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सही नहीं है सबके सामने बच्चों को डांटना, बच्चे हो सकते हैं इन 4 मानसिक रोगों के शिकार

सही नहीं है सबके सामने बच्चों को डांटना, बच्चे हो सकते हैं इन 4 मानसिक रोगों के शिकार
सही नहीं है सबके सामने बच्चों को डांटना, बच्चे हो सकते हैं इन 4 मानसिक रोगों के शिकार

सार्वजनिक जगहों पर या किसी के सामने तो बच्चों को बिल्कुल भी नहीं डांटना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। परेंट्स को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वह कोई भी बात बच्चों को प्यार से समझाएं। माता-पिता अपने बच्चों के साथ जितना प्यार से रहेंगे और दोस्त बनकर रहेंगे बच्चे उतना ही आपसे खुलकर बात करेंगे, अपनी बातें शेयर करेंगे और आपकी बात भी मानेंगे।

Written by Rashmi Upadhyay |Published : October 19, 2020 5:52 PM IST

अगर बच्चे भी बड़ों की तरह बर्ताव करने लगे, समझदारी से फैलते लें और कब क्या करना है व क्या बोलना है आदि की चीजों की समझ हो तो शायद उन्हें कोई नटखट या नादान नहीं कहेगा! हम आमतौर पर सुनते हैं कि घर के बड़े कभी-कभी हंसी मजाक में या सीरियस होकर भी बच्चों को 'शैतान' कहते हैं। 'शैतान' शब्द बच्चों को इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह शैतानी करते हैं। इसलिए पेरेंट्स को भी बच्चों की हरकतों को उसी तरह से लेना चाहिए। अगर बच्चों की गलतियों पर आप उन्हें डांटते हैं, चिल्लाते हैं या मारते हैं तो यह आदत बिल्कुल सही नहीं है। खासकर सार्वजनिक जगहों पर या किसी के सामने तो बच्चों को बिल्कुल भी नहीं डांटना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। परेंट्स को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वह कोई भी बात बच्चों को प्यार से समझाएं। माता-पिता अपने बच्चों के साथ जितना प्यार से रहेंगे और दोस्त बनकर रहेंगे बच्चे उतना ही आपसे खुलकर बात करेंगे, अपनी बातें शेयर करेंगे और आपकी बात भी मानेंगे। आज हम इस लेख यह जानेंगे कि सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को डांटने, चिल्लाने ओर मारने से बच्चों के दिमाग पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है।

पेरेंट्स और बच्चों का रिश्ता होता है कमजोर

बच्चे जितना कनेक्ट अपने माता-पिता से करते हैं उतना शायद जिंदगी भर किसी से नहीं पाते। यह रिश्ता वक्त के साथ मजबूत होता जाता है। आपको बता दें कि बच्चों में 3-4 साल से आत्मविश्वास की भावना आने लगती है। ऐसे में जब पेरेंट्स सबके सामने बच्चों को डांटते हैं, मारते हैं या उन पर चिल्लाते हैं तो उन्हें बुरा लगता है और बच्चे माता-पिता के प्रति सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं और बच्चों का अपने ही माता-पिता पर भरोसा कमजोर हो जाता है। सिर्फ यही नहीं कुछ समय बाद बच्चे अपने ही अभिभावक की इज्जत करना बंद कर देते हैं।

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बच्चों में आती है कॉन्फिडेंस की कमी

कॉन्फिडेंस किसी भी इंसान की पर्सनेलिटी को बताता है। अगर व्यक्ति में कॉन्फिडेंस हो तो वह अपनी जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकता है। लेकिन जब पेरेंट्स द्वारा बच्चों को सबके सामने डांटा जाए, मारा जाए या उन पर चिल्लाया जाए तो बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी आ जाती है जो जिंदगी भर रह सकती है। इसलिए किसी बाहर वाले के सामने या सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को कुछ भी कहने से पहले कई बार सोच लें। क्योंकि पेरेंट्स की इस हरकत से बच्चे आत्मसम्मान की कमी महसूस करने लगते हैं।

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तनाव महसूस करने लगते हैं बच्चे

जब कोई इंसान अंदर ही अंदर घुटता है और अपनी बातों को या परेशानियों को किसी के साथ शेयर नहीं कर पाता है तो तनाव में आ जाता है। जब पेरेंट्स अपने बच्चों को सबसे सामने भला बुरा कहते हैं तो बच्चों के साथ ऐसी ही स्थिति पैदा होती है। बच्चों को लगता है कि आखिर वह अपने ही पेरेंट्स क खिलाफ भला किससे बात कर सकते हैं? और यही वह वक्त होता है जब बच्चे धीरे धीरे तनाव में आने लगते हैं। अगर आप अपने बच्चों को दूसरों के सामने डाटेंगे, मारेंगे या फिर किसी तरह से उनकी बेइज्जती करेंगे तो बच्चों को बगावत की भावना घेरने लगती है। यानि कि बच्चों के मन में अपने अभिभावक के फैसलों के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत आती है और वह साथ ही वह अंदर अंदर ही घुटन भी महसूस करते हैं। सिर्फ यही नहीं बच्चे कुछ समय बाद अपने माता पिता को उलटा जवाब देना, उनकी बात या न मानना या उनकी बेइज्जती करना भी शुरू कर सकते हैं।

इमोशनली वीक होने लगते हैं बच्चे

सबसे सामने बच्चो को डांटने, मारने और उन पर चिल्लाने से आप बच्चों को इमोशनली भी वीक बनाते हैं। जब बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होने लगते हैं तो वह अपनी बातों को किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते हैं। इसका नतीजा यह भी होता है कि बच्चे फिर बाहर जाकर भी किसी को जवाब नहीं दे पाते हैं और अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते हैं।