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टूथब्रश बाजार में आने से पहले, भारतीयों ने दांतों को ब्रश करने के लिए नीम की दातुन प्रयोग में लाते थे, इसे दातुन भी कहते हैं। ग्रामीण अंचलों में आज भी लोग नीम की दातुन ही करते हैं। क्योंकि वे मौखिक स्वच्छता बनाए रखने में एक बेहतर काम करते हैं। यह वास्तव में एक बहुत स्वस्थ अभ्यास है। कुछ अध्ययनों का यह भी दावा है कि जो लोग नीम का दातुन करते हैं वह कुछ दंत समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं।
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दरअसल नीम के पेड़ में 130 से अधिक सक्रिय यौगिक मौजूद होते हैं। यही कारण है कि नीम के पेड़ के लगभग सभी हिस्से उपयोगी होते हैं। नींम की छाल, पत्तियां, टहनियां आदि में औषधीय गुण पाए जाते हैं। नीम में एंटी-कैंसरजन्य, एंटी-बैक्टीरिया, एंटीसेप्टिक, एंटीमाइमरियल, एंटी-वायरल और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। यदि आप हैरान हैं, तो यहां नीम की छड़ें और दंत स्वास्थ्य में उनकी भूमिका के बारे में कुछ और तथ्य हैं जिसके बारे में आप जान सकते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर - नीम की टहनियों में औषधीय गुण होते हैं। दांत साफ करने के लिए पहले इनके कोनों को चबाया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, चबाने वाले कोने ब्रश के ब्रिस्टल की तरह काम करते हैं। वे दांतों के कोनों को साफ करते हैं।
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एंटी-माइक्रोबियल - चूंकि नीम में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, इसे चबाने से प्लाक गठन को रोका जा सकता है। नीम का कड़वा स्वाद भी बुरी सांस से लड़ता है। सांसों की दुर्गंध को दूर करता है
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दांतों का पीलापन दूर करता है - नीम में मौजूद केमिकल दांतों के पीलेपन को दूर करता है। जो काम टूथपेस्ट नहीं कर सकते उससे कई गुना ज्यादा लाभ नीम की दातुन करती है।
ऐसे करें प्रयाेेेग