नौ साल की एक बच्ची जब स्कूल में थी तो वह एक्यूट आर्टीरियल इस्केमिक स्ट्रोक की शिकार हो गई। इसी महीने की पहली तारीख को हुई इस घटना में बच्ची के अध्यापकों और माता-पिता की सूझबूझ के चलते न केवल उसका जीवन बचा लिया गया बल्कि वह आजीवन अपंग होने से भी बच गई। बच्ची को 'गोल्डेन पीरियड' के अंदर इलाज मिल गया जिस कारण उसकी जिंदगी बच गई। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल नई दिल्ली में इमरजेंसी विभाग प्रमुख डॉ. प्रियदर्शनी पाल सिंह ने कहा स्ट्रोक के बाद तकरीबन चार घंटे की अवधि को गोल्डेन पीरियड कहा जा सकता है।