घर से दूर रहकर कितने भी ऐशो-आराम जुटा लीजिए लेकिन घर वाली फील नहीं आ पाती है। 35% लोगों का ऐसा ही मानना है। ये ऐसे लोग हैं जो पढ़ाई या रोजगार के लिए घर से दूर रह तो रहे हैं लेकिन महसूस करते हैं कि यहां घर वाली बात नहीं है। घर से बाहर रहने वाले 33% लोगों को सुरक्षा की तो 27% लोगों को प्राइवेसी की चिंता सताती रहती है। खास बात तो ये है कि ऐसा मानने वाले लोगों का आंकड़ा 20% था। यानी ऐसा अलगाव महसूस करने वाले लोगों की संख्या 2 साल में 15%