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Home / Hindi / Health News / विशेषज्ञों ने कहा, अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस की मौजूदगी होने से फैली यह महामारी

विशेषज्ञों ने कहा, अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस की मौजूदगी होने से फैली यह महामारी

एक अध्ययन के अनुसार, स्पेन के बार्सिलोना, इटली के मिलान और ट्यूरिन में अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस की मौजूदगी के नमूने मिले। बार्सिलोना विश्वविद्यालय के अध्ययन दल ने 26 जून को ज्ञापन जारी कर कहा कि वहां पर 12 मार्च 2019 को जमा अपशिष्ट जल के नमूने में कोरोनावायरस के संकेत मिले थे, लेकिन स्पेन में 25 फरवरी 2020 को पहला पुष्ट मामला दर्ज हुआ।

By: Anshumala   | Edited by: Anshumala   | | Updated: July 13, 2020 10:20 pm
Tags: Coronavirus  coronavirus outbreak  COVID-19  कोरोनावायरस  कोरोनावायरस हेल्थ न्यूज  
coronavirus in hindi
कोरोना वायरस कब सामने आया?

Presence of coronavirus in wastewater: दुनिया भर में फैल रहा कोरोनावायरस (Coronavirus) कब सामने आया, इसका जवाब बहुत से देशों में अपशिष्ट जल के नमूनों (Waste water samples) पर हो रहे अध्ययन व शोध से सामने आ रहा है। हालांकि, कोरोनावायरस महामारी फैलने का समय लगातार (When did coronavirus appear) बदल रहा है। इससे कोरोनावायरस के उद्गम और फैलाव पर विशेषज्ञों का नए सिरे से सोच-विचार होने लगा है। बहुत से अध्ययनों से जाहिर है कि कोरोनावायरस की आनुवंशिक सामग्री संभवत: संक्रमित व्यक्तियों के मलमूत्र के माध्यम से अपशिष्ट जल में प्रवेश किया है, इसलिए अपशिष्ट जल पर अध्ययन (Study on waste water) वायरस के फैलाव (Coronavirus spread by waste water) को समझने के लिए बहुत जरूरी हो जाता है। Also Read - देश में एक बार फिर बढ़ी कोरोना मरीजों की संख्‍या, लगातार तीसरे दिन 18 हजार से ज्यादा मामले दर्ज

अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस की मौजूदगी

अध्ययन के अनुसार, स्पेन के बार्सिलोना, इटली के मिलान और ट्यूरिन में अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस की मौजूदगी (Presence of coronavirus in wastewater) के नमूने मिले। बार्सिलोना विश्वविद्यालय के अध्ययन दल ने 26 जून को ज्ञापन जारी कर कहा कि वहां पर 12 मार्च 2019 को जमा अपशिष्ट जल के नमूने में कोरोनावायरस के संकेत (Coronavirus spread by waste water) मिले थे, लेकिन स्पेन में 25 फरवरी 2020 को पहला पुष्ट मामला दर्ज हुआ। Also Read - शोधकर्ताओं ने कहा, यूके कोविड वेरिएंट का वायरल लोड अधिक, दोबारा बढ़ सकती है महामारी, 2021 में होंगी ज्यादा मौतें



बार्सिलोना विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान प्रोफेसर अल्बर्ट बोश ने कहा कि अध्ययन का परिणाम बताता है कि कोरोनावायरस कब फैलने लगा, शायद जब लोगों ने इस बारे में सोचा नहीं था, क्योंकि इसका रोग लक्षण फ्लू (symptoms of flu) जैसे श्वसन संबंधी रोग के बराबर है। Also Read - स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, Cowin-App के जरिए 50 लाख लोगों ने टीकाकरण के लिए किया सेल्फ रजिस्ट्रेशन

उसके बाद ब्राजील के सांता कैटरीना संघीय विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ दल ने 2 जुलाई को घोषणा की कि उन्होंने सांता कैटरीना स्टेट की राजधानी फ्लोरिअनोपोलिस शहर में पिछले साल अक्टूबर से इस साल मार्च तक नाली में मिले पानी के नमूनों का विश्लेषण किया। पता चला कि पिछले नवंबर के नमूने में कोरोनावायरस मौजूद था, लेकिन ब्राजील में कोविड-19 (Covid-19) का पहला पुष्ट मामला 26 फरवरी को सामने आया, जो लैटिन अमेरिका में पहला पुष्ट मामला है।

सांता कैटरीना संघीय विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी में पीएचडी गिस्लानी फुंगारो ने कहा कि यह नमूना पिछले 27 नवंबर को जमा किया गया था। वायरस के मनुष्य को संक्रमित करने में कई हफ्ते लगते हैं। मतलब है कि नमूना जमा करने के 15 से 20 दिन पहले कोई व्यक्ति संक्रमित हो चुका था।

कोरोनावायरस के फैलाव पर विशेषज्ञों की नई राय

इन अध्ययन से कोरोनावायरस के उद्गम और फैलाव पर विशेषज्ञों का नया विचार आया है। ब्रिटेन के डेली टेलिग्राफ ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टॉम जेफरसन के हवाले से कहा कि अधिकाधिक सबूत से जाहिर है कि कई स्थानों के अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस (Coronavirus spread by waste water in hindi) मौजूद है। एशिया में महामारी फैलने से पहले यह वायरस संभवत: दुनिया के कई क्षेत्रों में निष्क्रिय हो गया हो, बस वातावरण में परिवर्तन होने के बाद फैलने लगा।

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Published : July 13, 2020 10:16 pm | Updated:July 13, 2020 10:20 pm
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