दुनियाभर में ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच शोधकर्ताओं ने चेतावनी जारी करते हुए इंग्लैंड सरकार को आगाह किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर देश में कड़े कदम नहीं उठाए गए तो अगले 5 महीनों में देश में अमिक्रोन से 25 हजार से लेकल 75 हजार तक लोगों की मौत हो सकती है। लंडन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएसटीएम) के वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले पाया गया ये वेरिएंट ओमिक्रोन इस महीने के अंत तक कोरोनावायरस का सबसे घातक रूप साबित हो सकता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, बात करें मौजूदा हालात की तो उसे देखकर ये प्रतीत होता है कि 1 दिसंबर से लेकर 30 अप्रैल के बीच ओमिक्रोन से 2000 लोग रोजाना अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं, जिसके कारण कुल 175000 लोग इन 5 महीनों में अस्पतालों में भर्ती हो सकते हैं और 24,700 लोगों की मौत हो सकती है। ये आंकड़ा तब सामने आ सकता है, जब संक्रमण अपने चरम स्तर पर होगा।
सरकार के साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इमरजेंसी और साइंटिफिक पैंडमिक इंफ्लूएंजा ग्रुप ऑन मॉडलिंग के हिस्से के रूप में वैज्ञानिकों की इस सलाह को 2022 में बिना ज्यादा सख्त नियम लागू करने के बाद देश में ओमिक्रोन से पैदा होने वाले हालात पर एक तरीके से विश्लेषण के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। ये नियम बोरिस जॉनसन के 'प्लान बी' से अलग होंगे।
बता दें कि शनिवार को ब्रिटेन में 633 ओमिक्रोन के मामले दर्ज किए गए हैं, जो अब तक डेली दर्ज किए जाने वाले मामलों में सबसे ज्यादा हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद देश में ओमिक्रोन के मामलों की संख्या 1898 हो गई है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के मुताबिक कुलमिलाकर शनिवार को कोविड 54073 मामले दर्ज किए गए और 132 लोगों की कोरोना से मौत हो गई।
एलएसएसटीएम सेंटर फॉर मैथामैटिक्ल मॉडलिंग ऑफ इंफेक्शियस डीजिज के शोधकर्ता डॉ. निक डेविस, जो इस शोध के सह-मुख्य शोधकर्ता भी हैं, उन्होंने शनिवार को कहा कि ये सिर्फ शुरुआती आंकड़ें है लेकिन कुल-मिलाकर कहा जाए तो ओमिक्रोन वैक्सीन से बचकर निकल सकता है जबकि वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट को रोकने में काफी हद तक कारगर थी।
उन्होंने कहा कि अगर ये ट्रेंड जारी रहा है तो ओमिक्रोन दिसंबर के अंत तक ब्रिटेन की आधी आबादी को अपना शिकार बना सकता है।
उन्होंने ये भी कहा कि अगर बूस्टर डोज लगाई जाती है तो ओमिक्रोन के खिलाफ सुरक्षा मिल सकती है और संक्रमण फैलने का खतरा उतना ही कम हो सकता है। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने और मौतों का आंकड़ा भी कम हो सकता है।
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