Tips to Limit Kid's Screen Time: ‘टेक्नोलॉजी नें हमारी ज़िंदगी को आसान बनाया है और अब यह हमारी डेली लाइफ में कई तरीकों से योगदान करती है। इसी तरह बच्चे भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बखूबी और काफी स्मार्टली कर लेते हैं। टेक-सैवी (tech savvy) बच्चों की यह पीढ़ी अपने मनोरंजन से लेकर पढ़ाई-लिखायी के लिए भी विभिन्न गैजेट्स (Gadgets) का इस्तेमाल करती है। तो इन दिनों जब कोराना वायरस की वजह से स्कूल बंद हैं। तब, बच्चे अपने मनोरंजन के लिए स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। (kid's exposure to technology)
माता-पिता जहां बच्चों में इसे स्मार्टनेस का प्रतीक मान लेते हैं, वहीं यह समझना भी ज़रूरी है कि मशीनों और गैजेट्स का इतना अधिक इस्तेमाल उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे, बच्चे की सेहत और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। बच्चे इन दिनों टीवी पर केवल कार्टून शोज़ नहीं देखते। टीवी के अलावा, टैबलेट्स, स्मार्टफोन्स, कम्प्यूटर्स जैसे गैजेट्स भी रोज़ाना उनके हाथों में देखे जाते हैं। दि अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को टेक्नोलॉजी के सम्पर्क में बिल्कुल नहीं आने देना चाहिए। इसीलिए, यह ज़रूरी हो जाता है कि आप अपने बच्चे के सही विकास के लिए उसे टेक्नोलॉजी-फ्री समय बिताना सिखाएं।
एक और स्टडी में यह कहा गया कि ऐसे बच्चे बच्चे जो स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताते हैं, उन्हें बोलने और लिखने-पढ़ने में अधिक परेशानी होती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, गैजेट्स का अधिक प्रयोग करने वाले बच्चों को उनकी मेंटल कंट्रोल और सेल्फ-रेग्यूलेशन जैसे मामलों में भी उतनी प्रवीणता नहीं मिलती जितनी कि कम स्क्रीन टाइम वाले बच्चों को होती है। (side effects of techonology)
लेकिन, इसके लिए केवल आपका बच्चा ही ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में आयोजित एक स्टडी में यह भी कहा गया कि माता-पिता द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गैजेट्स से जुड़ी आदतों का प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ता है। इस स्टडी के अनुसार, इससे बच्चों के व्यवहार और विकास से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
माता-पिता अपने स्तर पर बच्चे को टेक्नोलॉजी के प्रयोग से बचाने की कोशिश करें। वैसे ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। क्योंकि, बच्चों के आसपास मौजूद ज़्यादातर लोग पूरा दिन कम्प्यूटर्स, लैपटॉप्स और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते नज़र आते हैं। बच्चे इन सभी को देखते हैं और उन्हें भी गैजेट्स के इस्तेमाल में कहीं कोई ग़लती नज़र नहीं आती। ऐसे में बच्चों को इन गैजेट्स का इस्तेमाल ना करने के लिए मनाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
एक अभिभावक के तौर पर सबसे पहले अपने बच्चे को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना सिखाएं। उन्हें समझाएं कि काम के लिए कम्प्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन्स किस तरह काम आ सकते हैं। उन्हें, समझाएं कि गैजेट्स का इस्तेमाल खिलौने के तौर पर नहीं करना चाहिए। बच्चों को समझाने के लिए आपको खुद अपने व्यवहार पर ध्यान देना होगा। अपने बच्चे के सामने अपना व्यवहार आप जैसा रखेंगे, बच्चा वैसे ही सिखेगा। अगर आप हमेशा अपने लैपटॉप या फोन में देखते रहेंगे तो, आपका बच्चा आपकी बातें नहीं समझेगा। इसीलिए, जब भी बच्चों के साथ रहें तो, गैजेट्स का इस्तेमाल कम से कम करें।
इसी तरह अपने लिए और अपने बच्चे के लिए स्क्रीन टाइम की एक निश्चित अवधि तय करें। धीरे-धीरे बच्चों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल को कम करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें, ऐसी एक्टिविटीज़ में व्यस्त रखने की कोशिश करें, जिनमें किसी गैजेट की ज़रूरत नही पड़ती। क्राफ्ट, गार्डनिंग, स्टोरी रीडिंग सेशन्स जैसे कुछ कार्य आप अपने बच्चों के साथ कर सकते हैं। इससे, बच्चे का ध्यान गैजेट्स की तरफ कम जाएगा। (Tips to Limit Kid's Screen Time in hindi)
चूंकि, लॉकडाउन और क्वारंटाइन जैसी गाइडलाइन्स के कारण माता-पिता और बच्चे अब ज़्यादातर समय एक साथ ही रहते हैं। इसीलिए, उनके साथ ढेर सारा समय बिताएं। अपने बच्चे के साथ खेले, उन्हें किसी क्रिएटिव काम के लिए प्रेरित करें। अगर, बच्चे थोड़े बड़े हैं, तो घर संवारने और किचन में छोटे-मोटे कामों (कूकिंग और सब्ज़ियां काटने जैसे कामों के अलावा) में भी उन्हें शामिल कर सकते हैं। इस तरह वह नयी चीज़ें सीखेंगे और गैजेट्स के प्रति उनका एडिक्शन कम होगा।
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