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जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है वैरीकोज़ वेन्स (Varicose Veins) एक सामान्य स्वास्थ्य की चिंता बनती जाती है। अध्ययनों के अनुमान के मुताबिक पांच वयस्कों में से एक वयस्क को वैरीकोज़ वेन्स (Varicose Veins problem) की शिकायत होती है और वैरीकोज़ वेन्स से पीड़ित 16 प्रतिशत वयस्क 60 वर्ष या उससे ज़्यादा आयु के होते हैं। इस आयुवर्ग के 65 फीसदी लोगों में जिनमें वैरीकोज़ वेन्स का निदान किया गया है उनमें कम से कम एक पैर में वैरीकोज़ वेन्स संबंधी लक्षण पाए गए हैं।
कभी पेशेवर क्रिकेटर रहे 53 वर्षीय अविनाश मेस्त्री 20 साल की उम्र से वैरीकोज़ वेन्स से पीड़ित थे। उन्होंने इसके लक्षणों को नजरअंदाज किया। कुछ समय बाद उन्हें दर्द की तकलीफ, पैरों में सूजन और पैर की त्वचा काली होने जैसी समस्या होने लगी। जब उनके पैर पर छोटे अल्सर (न भर पाने वाली ज़ख्म) होने लगे तो उन्होंने उपचार लेने का फैसला किया और उन्हांने डोंबिवली स्थित सुरेखा वैरीकोज़ वेन्स क्लिनिक में डॉ. आशिष धडस से संपर्क किया।
सुरेखा वैरीकोज़ वेन्स क्लिनिक, डोंबिवली के वैरीकोज़ वेन्स विशेषज्ञ डॉ. आशिष धडस ने कहा, “अविनाश मेस्त्री कई सालों से वॅरीकोज व्हेन्स से पीड़ित थे। किसी कारण से वे प्राथमिक चरण में बीमारी का इलाज नहीं कर सके। परिणामस्वरूप, उनके पैरों की त्वचा काली हो गई और घाव हो गए। यहां तक कि इस स्तर पर हम उन्हें एक लेजर विधि से इलाज कर सकते हैं। लेकिन शुरुआत में, उपचार आसान और अधिक प्रभावी होता है ।”
आम तौर पर वैरीकोज़ वेन्स तब विकसित होता है जब कोई ज़्यादा वज़न का हो, परिवार में इसका इतिहास रहा हो, कोई महिला गर्भवती हो या रही हो या फिर कोई लंबी अवधि के लिए खड़ा रहता हो। महिला और पुरुष दोनों में ही वैरीकोज़ वेन्स की तकलीफ विकसित होती है। पैरों में थकावट, पैरों में एंठन (क्रैम्प्स), पैरों में दर्द और टखनों में सूजन इसके लक्षणों में शामिल है। यदि वैरीकोज़ वेन्स का इलाज नहीं किया गया तो नसें मोटी, कड़क और पीड़ादायक बन जाती है।”
डॉ. धडस ने ने बताया,“ जैसे-जैसे वैरीकोज़ वेन्स बीमारी बढ़ती जाती है ये गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकती है। वैरीकोज़ वेन्स का शुरुआती स्तर पर इलाज करना आसान है और इसके नतीजे भी काफी अच्छे होते हैं। वहीं बीमारी काफी बढ़ जाने पर उपचार कठिन होता है और परिणाम मिलने में भी लंबा समय लगता है। वैरीकोज़ वेन्स का लेज़र उपचार दुनियाभर में स्वीकृत और उपचार का पसंदीदा प्रकार है।
परिणामों के मामले में ये ओपन सर्जरी से श्रेष्ठ है। इसके साथ ही ये पीड़ारहित, दागरहित है और मरीज़ 48-72 घंटों में वापस अपने रोजमर्रा के काम पर लौट सकता है। ईवीएलटी यानि वैरीकोज़ वेन्स की एंडोवेनस लेज़र ट्रीटमेंट। ये पीड़ारहित, दागरहित इलाज है और इसमें न के बराबर या कम से कम समस्याएं आती हैं। मरीज़ जल्दी ही उसकी रोजमर्रा की गतिविधियां शुरु कर सकता है।
ईवीएलटी के अलावा क्रायो लेज़र एंड क्रायो स्क्लेरोथेरपी (क्लैक्स) हाल ही में भारत में सबसे पहली बार सुरेखा वैरीकोज़ वेन्स क्लिनिक में शुरु की गई है जो पैरों के स्पाइडर वेन्स और छोटी वैरीकोज़ वेन्स के इलाज के लिए एक क्रांतिकारी तकनीक है। डॉ. आशिष धडस ने आखिर में जानकारी देते हुए कहा कि क्लैक्स ऑगमेन्टेड रिएलिटी, ट्रान्सडर्मल लेज़र, स्क्लेरोथेरपी और लोकल एनीस्थिसिया के लिए स्किन कूलिंग जैसी विभिन्न तकनीकों का मिश्रण है ।
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