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भारतीय पारम्परिक भोजन में गेंहूं के आटे के अलावा चावल, मक्का, बाजरा, ज्वारी और रागी जैसे अनाजों से बना आटा भी शामिल होता है। हमें आज बाज़ार में जो मल्टीग्रेन आटे के पैकेट दिखते हैं उनमें भी इन पारम्परिक अनाजों का आटा मिश्रित होने का दावा किया जाता है। हेल्दी रेसिपी: चने का साग, सर्दियों की एक पौष्टिक डिश
बाजरे का आटा काफी समय पहले से हमारे घरों में इस्तेमाल होता रहा है। गांव-खेड़ों के सादे-सात्विक भोजन में बाजरे का आटा भी शामिल किया जाता है। बाजरे का आटा डायटरी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। फाइबर की यह मात्रा इसे हमारे पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने मदद करती है। इसके अलावा बाजरा जैसे देशी आटे में ग्लूटेन की मात्रा बिल्कुल नहीं होती। इस तरह यह आपको ग्लूटेन की वजह से होने वाली परेशानियों जैसे त्वचा संबधी एलर्जी और पेट की बीमारियों से राहत दिलाता है।
आमतौर पर वेट लॉस के लिए कोशिश कर रहे लोगों को अपनी डायट में चावल और रोटी कम और सब्ज़ियां-दाल ज़्यादा मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है। इस तरह भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को सीमित रखने या कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। कुछ विशेष प्रकार की डायट्स को ऐसे डिज़ाइन किया जाता है कि वो ज़ीरो-कार्ब्स डायट बन जाती हैं यानि उनमें कार्ब्स बिल्कुल नहीं होते। लेकिन वेट लॉस के लिए कार्ब्स को भोजन से पूरी तरह हटाना बिल्कुल सही नहीं है। कार्ब्स के साथ आटे में और भी महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो आपके शरीर की सेहत और उसके विकास के लिए बहुत ज़रूरी है।
इसीलिए रोटियों से पूरी तरह परहेज करने की बजाय आप गेंहूं की बजाय बाजरे के आटे की रोटियां खाएं। बाजरे का आटा दरदरा होता है और इसीलिए इसे पचाने के लिए शरीर को मेहनत करनी पड़ती है। इस तरह आपके शरीर का मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है और सही मेटाबॉलिक रेट की मदद से आपका वजम खुद-ब-खुद कम होने लगता है। साथ ही आपको आटे से मिलने वाले पोषक तत्वों की कमी भी आपके शरीर में नहीं होगी। जानें क्यों सत्तू, मक्का और रागी का आटा खाना है सेहत के लिए फायदेमंद !