Don’t Miss Out on the Latest Updates.
Subscribe to Our Newsletter Today!
मलेरिया की दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी बीच खबरे सामने आ रही हैं कि अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिक, कोरोवायरस (Coronavirus) के मरीजों पर गठिये की दवा का परीक्षण करने जा रही है। बता दें कि गठिया की दवा पर साफ तौर से चेतावनी दी गई है कि जिन मरीजों को इंफेक्शन हैं, वे इस दवाई का सेवन ना करें। क्योंकि इसे इंफेक्शन और भी ज्यादा बढ़ने की संभावना हो सकती है। इसके बावजूद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा यह परीक्षण किया जा रहा है।
शोधकर्ताओं द्वारा इस रिसर्च का मकसद यह पता लगाना है कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कौन सी दवा सबसे तेजी से काम करेगी। इस रिसर्च की शुरुआत फरवरी के अंत में हुई थी, जिसमें एंटीवायरल दवा Remdesivir का इस्तेमाल किया गया था। इस रिसर्च में कोरोना वायरस के 400 मरीजों का इलाज प्लासीबो (Placebo) और Remdesivir से किया गया था। शोधकर्ताओं द्वारा अब इसके रिजल्ट्स का विश्लेषण किया जा रहा है, जिसका परिणाम कुछ ही सप्ताह में आ सकते हैं। इसके बाद एली लिली एंड को. द्वारा बनाई गई दवा Baricitinib पर रिसर्च किया जाएगा। इस बारे में लिली के चीफ साइंटिफिट ऑफिसर, डैन स्कोवरोमस्की ने बताया कि क्यों और कैसे कोरोना वायरस के रिसर्च में Baricitinib को चुना गया है।
कोरोना वायरस जब फरवरी के महीने में एक महामारी के रूप में उभर रहा था, तब बेनेवोलेंट एआई नाम की यूनाइटेड किंगडम की एक कंपनी द्वारा कोरोनो वायरस से संक्रमित लोगों की मदद के लिए दवाओं की तलाश में जुट गया। जिसमें उस कंपनी द्वारा अपनी आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम का उपयोग किया गया। इस तलाश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस द्वारा Baricitinib का नाम आया, यह प्रतिरक्षा प्रणाली की दवाओं में से एक है। लेकिन इम्यून सिस्टम को यह काफी हद तक प्रभावित करता है, जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
लॉकडाउन में नहीं मिल रही धूप, विटामिन डी के लिए खाएं ये फूड्स
कोरोनावायरस का संक्रमण जैसे ही बढ़ता है, उस समय वायरस की संक्रमित कोशिकाओं की मात्रा अधिक नहीं होती है। कुछ लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली की मात्रा अधिक चली जाती है, तो इससे बड़ी मात्रा में छोटे प्रोटीन - साइटोकाइन को भेजती है, जिससे इंफ्लामेशन पैदा होता है। शरीर में साइटोकाइन की अधिक मात्रा होने के कारण मरीज की मौत हो सकती है। खासतौर पर ऐसे मरीजों को, जिसमें फ्लू जैसी बीमारी है। Baricitinib दवाई पर बात करते हुए बेनेवोलेंट एआई ने बताया कि इस दवा में एंटी-वायरल गुण हो सकते हैं, इसलिए इससे साइटोकाइन के बढ़ने की संभावना कम हो सकती है। इसलिए रिसर्च में इस दवा के इस्तेमाल पर चर्चा की जा रही है।
गर्मियों में शरीर को रखें हाइड्रेट, इन चीजों के सेवन से करें पानी की कमी दूर
इन राज्यों के चमगादड़ों में मिला कोरोना वायरस, ICMR के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा