Rare Disease Day 2021 in Hindi: अनुमान बताते हैं कि भारत में लगभग 70 मिलियन से अधिक लोग दुर्लभ बीमारियों (Rare Disease Day 2021) से प्रभावित हैं। आबादी के एक छोटे से हिस्से में इसके प्रसार के बावजूद, यह देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभर रही है। इसके अलावा, 10 में से केवल 1 पीड़ित को ही उचित उपचार प्राप्त होता है। 'रेयर डिजीज डे 2021' पर, इन स्थितियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और आने वाले समय में प्रारंभिक चरण, अनुवांशिक स्क्रीनिंग के महत्त्व की आवश्यकता को समझाना जरूरी है। आइए जानते हैं, क्या है दुर्लभ बीमारी (रेयर डिजीज) और इसके इलाज के बारे में यहां....
दुर्लभ बीमारी (Rare Disease ) एक प्रकार की स्वास्थ्य स्थिति है, जिसका प्रसार कम होता है और कम संख्या के लोगों को प्रभावित करती है। सबसे आम बीमारियों में हेमोफिलिया, थैलेसीमिया, सिकल-सेल एनीमिया और बच्चों में प्राइमरी इम्यूनो डेफिशिएंसी, ऑटो-इम्यून रोग और लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर शामिल हैं। रेडक्लिफ लाइफ साइंसेज के सीओओ और सह-संस्थापक आशीष दुबे कहते हैं, ''दुर्लभ बीमारियों की व्यापकता और इस तथ्य को देखते हुए कि उनके उपचार पर शोध जारी है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हर मां प्रारंभिक अवस्था में अनुवांशिक जांच से गुजरे। बच्चे के जन्म के बाद किसी भी अनुवांशिक विश्लेषण को अब गर्भावस्था के शुरुआती तिमाही में भ्रूण में ही किया जा सकता है।
कई स्थितियों की स्क्रीनिंग प्रसवपूर्व देखभाल का जरूरी चरण होना चाहिए। क्रिस्टा के माध्यम से हम यह सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे माता-पिता यह समझ सकते हैं कि क्या पैदा होने वाले बच्चे में किसी भी तरह की बीमारियों की संभावना है। निदान के मामले में, यह उस स्थिति के विशिष्ट उपचार के लिए जरूरी भी है। देश के भीतर कई हेल्थ-टेक स्टार्टअप, सही दवा के उपयोग का नेतृत्व कर रहे हैं।
भारत में दुर्लभ बीमारियों (Rare Disease Day 2021 in hindi) के बारे में जागरूकता की कमी है, जिसकी वजह से व्यापक निवारक रणनीति की अत्यंत आवश्यकता है। दुर्लभ बीमारी के साथ बच्चों के जन्म को रोकने और माता-पिता को निर्णय लेने में मदद करने के लिए अनुवांशिक स्क्रीनिंग कार्यक्रमों पर जोर दिया जाना चाहिए। पोर्टिया मेडिकल के चिकित्सा निदेशक डॉ. विशाल सहगल ने इस बारे में कहा, ''दुर्लभ बीमारियां चिकित्सा और सामाजिक लिहाज से चिंता का विषय हैं। इन स्थितियों वाले लोग न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि भावनात्मक आघात का भी सामना करते हैं। गर्भवती महिलाओं को जोखिम वाले कारकों को समझने के लिए स्क्रीनिंग अनिवार्य है, क्योंकि दुर्लभ बीमारियों के साथ पैदा होने वाले बच्चों के मामले में, प्राथमिक देखभाल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई बीमारियों को रोगी के पूरे जीवन में सहायक उपचारों या प्रशासित प्रतिस्थापन उपचारों के साथ प्रबंधित किया जा सकता है।
निजी क्षेत्र में दुर्लभ बीमारियों के लिए उपचार के विकल्प भी उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए, कुछ इम्यूनो डेफिशिएंसी डिसऑर्डर्स के मामले को उपचार से ठीक किया जा सकता है। सरकार को दुर्लभ बीमारियों के लिए कवर प्रदान करने के लिए बीमा अधिनियम में संशोधन करने पर भी विचार करना चाहिए। दुर्लभ बीमारियों के लिए वैश्विक स्तर पर उपलब्ध अधिकांश निदान और उपचार अब भारत में भी उपलब्ध हैं। आज नैदानिक परीक्षण उपलब्ध हैं, जो विश्वसनीय डेटा देने के लिए नवीनतम तकनीक और रिपोर्टिंग का उपयोग करते हैं। इस तरह से सुझाई गई दवा और डेटा-पूल का उपयोग हमारे देश में दुर्लभ बीमारियों के निदान में कारगर कदम साबित हो सकता है। हालांकि, ये सुविधाएं महंगी हैं और आमतौर पर केवल कुछ प्रमुख शहरों में उपलब्ध हैं। यह चिकित्सा बीमा योजनाओं और सरकार की नीतियों की कमी के कारण होती है, जिसे सुचारू कर दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त रोगियों का समर्थन किया जा सकता है।
Rare Disease Day 2021 : क्या है रेयर डिजीज डे, कौन-कौन सी होती हैं दुर्लभ (रेयर) डिजीज
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