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World No Tobacco Day: भारत में प्रतिदिन 2,700 लोग तंबाकू के सेवन से गंवा रहे हैं अपनी जान

World No Tobacco Day: भारत में प्रतिदिन 2,700 लोग तंबाकू के सेवन से गंवा रहे हैं अपनी जान

आंकड़ों के मुताबिक, इस समय 19 प्रतिशत पुरुष, 2 प्रतिशत महिलाएं और 10.7 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं, जबकि 29.6 प्रतिशत पुरुष, 12.8 प्रतिशत महिलाएं और 21.4 प्रतिशत वयस्क धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।

Written by Anshumala |Published : May 30, 2018 4:00 PM IST

31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि भारत में प्रतिदिन लगभग 2,739 लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर और इससे होने वाली बीमारियों से दम तोड़ देते हैं? इसकी रोकथाम को ध्यान में रखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस वर्ष 2018 का थीम ‘‘टोबैको और कार्डियेावैस्कुलर डिजीज (तंबाकू और हृदय रोग)’’ रखा है। डब्लूएचओ और सहयोगी लोगों को तंबाकू और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के बीच के संबंध के बारे में जागरूक करेंगे, जिसमें हृदयाघात (स्ट्रोक) भी शामिल है। यह दुनिया भर में होने वाले मौत का प्रमुख कारण है।

तंबाकू के उपयोग को रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी-10) के तहत बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसकी लत को छोड़ने की दर बहुत कम है। भारत में तंबाकू सेवन की लत को छोड़ने की दर केवल 3 प्रतिशत ही है। इस लत को छोड़ने की इतनी कम संभावना और तम्बाकू के उपयोग की इतनी अधिक आशंका के कारण बीमारियां बढ़ती हैं।

सेहत के लिए है हानिकारक

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विशेषज्ञों के अनुसार, आम लोगों में सामान्य रूप से प्रचलित धुएं रहित या चबाने वाला तम्बाकू सिगरेट और बिड़ी से सुरक्षित है और इससे दिल की बीमारी नहीं होती की इस धारणा को भ्रामक और गलत बताया है। उनके मुताबिक, किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। धूम्रपान या चबाने के रूप में तंबाकू का उपयोग कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।

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हृदय रोग का खतरा बढ़ता है

वायस ऑफ टोबैको विक्टिम्स के पैट्रन, एम्स (दिल्ली) के प्रोफेसर व कार्डियैक थोरैसिक व वैस्कुलर सर्जरी के प्रमुख डॉ. शिव चौधरी का कहना है कि तंबाकू दुनिया में कार्डियोवैस्कुलर मौत और अक्षमता का सबसे ज्यादा ज्ञात और रोकथाम योग्य कारण है। निकोटीन जैसे रसायन प्रकृति में संक्रामक होते हैं, जिससे कोरोनरी समस्याएं होती हैं। यह सर्वविदित है कि धूम्रपान हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है, लेकिन तथ्य यह है कि तंबाकू के धुएं रहित रूप भी समान रूप से हानिकारक हैं।

आंकड़े हैं चिंताजनक

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस-2) 2016-17 के अनुसार, भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान तम्बाकू से कहीं अधिक है। वर्तमान में 42.4 प्रतिशत पुरुष, 14.2 प्रतिशत महिलाएं और सभी वयस्कों में 28.6 प्रतिशत धूम्रपान करते हैं या फिर धुआं रहित तम्बाकू का उपयोग करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस समय 19 प्रतिशत पुरुष, 2 प्रतिशत महिलाएं और 10.7 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं, जबकि 29.6 प्रतिशत पुरुष, 12.8 प्रतिशत महिलाएं और 21.4 प्रतिशत वयस्क धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। 19.9 करोड़ लोग धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं, जिनकी संख्या सिगरेट या बिड़ी का उपयोग करने वाले 10 करोड़ लोगों से कहीं अधिक हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रतिवर्ष देश भर में 10 लाख लोग इससे दम तोड़ रहे हैं। वंही देश भर में 5,500 बच्चे हर दिन तंबाकू सेवन की शुरुआत कर रहे हैं और वयस्क होने की आयु से पहले ही तम्बाकू के आदी हो जाते हैं।

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टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई के प्रोफेसर और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन शरीर को इसके हानिकारक प्रभाव से नहीं बचाती। यहां तक कि धुआं रहित तंबाकू प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपों में भी इसी तरह के दुष्प्रभाव का कारण बनता है। धुआं रहित तम्बाकू का उपभोग करने वाले लोगों में दिल के दौरे के बाद मृत्यु दर में काफी वृद्धि करता है।

स्रोत: press release.

चित्रस्रोत- Shutterstock Images.