इंजेस्टिबल (निगलने वाले) सेंसर की मदद से पेट में रक्तस्राव या दूसरे जठरांत्रिय (Gastrointestinal) समस्याओं की पहचान की जा सकती है। यह इंजेस्टिबल सेंसर जेनेटिकली इंजीनियर्ड बैक्टीरिया से लैस होगा। इस सेंसर को एमआईटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया, जिसमें एक भारतीय मूल का शोधकर्ता भी है।
यह 'बैक्टीरिया-ऑन-चिप' सेंसर जीवित कोशिकाओं व अल्ट्रा लो पावर इलेक्ट्रॉनिक्स से मिलकर बना है। यह बैक्टीरिया के प्रतिक्रिया को एक वायरलेस संकेत में बदलता है, जिसे स्मार्टफोन द्वारा बढ़ सकता है।
एमआईटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के डीन अनंत चंद्राकसन ने कहा, "यह कार्य ध्यान प्रणाली डिजाइन और बैक्टीरियल सेंसिंग के पावर को अल्ट्रा लो पावर सर्किट से जोड़ना है, ताकि महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संवेदना को समझा जा सके।"
विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर टिमोथी लू ने कहा, "इंजीनियर्ड बॉयोलॉजिकल सेंसर्स को लो पावर वायरलेस इलेक्ट्रॉनिक्स से जोड़कर हम शरीर के संकेतों को पहचान कर सकते हैं और इससे मानव स्वास्थ्य के नई पहचान की क्षमताओं में समर्थ हो सकते हैं।"
इस नए शोध का प्रकाशन पत्रिका 'साइंस' में किया गया है। इसमें दल ने सेंसर्स बनाया है, जो हीम (रक्त के अवयव) पर प्रतिक्रिया देते हैं। इसका प्रयोग सूअरों पर किया गया है।
स्रोत:IANS Hindi.
चित्रस्रोत- Shutterstock Images.
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