सिर्फ महानगर ही नहीं बल्कि देश के छोटे शहरों में रहने वाले लोगों में भी अब इस जरूरी विटामिन (Vitamin B12 deficiency) की कमी होने लगी है। जिसकी वजह से लोगों में एंग्जायटी, गुस्सा और तनाव बढ़ रहा है। अगर आप चाहते हैं कि चुस्ती–फुर्ती के साथ ही मूड भी अच्छा रहे तो अपने आहार में विटामिन बी12 (Vitamin B12) को जरूर शामिल करें। इसकी कमी आपकी सेहत के लिए कई शारीरिक और मानसिक समस्याएं खड़ी कर सकती है। हाल ही के एक शोध की मानें तो भारत की लगभग 60-70 प्रतिशत जनसंख्या और शहरी मध्यवर्ग का लगभग 80 प्रतिशत विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित है।
क्या आप थोड़ी देर में ही थक जाते हैं, अपने आप को ओवरबर्डन महसूस कर रहें हैं और छोटी-छोटी बातों पर झुंझला जाते हैं, तो हो सकता है आपके शरीर मे एक महत्वपूर्ण विटामिन की कमी हो। एंटी स्ट्रेस के नाम से जाना जाने वाला विटामिन बी 12 शरीर को स्फूर्ति देकर काम के लिए तैयार करता है। जबकि इसकी कमी कई गंभीर रोगों को बुलावा देती है।
बी12 की कमी के अधिकांश मामले दरअसल उसके अवशोषण की कमी के मामले होते हैं क्योंकि चालीस पार के लोगों की बी12 अवशोषण की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। बहुत सी दवाइयां भी लम्बे समय तक प्रयोग किए जाने पर बी12 के अवशोषण को अस्थाई रूप से या सदा के लिए बाधित करती हैं। इसके अलावा भोजन में नियमित रूप से बी12 की अधिकता होने पर शरीर उसकी आरक्षित मात्रा में कमी कर देता है। बी-12 की कमी कई कारणों से पाई जाती है, जिनमें जीवनशैली संबंधी गलत आदतें तथा जैव रासायनिक खपत संबंधी समस्याएं शामिल हैं। हाल ही के एक शोध की मानें तो भारत की लगभग 60-70 प्रतिशत जनसंख्या और शहरी मध्यवर्ग का लगभग 80 प्रतिशत विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित है।
ऐसा नहीं कि सिर्फ मांसाहार वाले ही इस विटामिन की कमी से महफूज रहते हों। मांस में भी यह जिन अवयवों में अधिक मात्रा में पाया जाता है, उन भागों को तो अधिकांश मांसाहारी भी अभक्ष्य मानते हैं, इसलिए शाकाहारी लोग भी खमीर, अंकुरित दालों, शैवालों, दुग्ध-उत्पादों यथा दही, पनीर, खोया, चीज, मक्खन, मट्ठा, सोया मिल्क आदि तथा जमीन के भीतर उगने वाली सब्जियों जैसे आलू, गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर आदि की सहायता से बी12 की पर्याप्त मात्रा प्राप्त कर सकते हैं, और भोजन में गाहे-बगाहे खमीरी रोटी और स्पाइरुलिना भी ले लिया करें तो अच्छा है। विशेषकर यदि आप चालीस के निकट हैं या उससे आगे पहुंच चुके हैं। हां, अच्छी बात यह भी है कि इसकी दवा की मात्रा मर्ज की गंभीरता पर निर्भर करती है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यह दवा आंतों में मौजूद लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को सक्रिय करने का काम करती है।
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