सरकार ने बुधवार को 'थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन' की '2018 में महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे असुरक्षित देश' शीर्षक वाली रपट को नकारते हुए कहा कि यह रपट आंकड़ों पर नहीं, बल्कि जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है। रपट के अनुसार महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से भारत दुनिया का सबसे असुरक्षित देश है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "रायटर्स ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए दोषपूर्ण पद्धति का उपयोग किया है। यह रैंकिंग छह आसान प्रश्नों पर मिली प्रतिक्रियाओं पर आधारित अनुमान पर आधारित है। ये परिणाम किसी प्रकार के आंकड़ों से नहीं मिले हैं, तथा ये पूरी तरह व्यक्तिगत विचारों पर आधारित हैं।"
बयान के अनुसार, "सर्वेक्षण का निष्कर्ष 548 लोगों से मिले उत्तर के आधार पर निकाला गया है। रायटर्स ने इन लोगों को 'महिला मुद्दों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ' बताया है। हालांकि उनके पदनाम, उनकी साख, वे किस देश की विशेषज्ञता रखते हैं या उनकी योग्यता के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसलिए इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।"
मंत्रालय ने संगठन की सर्वेक्षण पद्धति पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें बताया गया है कि सर्वेक्षण में नीतिनिर्माताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने कहा कि इस मत के लिए किसी भी प्रकार की जानकारी या राय नहीं मांगी गई।
सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं पर आधारित मुद्दों के जिन 548 वैश्विक विशेषज्ञों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया है, उनमें 43 भारतीय हैं। उन लोगों से भारत में छह क्षेत्रों में महिलाओं के लिए खतरों से संबंधित प्रश्न किए गए थे। ये क्षेत्र स्वास्थ्य, आर्थिक संसाधनों पर पहुंच और भेदभाव, परंपरागत प्रथाओं, यौन हिंसा, गैर यौन हिंसा और मानव तस्करी हैं।
सर्वेक्षण में भारत को क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर स्थित युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान और सीरिया से भी ज्यादा खतरनाक देश बताया गया है।
भारत को सभी मामलों में सबसे असुरक्षित, तथा विशेष रूप से मानव तस्करी, यौन हिंसा और सांस्कृतिक, धार्मिक और आदिवासीय प्रथाओं से सबसे असुरक्षित रैंकिंग मिली है।
स्रोत: IANS Hindi.
चित्रस्रोत: Shutterstock.
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