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Cyberbullying : साइबरबुलिइंग के शिकार होने से अपने बच्चों को यूं बचाएं

Cyberbullying : साइबरबुलिइंग के शिकार होने से अपने बच्चों को यूं बचाएं
साइबरबुलिइंग से अपने बच्चों को यूं बचाएं। © Shutterstock.

साइबरबुलिइंग का शिकार हुए अधिकतर बच्चे आत्महत्या कर बैठते हैं। ऐसे में साइबरबुलिइंग का शिकार हुए बच्चों के पेरेंट्स को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मिडिल स्कूल के बच्चे साइबरबुलिइंग में अधिक शामिल होते हैं।

Written by Anshumala |Updated : September 16, 2019 11:57 PM IST

''साइबरबुलिइंग" (Cyberbullying) किसी प्रीटीन, टीन द्वारा अपने ही स्कूल के किसी दूसरे बच्चे, प्रीटीन या टीन को इंटरनेट, इंटरैक्टिव, डिजिटल तकनीकों, मोबाइल फोन के जरिए गलत व गंदे मैसेज भेजना, सेक्स संबंधित वीडियो भेजना या पीड़ित करना, धमकाना, परेशान, अपमानित व लज्जित करना (What is Cyberbullying) होता है। आज स्कूलों में साइबरबुलिइंग (Cyberbullying) बच्चों में क्रेज सा बनता जा रहा है। इससे बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है। बच्चे गलत राह पर चले जाते हैं।

क्या करते हैं साइबरबुलिइंग के शिकार हुए बच्चे

साइबरबुलिइंग का शिकार हुए अधिकतर बच्चे आत्महत्या कर बैठते हैं। ऐसे में साइबरबुलिइंग का शिकार हुए बच्चों के पेरेंट्स को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मिडिल स्कूल के बच्चे साइबरबुलिइंग में अधिक शामिल होते हैं। यदि आपको भी लगता है कि आपका बच्चा इन चीजों में शामिल है या इंटरनेट का गलत इस्तेमाल कर रहा है, तो उन्हें रोकें।

साइबरबुलिइंग को रोकने के लिए क्या करें

1 सबसे पहले बच्चों का एलेक्ट्रॉनिक चीजों के इस्तेमाल पर रोक (parenting tips to stop Cyberbullying) लगाएं। अधिक फोन, लैपटॉप, टैब, सोशल मीडिया का यूज ना करने दें।

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2 साइबरबुलिइंग में शामिल बच्चे अक्सर इन बातों को पेरेंट्स से छुपाते हैं। उन्हें यह आभास दिलाएं कि वे जो भी करते हैं उसकी पूरी जानकारी आपको है। उनकी बातों को शांति व सहानुभूति से सुनें और सपोर्ट करें।

3 यदि बच्चा साइबरबुलिइंग का शिकार हो रहा है, तो उन सभी मैटीरियल का प्रिंट रखें और सभी इलेक्ट्रॉनिक फाइल्स को सेव कर लें। यदि स्कूल का ही कोई बच्चा ऐसा कर रहा है तो उसके पेरेंट्स और स्कूल प्रशासन को यह सबूत के तौर पर दिखाएं। बच्चे को कोई डराने या अपहरण करने की धमकी देता हो तो पुलिस से संपर्क करें।

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4 यदि आपका बच्चा ही बुली हो तो उसके सेल फोन, कम्प्यूटर का इस्तेमाल कुछ दिनों के लिए बंद कर दें। इससे आप अपने बच्चे के साथ दूसरे बच्चे की जिंदगी बर्बाद होने से बचा सकते हैं।

5 जब आपका बच्चा कम्प्यूटर पर अधिक समय व्यतीत करे तो यह जानने की कोशिश करें कि वह क्या कर रहा है और किससे चैटिंग कर रहा है। इस गलतफहमी में ना रहें कि कम्प्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग सिर्फ शिक्षा का माध्यम भर है। यह भी न सोचें कि बच्चा घर में इंटरनेट का प्रयोग सही ढंग से ही करेगा।

6 बच्चे से जुड़ी हर क्षेत्र की बातों की जानकारी रखें, उसमें शामिल हों, उनसे बातें करें। उनके इंटरनेट एक्टिविटीज पर ध्यान दें। चाहें तो इंटरनेट सेक्योरिटी सॉफ्टवेयर को अपने कंट्रोल में रख कर ही इंस्टॉल कराएं।

बच्चे क्या करें

1 कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे- पता, फोन नम्बर, स्कूल का नाम, लोकेशन, पेरेंट्स का नाम, पर्सनल फोटोग्राफ आदि इंटरनेट पर मत डालो।

2 किसी से भी ऑनलाइन कॉनटैक्ट करना हो तो अपना ईमेल एड्रेस दो। अनजाने ईमेल एड्रेस से आए मेल को खोलने से (how to stop being cyberbullied) बचो। यदि तुम्हें धमकाने वाले संदेश या सेक्सुअल संबंध कोई मैसेज आता है तो अपने पेरेंट्स को जरूर बताओ।

3 बिना पेरेंट्स की आज्ञा के किसी भी ऐसे व्यक्ति से मिलने मत जाओ, जिससे तुम ऑनलाइन बात करते हो या फिर पेरेंट्स को साथ लेकर जाओ।

4 अनुचित एसएमएस जैसे टेक्स्ट मैसेज का जवाब मत दो। अपने मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर का नंबर रखो और इस तरह के एब्यूसिव मैसेज के बारे में रिर्पोट करो। अपने मोबाइल को चैट रूम व किसी अंजान जगह पर मत छोड़ो।