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Glaucoma: एक हालिया स्टडी में यह बात सामने आयी है कि ग्लूकोमा की शुरुआत में भी लोगों को देखने से जुड़ी कुछ ऐसी परेशानियां हो सकती हैं। जो, इस बीमारी से गम्भीरता से पीड़ित हैं। यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैंडफॉर्ड के शोधकर्ताओं ने पाया है कि, मस्तिष्क द्वारा बार-बार ग्लूकोमा की वजह से नज़र में होनेवाले बदलावों के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रयास करता है। (ways to prevent Glaucoma), जिससे, हो सकता है कि जब पीड़ित व्यक्ति जांच कराए तब तक मामला हाथ से निकल जाए
इस स्टडी के प्रमुख लेखर डॉ. जोनाथन डेनिस का कहना है कि, इस स्टडी के परिणाम साबित करते हैं कि, ग्लूकोमा की सही समय पर पहचान और इसकी गम्भीरता को समझने के लिए आँखों की नियमित जांच कराना बहुत ज़रूरी है। इससे, डैमेज से पहले आंखों को बचाने की कोशिश की जा सकती है। दुखद बात यह भी है कि, ग्लूकोमा की शुरुआत में लोगों को किसी प्रकार के लक्षण दिखायी नहीं पड़ते। इसीलिए, उनका दिमाग नज़र की कमज़ोरी को पहचान नहीं पाता।
ग्लूकोमा को काला मोतिया भी कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है। यह धीरे-धीरे गम्भीर होती है और इसकी वजह से लोगों की नज़र पूरी तरह जा सकती है। सही वक़्त पर इसका इलाज करने से इस समस्या को गम्भीर होने से रोका जा सकता है। जैसा कि, ज़्यादातर केसेसे में ग्लूकोमा के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। इसीलिए, ग्लूकोमा ‘साइलेंट ब्लाइडिंग डिजीज’ भी कहते हैं। मरीज़ों की तरफ से लापरवाही के चलते ग्लूकोमा गम्भीर हो जाती है। जिससे, व्यक्ति को पूरी तरह दिखना बंद हो जाता है। दुनियाभर की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ग्लूकोमा से पीड़ित है। ग्लूकोमा फाउंडेशन का अनुमान है, 2020 के अंत तक एक करोड़ बारह लाख लोग ग्लूकोमा के चलते अपनी आंखों की रोशनी गंवा सकते हैं।
इस स्टडी में 20 ऐसे लोगों को अध्ययन किया गया जिनमें, शूरूआती से लेकर मध्यम स्तर के लक्षण दिखायी पड़ रहे थे। उन्हें एक स्क्रीन डिस्प्ले पर देखकर कुछ प्रश्नों के जवाब देने थे। इस डिस्प्ले पर कुछ विशेष प्रकार के पैचेस बने हुए थे। इसी तरह कुछ ऐसे लोगों का भी टेस्ट किया गया जिन्हें, ग्लूकोमा की समस्या नहीं थी। स्टडी में पाया गया कि, ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को धुंधला या काले रंग के धब्बे नहीं दिखायी पड़े। जबकि, उन्हें यह डिस्प्ले साधारण लोगों (जिन्हें ग्लूकोमा नहीं था) की तरह ही दिखायी दे रहा था। इससे, यह साबित हो गया कि, ग्लूकोमा के मरीज़ों का दिमाग ऑप्टिक नर्व को हुए नुकसान को कवर कर रहा था।