आज के समय में रोबोटिक सर्जरी सबसे उन्नत किस्म की सर्जरी है। परम्परागत ओपन सर्जरी के साथ-साथ लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी के अनेक फायदे हैं। रोबोटिक यूरोलॉजी सर्जरी की प्रक्रिया तथा उसकी सफलता के बारे में जागरूकता कायम करने के उद्देश्य से देश के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (साकेत) ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।
देश में किडनी फेलियर या क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के मामले, ऑटोइम्यून डिजीज, डायबिटीज, मेडिसिन या शराब की लत, मूत्र मार्ग की समस्याओं, डिहाइड्रेशन, हृदय संबंधित समस्याओं आदि विभिन्न कारकों से तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में ''किडनी ट्रांसप्लांट'' एकमात्र अंतिम समाधान होता है, इसलिए किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी के विभिन्न पक्षों को समझना रोगियों और उनके परिवारों के लिए जरूरी है। जिन्हें किडनी की अत्यंत गंभीर बीमारी है, उन्हें किडनी ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत होती है, जिसमें किडनी का प्रत्यारोपण किया जाता है।
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पारंपरिक और रोबोट-सहायक किडनी ट्रांसप्लांट में से अधिकांश लोग पारंपरिक सर्जरी के बारे में जानते हैं, जिसमें मूल रूप से 2-4 घंटे की लंबी सर्जरी होती है। इसमें किडनी दान देने वाले व्यक्ति की किडनी को मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि उसके जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। किडनी प्रत्यारोपण का सर्वाधिक आधुनिक रूप रोबोटिक असिस्टेड किडनी ट्रांसप्लांट है, जो हमारे देश में कुछ ही आधुनिक चिकित्सा केन्द्रों में उपलब्ध है।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि रोबोटिक सर्जरी में सर्जन रोबोटिक आर्म की मदद से सर्जरी को अंजाम देते हैं। रोबोटिक सर्जरी में विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण रोबोटिक आर्म के अगले हिस्से पर लगे होते हैं। सर्जरी वाली जगह को बड़ा करके देखने के लिए उच्च क्वालिटी का कैमरा होता है। इसके अलावा इसमें बहुत ही छोटा चीरा लगता है, जिसका निशान बिल्कुल नहीं या बहुत कम रहता है। इसमें रक्त की बहुत कम क्षति होती है और मरीज जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाता है।
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रोबोटिक्स की आधुनिक तकनीक रोगियों को काफी हद तक लाभ पहुंचाती है, क्योंकि रिकवरी जल्दी होती है। इसमें बहुत छोटा चीरा लगने के कारण मरीज को कम समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है और इसमें रक्त की हानि या तो बहुत कम होती है या बिल्कुल नहीं होती है। मरीज किसी भी बड़ी सर्जरी के बाद 24 घंटे के भीतर चलने-फिरने लगता है।
रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के रोबोटिक्स, किडनी ट्रांसप्लांट एवं यूरो-ओंकोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. प्राग्नेश देसाई ने रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण की सफलता के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘भारत में क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) का प्रकोप पिछले दशक में दोगुना हो गया है। वर्तमान में देश में पांच लाख से अधिक व्यक्तियों को इस बीमारी का पता चला है।
इनमें से केवल कुछ मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है। ऐसे में समय पर सीकेडी की रोकथाम, इसकी पहचान और इसका समय पर इलाज महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, हमारा ध्यान मरीजों को शिक्षित और जागरूक बनाने के अलावा मरीजों को इस लायक बनाने में है ताकि वे समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त कर सकें। विशेषज्ञों से परामर्श कर सकें। रोबोट किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर यह साबित हो चुका है कि इसमें कम जटिलता दर, तेजी से रिकवरी और उत्कृष्ट ग्राफ्ट फंक्शन होते हैं।’’
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