स्वाइन फ्लू ने इस साल अब तक हिमाचल प्रदेश में 16 लोगों की जान ले ली है। 2018 में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या दो थी। हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने मंगलवार को विधानसभा को यह जानकारी दी।
परमार के मुताबिक सोमवार को दो लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हुई।
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राज्य में स्वाइन फ्लू की स्थिति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में परमार ने कहा कि कांगड़ा और शिमला जिलों में क्रमश: 36 और 33 पाजीटिव मामले पाए गए हैं। राज्य भर में कुल 113 मामले सामने आए हैं।
स्वाइन फ्लू से पीड़ित 21 लोगों का यहां के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि आठ लोग टांडा शहर में स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं।
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साल 2018 में राज्य में स्वाइन फ्लू से सिर्फ दो लोगों की मौत हुई थी जबकि 2017 में यह संख्या 17 थी। इसी तरह 2016 में पांच और 2015 में सात लोग इस बीमारी से मरे थे।
राज्य में स्वाइन फ्लू का पहला मामला 2009 में प्रकाश में आया था।
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ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
नमी के मौसम में संक्रामक वायरस सक्रिय हो जाते हैं। जिस वजह से स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। देश भर में लगातार सामने आ रहे स्वाइन फ्लू के मामलों के कारण लोगों में इस बीमारी के खतरे के प्रति एक बार फिर से डर फैल गया है। स्वाइन फ्लू को H1N1 के नाम से भी जाना जाता है। ये एक तरह का संक्रमण है जो इंफ्लूएंजा ए वायरस के कारण फैलता है। ये वायरस मुख्यत: सूअरों में पाया जाता है और इनसे ही इंसानों में फैलता है। इंसानों में ये एक से दूसरे में काफी तेजी से फैलता है। इस बीमारी के वायरस को नमी की जरूरत होती है इसलिए ये ठंड और बरसात के दिनों में तेजी से फैलता है।
बच्चों और बीमारों को होता है ज्यादा खतरा
स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को होता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वो भी तेजी से इस वायरस की चपेट में आ जाते हैं। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। इसलिए ठंड और बरसात के मौसम में इससे बचने के लिए अतरिक्त सावधानी रखने की जरुरत होती है।
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