बार और प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे उस एक्टिविटीज या काम में दोबारा रूचि लेने के बारे में विचार करें।
4-5 साल की उम्र में बच्चे अन्य बच्चों के साथ घुलना-मिलना और खेलना अधिक पसंद करते हैं। ऐसे में बच्चों को सिखाएं कि किस तरह एक टीम के तौर पर काम किया जाता है। उन्हें बताएं कि दोस्तों के साथ खेलते समय अपने खिलौने उनके साथ शेयर करना क्यों महत्वपूर्ण है। इसी तरह बच्चों को खेलते समय दूसरे बच्चों के साथ मारपीट, गाली-गलौज या उन्हें चोटो पहुंचाने जैसे गलत काम क्यों नहीं करने चाहिए।
बच्चों को ईमानदारी और सच बोलने जैसे जीवन मूल्यों के बारे में ज़रूर सिखाएं। बच्चों को बताएं कि उन्हें झूठ बोलने से बचना चाहिए। इसी तरह अपनी गलती को स्वीकार करने की हिम्मत भी बच्चे में पैदा करने के प्रयास करें।
बातचीत के लहजे को भी सम्मानजनक बनाए रखने के लिए बच्चे को गाइडेंस दें। उसे समझाएं कि बड़ों को नमस्तेकहना, उनकी मदद करना, लोगों गुड मॉर्निंग, थैंक यू और सॉरी बोलने के क्या महत्व हैं। इसी तरह दोस्तों के बीच और स्कूल में भी बच्चे को इस तरह बात करने के लिए प्रोत्साहित करें कि उसके दोस्तों और टीचर्स को उसके बात करने का ढंग खराब ना लगे।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गयीं पेरेंटिंग टिप्स केवल सूचनात्मक उद्देश्य से यहां लिखी गयी हैं। इन पर अमल करना या ना करना एक व्यक्तिगत निर्णय है। )
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