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गर्भावस्‍था में लिया तनाव, तो समय पूर्व हो सकता है प्रसव

गर्भावस्‍था में लिया तनाव, तो समय पूर्व हो सकता है प्रसव
इसके कारण गर्भवती महिला का ब्‍लड प्रेशर तो बढ़ता है साथ ही होने वाले बच्‍चे में आयरन की कमी हो जाती है। इससे समय पूर्व प्रसव यानी प्रीमेच्‍योर डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ जाता है। © Shutterstock

इसके कारण गर्भवती महिला का ब्‍लड प्रेशर तो बढ़ता है साथ ही होने वाले बच्‍चे में आयरन की कमी हो जाती है। इससे समय पूर्व प्रसव यानी प्रीमेच्‍योर डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ जाता है। 

Written by Yogita Yadav |Published : August 31, 2019 2:39 PM IST

गर्भवती महिलाओं को ज्यादा तनाव (Stress in pregnancy) नहीं लेना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार अत्यधिक तनाव अजन्मे बच्चे की शारीरिक वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। तनाव न केवल मां के लिए बल्कि होने वाले बच्‍चे के लिए भी नुकसानदेह है। गर्भावस्‍था के दौरान यदि मां तनाव (Stress in pregnancy) लेती है तो इसके कारण गर्भवती महिला का ब्‍लड प्रेशर तो बढ़ता है साथ ही होने वाले बच्‍चे में आयरन की कमी हो जाती है। इससे समय पूर्व प्रसव यानी प्रीमेच्‍योर डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ जाता है।

ज्‍यादातर महिलाएं हैं तनावग्रस्‍त (Stress in pregnancy)

वेल वुमन क्लिनिक, गरुग्राम की कंसल्टेंट आब्स्टिट्रिशन एंड गायनकोलॉजिस्ट डॉ. नुपुर गुप्ता का कहना है कि गर्भावस्‍था में तनाव मां और बच्‍चे दोनों की सेहत के लिए खतरनाक है। आजकल की दिनचर्या में ज्‍यादातर महिलाएं वर्किंग हैं। वर्कप्‍लेस पर टारगेट अचीव करने का तनाव कई बार इतना ज्‍यादा हो जाता है कि वह उनके साथ घर तक चला आता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ वर्किंग वुमेन को ही तनाव होता है, बल्कि घर पर रहने वाली म‍हिलाओं को भी कई तरह के तनावों का सामना करना पड़ता है।

तनाव के नुकसान 

गर्भावस्‍था में तनाव (Stress in pregnancy) के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। तनाव की वजह से मां का रक्‍तचाप सामान्‍य से ज्‍यादा हो सकता है। इसके अलावा गर्भावधि मधुमेह भी तनाव की वजह से हो सकता है। मां के तनाव लेने से गर्भ में पल रहे बच्‍चे की ग्रोथ रुक सकती है। मां जब तनावग्रस्‍त होती है तो उसमें नींद की कमी हो जाती है। अगर मां सोएगी नहीं तो बच्‍चे का रक्‍त संचार भी बाधित होगा। इससे और भी कई तरह के विकार उत्‍पन्‍न हो सकते हैं। लंग्‍स की ग्रोथ नहीं हो पाती। कई बार तो प्रीमेच्‍योर डिलीवरी का भी डर रहता है। जिससे बच्‍चों में रेस्‍पेरटरी प्रोब्‍लम होने का जोखिम बढ़ जाता है।

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प्रीमेच्‍योर डिलीवरी के नुकसान (Stress in pregnancy) 

ऐसे में बच्चों में खासतौर पर आयरन की कमी देखी जाती है. आयरन दिमाग के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है. नवजात में आयरन की कमी के मुख्य कारणों में मां में आयरन की कमी, मां को मधुमेह होना, गर्भावस्था के दौरान मां का धूम्रपान करना, जन्म से समय वजन कम होना शामिल है।

लिंग निर्धारण में हो सकती है समस्‍या 

 गर्भावस्था के दौरान अजन्मे लड़के और लड़कियों का शारीरिक विकास अलग-अलग तरीके से होता है। यदि मां तनावग्रस्त हो तो इससे बच्चे के विकास पर प्रभाव पड़ता है। कई बार बच्चे के लिंग का निर्धारण भी इससे प्रभावित हो सकता है। तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन से मां और बच्चे के शरीर को जोड़ने वाले प्लेसेंटा की क्रियाविधि भी प्रभावित होती है।

आयरन की कमी

मां के तनाव झेलने से प्रसव के बाद भी उनका स्वास्थ्य खराब रहता है। ऐसे में बच्चों में खासतौर पर आयरन की कमी देखी जाती है। आयरन दिमाग के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। इसलिए गर्भावस्‍था के दौरान तनाव नुकसानदेह है। गर्भावस्‍था के दौरान मां के तनाव लेने से बच्‍चे का विकास भी प्रभावित होता है। तनाव के कारण बच्‍चे का मानसिक विकास अच्‍छे से नहीं हो पाता है। इसके अलावा जन्‍म के समय बच्‍चे का वजन भी कम हो सकता है।

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