अगर आप भी अपने बच्चों पर उन्हें पढ़ लिखकर कुछ अच्छा बनने के लिए उनपर दबाव बना रहे हैं तो निश्चित रूप से आप उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। जी हां, एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए और एक अच्छा लड़का व लड़की बनने के लिए स्कूल और परिवारों द्वारा बनाया जाने वाला दबाव किशोर और किशोरियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य समस्या पैदा कर रहा है। जर्नल एजुकेशन रिव्यू में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, स्कूल का माहौल और घर के हालात सभी प्रकार के घरों से आने वाली लड़कियों में चिंता का कारण बन रहे हैं।
अच्छे नंबर लाने का दबाव, लोगों के बीच मशहूर और सुंदर दिखना और तो और दूसरी गतिविधियों में भाग लेना भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओंका कारण बन रहा है। ये खासकर उन लड़कियों में ज्यादा है, जिन्हें अपने भविष्य को लेकर डर है या फिर वह अपने घर और स्कूल में दबाव महसूस कर रही हैं।
एक्सेटर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम, जिसमें डॉ. लॉरेन स्टेंटिफोर्ड, डॉ. जॉर्ज कॉटसॉरिस और डॉ. एलेक्जेंड्रा एलन शामिल थे उन्होंने 1990 से 2021 के बीच लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पहले से मौजूद शोध की समीक्षा की साथ ही उन्होंने क्वालिटिटेटिव साहित्य की भी समीक्षा की।
शोधकर्ताओं ने दुनिया भर से 11 अध्ययनों को ढूंढ निकाला और उन्हें मालूम हुआ है कि 18 साल की होने तक लड़कियों में लड़कों के मुकाबले मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने का खतरा अधिक होता है। इतना ही नहीं अध्ययन ये भी बताते हैं कि स्कूलों में होने वाली पढ़ाई और अच्छे नंबर लाने का दबाव कहीं न कहीं उनमें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा रहा है। पढ़ाई में अच्छी होने का सामाजिक दबाव, हर क्षेत्र में आगे और ज्यादा से ज्यादा उपलब्धियां हासिल करना, शिक्षकों, परिवारों और दूसरे बच्चों पर पड़ने वाला प्रभाव लड़कियों के लिए दबाव बढ़ाने का काम करता है।
अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ स्टेंटिफोर्ड का कहना है कि हमें उम्मीद है कि हमारा अध्ययन लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ती हुई समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करेगा। हमारे अध्ययन से शायद स्कूल अपने पढ़ाई के तरीकों में बदलाव करे और इस महत्वपूर्ण चीज के बारे में और लड़कियों पर पड़ने वाले दबाव के बारे में और बातचीत को बढ़ावा मिले।
उन्होंने कहा कि हमने पाया कि भविष्य को लेकर डर के कारण उपलब्धि हासिल करने में ढेर सारी चिंता छिपी होती है और इसलिए हमें एक अच्छे भविष्य और खुशहाल भविष्य की जरूरत है। इसमें 'अच्छे' विश्वविद्यालय में प्रवेश करना और एक अच्छी नौकरी हासिल करना भी शामिल है। अच्छे वेतन के साथ लड़कियों को लगा कि अगर वे स्कूल में उच्च ग्रेड हासिल नहीं करती हैं और इन लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाती है, जिससे वह जीवन 'असफल' हो जातीं और दुखी होती हैं।
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