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मां का दूध केवल पोषण ही नहीं, बल्कि जीवन की धारा है। इससे मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शिशु को पहले छह महीने तक केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। यह शिशु के जीवन के लिए जरूरी है, क्योंकि मां का दूध सुपाच्य होता है और इससे पेट की गड़बड़ियों की आशंका नहीं होती। स्तनपान महिलाओं और नवजात दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित होता है। स्तनपान कराने से बच्चों में ब्लड कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। इसके साथ ही स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता का भी विकास होता है। स्तनपान की दर में वृद्धि के साथ बच्चों में दस्त संबंधी आधी बीमारियों और सांस संबंधी सभी संक्रमणों में से एक चौथाई को रोका जा सकता है।
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बनता है भावनात्मक रिश्ता
मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसका कारण यह है कि स्तनपान करानेवाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। इसके अलावा मां के दूध में कई प्रकार के प्राकृतिक रसायन भी मौजूद होते हैं।
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कम होता है संक्रमण का खतरा
बच्चों को स्तनपान कराने से उनमें किसी भी बीमारी के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। इसके साथ ही स्तनपान कराने से बच्चों में ब्लड कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है। स्तनपान से बच्चे में दमा और कान की बीमारी को नियंत्रण किया जा सकता है, क्योंकि मां का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा विकसित करने में मदद करता है।
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इंटेलीजेंट होते हैं ऐसे बच्चे
विभिन्न शोध इस बात का भी दावा करते हैं कि मां का दूध पीने वाले बच्चे, बेबी फूड लेने वाले बच्चों से ज्यादा इंटेलीजेंट होते हैं। जिन बच्चों को स्तनपान कराया जाता है वे आगे चलकर इंटेलिजेंस टेस्ट में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
स्तनपान कराने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। मां के दूध में कई ऐसे विटामिन होते हैं जो बच्चा के दिमाग का विकास करते है। इसके साथ ही बच्चों को स्तनपान कराने से उनकी दृष्टि भी विकसित होती है।
नियंत्रित रहता है मां का वजन
स्तनपान कराने का एक लाभ माताओं के लिए यह है कि इससे उनका गर्भावस्थाड के दौरान बढ़ा हुआ वजन कम होता है। कुछ महिलाएं यह सोचकर बेबी को ब्रेस्टा फीड करवाने से कतराती हैं कि इससे उनका फिगर खराब हो जाएगा। जबकि ब्रेस्टढ फीडिंग उन्हेंस फिर से सुडौल बनाने में मदद करती है।
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