बिहार की राजधानी पटना में राशन की दुकान में काम करने वाले रामबाबू (27) को जब बताया गया कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है तो उनको लगा जैसे उनके ऊपर विपत्ति का आसमान टूट पड़ा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज करवाने के लिए वह घर से एक हजार किलोमीटर दूर दिल्ली आए। लेकिन यहां आकर उनकी तकलीफ और बढ़ गई क्योंकि एम्स में इलाज के लिए उनका नंबर छह महीने बाद ही आने वाला था। निजी अस्पताल में इलाज करवाना उनके बस की बात नहीं थी और एम्स में इलाज के लिए छह महीने का इंतजार मगर