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विश्व एड्स दिवस हर साल दुनिया में 1 दिसम्बर को मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य एचआईवी व एड्स के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। एड्स ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (HIV) वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली जानलेवा बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ दुनियाभर के सरकारी संगठन और गैर सरकारी संगठनों द्वारा 1 दिसम्बर को एड्स के संबंध में सार्वजनिक आयोजनों के माध्यम से जागरुकता फैलाई जाती है। ये भी पढ़ेंः HIV-positive वाले व्यक्ति को कितने दिनों में एड्स हो सकता है ?
कब से हुआ प्रारम्भः संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने साल 1995 में विश्व एड्स दिवस के लिए आधिकारिक घोषणा की थी जिसका पालन दुनिया के सभी देशों द्वारा किया जाता है। विश्व एड्स दिवस समारोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य दिन समारोह बन गया है। विश्व एड्स दिवस स्वास्थ्य संगठनों के लिए लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने, इलाज के लिये संभव पहुँच के साथ-साथ रोकथाम के उपायों पर चर्चा करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। विश्व एड्स दिवस 2018 में शनिवार, 1 दिसम्बर को मनाया जायेगा। ये भी पढ़ेंः 10 एचआईवी/एड्स मिथक।
विश्व एड्स दिवस का इतिहासः विश्व एड्स दिवस की पहली बार कल्पना 1987 में अगस्त के महीने में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जॉननाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाना शुरू कर दिया। उन्होंने इसे चुनाव के समय, क्रिसमस की छुट्टियों या अन्य अवकाश से दूर मनाने का निर्णय लिया। ये उस समय के दौरान मनाया जाना चाहिए जब लोग, समाचार और मीडिया प्रसारण में अधिक रुचि और ध्यान दें सकें। ये भी पढ़ेंः ओरल सेक्स के दौरान HIV/ AIDS के खतरे को कैसे करेंगे कम ?
एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम, जो यूएन एड्स के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1996 में प्रभाव में आया और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया गया। एक दिन मनाये जाने के बजाय, पूरे वर्ष बेहतर संचार, बीमारी की रोकथाम और रोग के प्रति जागरूकता के लिये विश्व एड्स अभियान ने एड्स कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 1997 में यूएन एड्स शुरू किया। ये भी पढ़ेंः HIV का दुर्लभ मामलाः इस अजीब तरीके से भी हो सकता है एचआईवी संक्रमण।
एचआईवी / एड्स के लक्षण और संकेत
इन सब लक्षणों के बावजूद इस रोग के कई मामलों में प्रारंभिक लक्षण कई वर्षों तक दिखाई नहीं देते जिसके दौरान एचआईवी वायरस के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली नष्ट हो जाती है, जो लाइलाज है। संक्रमित व्यक्ति इस अवधि के दौरान किसी भी लक्षण को कभी महसूस नहीं करता है और स्वस्थ दिखाई देता है। एचआईवी एड्स की बीमारी लाइलाज है। इस बीमारी से बचने के लिए सिर्फ बचाव ही कारगर हैं।
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