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कुछ रिपोर्ट्स में यह देखने को मिला है कि लॉन्ग कोविड जिसके लक्षण कोविड से रिकवर होने के बाद भी देखने को मिलते थे, अप्रैल के समय जोकि कोविड की दोनों लहरों का शुरुआती काल था, में देखने को मिले हैं। ओमिक्रोन के समय थकान, सांस न आना, कॉन्सेंट्रेट न कर पाना जैसे लक्षण 50% कम हो गए। यह लक्षण डेल्टा के समय उससे दो गुणा ज्यादा देखने को मिल रहे थे। यह अंतर केवल दोनों वैक्सिन लगवा लेने वाले लोगों में देखने को मिला। जिन लोगों ने तीन वैक्सिन लगवाई थी उनके नतीजे कुछ खास प्रभावित नहीं हुए।
दो तिहाई लोगों में से जिन्होंने लॉन्ग कोविड को अपने आप पहचाना था में से 1.2 मिलियन लोगों का कहना है कि इन लक्षणों के कारण उनकी रोजाना की गतिविधियां प्रभावित हो रही थी। इस स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक डेल्टा के समय लोग कोविड से तो ठीक हो गए थे लेकिन बाद में लंबे समय तक उन्हें सांस लेने में कठिनाई होना और थकान होने जैसे लक्षणों की वजह से कोई भी काम करने में मुश्किल महसूस हो रही थी। इन लक्षणों की दर तीसरी लहर के बाद काफी कम हुई और लगभग इनका आधी फीसदी रिस्क कम हो गया। यह फायदा वैक्सिनेटेड लोगों को ज्यादा मिला है।
हालांकि इनमें से ज्यादातर लक्षण जानलेवा भी नहीं थे लेकिन कुछ लोगों के मुताबिक इन लक्षणों की वजह से उनका जीवन काफी ज्यादा सीमित हो गया। थकान होना और सांस न आ पाने के कारण वह कुछ भी काम पहले की तरह नहीं कर पा रहे। यूएस गवर्नमेंट अकाउंटेबिलिटी ऑफिस का कहना है कि लॉन्ग कोविड मजदूरों की संख्या कम करके अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में सोशल सिक्योरिटी डिसएबिलिटी इंश्योरेंस और अन्य तरह के पब्लिक इंश्योरेंस की जरूरत और ज्यादा बढ़ जाती है।
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