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ओवर-पेरेंटिंग आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे करता है प्रभावित, एक्सपर्ट ने बताए कारण

ओवर-पेरेंटिंग आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे करता है प्रभावित, एक्सपर्ट ने बताए कारण

यदि आप अपने बच्चे को हर समय टोकते रहते हैं, तो ऐसा करना छोड़ दें। आइए जानते हैं एमपावर द सेंटर (कोलकाता) की मनोचिकित्सक एंड प्रमुख डॉ. प्रीति पारख से कैसे ओवर-पेरेंटिंग आपके बच्चे की मानसिक स्थिति को कर रही है प्रभावित।

Written by Anshumala |Updated : December 21, 2021 12:00 AM IST

ओवर-पेरेंटिंग, परवरिश की एक शैली होती है, जहां माता-पिता का उनके बच्चों के जीवन में अत्यधिक हस्तक्षेप होता है। वे यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार बच्चे के चारों ओर मंडरा रहे होते हैं कि बच्चा सही निर्णय ले और किसी भी शारीरिक या भावनात्मक परेशानी से सुरक्षित रहे। ये माता-पिता पूरी कोशिश करते हैं कि उनके बच्चे को कभी भी दुख, दर्द, निराशा, अस्वीकृति या असफलता का अनुभव न हो। भले ही ये माता-पिता बच्चे को किसी भी नुकसान से बचाने की अपनी इच्छा से ऐसा करते हैं, लेकिन उनके अधिक हस्तक्षेप से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित होता है। आइए जानते हैं एमपावर द सेंटर (कोलकाता) की मनोचिकित्सक एंड प्रमुख डॉ. प्रीति पारख से कैसे ओवर-पेरेंटिंग आपके बच्चे की मानसिक स्थिति को कर रही है प्रभावित।

बच्चे को कोई गलती नहीं करने दी जाएगी तो उसे उसकी गलतियों से सबक लेने का अवसर भी नहीं मिल सकेगा। ऐसे बच्चे जिन्हें गिरने न दिया जाए, वो यह सीख नहीं पाते हैं कि गिरने के बाद कैसे उठें और आगे बढ़ें। वह यह भी नहीं सीख पाता कि वह किस कारण से गिरा और भविष्य में उस तरह की बाधाओं से कैसे निपटे। उसे अपने निर्णय लेने के लिए हमेशा अपने माता-पिता की सहायता की आवश्यकता होगी।

अतिरक्षात्मक माता-पिता के बच्चों में आत्म-सम्मान की भावना कम हो सकती है और उनमें नम्यता का अभाव हो सकता है। माता-पिता द्वारा लगातार संरक्षित होने से बच्चों को लगता है कि वे स्वयं जीवन का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं हैं। उनका आत्म-सम्मान माता-पिता या अन्य लोगों की इच्छा पर निर्भर करता है। असफलताओं के बाद भी आगे बढ़ने की क्षमता तब विकसित होती है जब बच्चे अपनी गलतियों से सीखते हैं। अतिरक्षात्मक माता-पिता अपने बच्चों को नम्यता और समस्या समाधान कौशल विकसित करने का अवसर नहीं देते हैं।

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यह पाया गया है कि अधिक रक्षात्मक माता-पिता वाले बच्चों में अयोग्य मुकाबला कौशल और तनाव, चिंता और अवसाद के उच्च स्तर होने की संभावना होती है। ये बच्चे जब युवा और बादमें वयस्क होते हैं तो आमतौर पर जीवन से असंतुष्ट होते हैं और अपने आसपास के लोगों से अवास्तविक अपेक्षाएं रखते हैं।

कई माता-पिता अपने बच्चे के लिए अति-रक्षात्मक होने की बात समझ नहीं पाते हैं। बच्चे के जीवन में सक्रिय रूप से शामिल होना बच्चे के विकास के लिए अच्छा होता है, लेकिन बच्चे के साथ सक्रियतापूर्वक शामिल होने और अतिसक्रियतापूर्वक शामिल होने के बीच एक बारीक रेखा होती है। अधिकांश लोग अब केवल एक ही बच्चा पैदा करना पसंद करते हैं, ऐसे में उनके पास अपने बच्चों के हित का ध्यान रखने के लिए अधिक समय होता है। माता-पिता आमतौर पर अपनी चिंता को प्रबंधित करने के लिए अति-रक्षात्मक हो जाते हैं क्योंकि वे अपने बच्चे को गलतियां करते हुए या असफल होते हुए नहीं देख सकते, इसलिए हमें स्वयं से पूछना चाहिए कि क्या हम बच्चे के जीवन में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप कर रहे हैं। बच्चे को टीचर की डांट से बचाने के लिए उसका होमवर्क करके हम बच्चे का भला नहीं कर रहे हैं। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम दुनिया के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत करने और नए अनुभवों से सबक लेने के लिए बच्चे को समर्थन, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करें।

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