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Coronavirus: भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (University of South Australia) की एक टीम ने कोरोना वायरस (Coronavirus) सहित संक्रामक स्थितियों वाले रोगियों की निगरानी के लिए एक ड्रोन (Pandemic Drone) विकसित करना शुरू किया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, "पेंडेमिक ड्रोन" की मदद से किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तापमान के साथ-साथ दिल और श्वसन दर की निगरानी आसानी से की जा सकती है। इससे संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करने में मदद मिलेगी।
इसके साथ-साथ इस (Pandemic drone) ड्रोन की मदद से उन लोगों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है, जो किसी ऑफिस, क्रूज जहाजों, हवाई अड्डों या फिर वृद्ध व्यक्ति कि देखभाल कर रहे हैं और उनमें संक्रमण के लक्षण (जैसे- खांसी, झींक, बुखार आदि) नजर आ रहे हों। इस ड्रोन से ऐसे व्यक्ति को डिडेक्ट करने में आसानी होगी।
इस प्रोजेक्ट (Pandemic Drone) का लीड भारतीय मूल के जवान चाहल (Javaan chahl) कर रहे हैं। जवान चाहल डिफेंस डिपार्टमेंट में सेंसर सिस्टम पर काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तकनीक को प्रारंभिक समय में युद्ध क्षेत्र और प्राकृतिक आपदा क्षेत्रों में उपयोग के लिए विकसित किया गया था ताकि समय से पहले बच्चों की हृदय गति की निगरानी की जा सके, लेकिन अब कोरोनो वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
चहल ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, "यह ड्रोन सभी मामलों का पता नहीं लगा सकता है, लेकिन एक जगह या लोगों के समूह में संक्रमण की उपस्थिति का पता लगाने के लिए यह एक विश्वसनीय उपकरण साबित सकता है।"
बता दें कि UniSA ने प्रौद्योगिकी को अनुकूलन करने और इसे सरकार, चिकित्सा और वाणिज्यिक ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ साझेदारी की है। अब देखना ये है कि आखिर कबतक ये ड्रोन लोगों तक पहुंचता है।
मालूम हो कि कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया डरी हुई है। सभी देश इस वायरस से बचाव के लिए दवाईयां ढूंढने में लगे हैं। अमेरिका ने एक वैक्सीन तैयार की है, जिसकी जांच करने में अभी 18 महीने का टाइम लगेगा। इसी के साथ-साथ कई लोग इस वायरस की दवा बनाने का दावा कर रहे हैं। फिलहाल इस वायरस से लड़ने के लिए कोई दवाई मार्केट में नहीं आई है।
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